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भरतपुर

दूध में घोटाला: नहीं पता कितना फैट आया कितना गया!

दुग्ध उत्पादक संघ में कथित घोटाला

भरतपुरFeb 08, 2025 / 06:17 pm

Meghshyam Parashar

किसानों से दूध लेकर लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाने वाली भरतपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड में कथित घोटाले का दूध का दूध और पानी का पानी नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि पिछले काफी समय से यह सुर्खियां बटोर रही है। चेयरमैन और एमडी एक-दूसरे को कठघरे में खड़े कर रहे हैं। इसका नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है।
समिति की बात करें तो कु छ समय पहले तक यह अव्वल चल रही थी, लेकिन आपसी खींचतान के बाद यह खिसककर दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। एक बार घोटालों की जांच भी हो चुकी है, जिसका अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आ सका है। हालांकि हाल ही में समिति की ओर से लाभ में होने का दावा किया जा रहा है। मुख्य रूप से नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी माह में डेयरी को करीब 40 लाख रुपए के लाभ में बताया जा रहा है। हालांकि इस मामले को लेकर कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं, यह महज कागजी उलटफेर है।
अब विधायक विस में ले गए मुद्दा

डेयरी में कथित घोटाले का मुद्दा अब प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में गूंज रहा है। भरतपुर शहर विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम के तहत विशेष उल्लेख प्रस्ताव के लिए सचिव राजस्थान विधानसभा को पत्र लिखा है। पत्र में आरोप है कि भरतपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ में हो रहे घोटाले एवं अनियमितताओं की हुई जांचों पर लीपापोती कर कार्रवाई नहीं की जा रही है। संघ के की ओर से वाईट गंगा मिल्क फूड प्राईवेट कंपनी को बिना टेण्डर आमंत्रित किए बिना दूध को बेचा रहा है। साथ ही कितने प्रतिशत फैट का दूध किसानों से आया है और कितने प्रतिशत फैट का दूध कंपनी को दिया गया है, इसका कोई भी उल्लेख संघ के पास नहीं है। आरोप है कि संघ की ओर से सीधा ही दूध कंपनी को बेचा जा रहा है। कंपनी को अधिक फैट का कम कीमत पर दूध बेच कर करोड़ों रुपए का नुकसान संघ को पहुंचाया जा रहा है। इसमें कंपनी के अधिकारी एवं संघ के उच्च स्तर के अधिकारी शामिल हैं। सरकार की ओर से इस घोटाले के संबंध में 13 जून 2024 को जांच रिपोर्ट में दोषी अधिकारियों से लगभग 38 लाख 64 हजार रुपए की वसूली करने की सिफारिश की गई थी। न तो यह वसूली दोषी अधिकारियों से हुई और न ही इस पर अब तक कोई विभागीय कार्रवाई हुई है। विधायक डॉ. गर्ग ने इस प्रकरण की जांच वित्त विभाग से विशेष जांच कराकर दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर नियमानुसार कार्रवाई जाएगी। साथ ही कंपनी को क्या अधिक फैट प्रतिशत का दूध देकर भुगतान कम प्रतिशत फैट के दूध का लिया जा रहा है, इसकी भी विशेष जांच कराकर कंपनी एवं दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
इनका कहना है

आरसीडीएफ नियमानुसार बिना टेंडर किए दूध लिया जा सकता है। एक कंपनी मेरे कार्यकाल से पहले ही से ही दूध लेती चली आ रही है। रही फैट की बात तो जो भी कुल दूध की टेस्टिंग आती है, उस फैट के हिसाब से कंपनी को दूध दिया जाता है। इसका रिकॉर्ड भी संधारण किया जाता है। इसके आधार पर ही रेट तय की जाती है। अब तक संघ केवल घाटे में ही जाता रहा है, लेकिन अब पिछले तीन माह से संघ लगातार लाभ में जा रहा है। घोटाले की जांच वाला मामला मेरे से पहले का है।
राजेश नारायण, एमडी, दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड भरतपुर

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