यूं हो रहा उपचार जनाना वार्ड के एमटीएस वार्ड में ऐसे बच्चों को रखा जाता है। हालांकि इस बार कोरोना के चलते ऐसे बच्चे कम संख्या में अस्पताल पहुंचे हैं। चिकित्सक बताते हैं कि ऐसे बच्चों को 15 से 20 दिन वार्ड में रखा जाता है। उपचार के साथ इन्हें विशेष डाइट दी जाती है। ठीक होने के बाद बच्चा जब नॉरमल डाइट पर आ जाता है तो उसे घर भेज दिया जाता है। खास डाइट में मिनरल्स एवं मल्टी विटामिन आदि का ध्यान रखा जाता है।
इस साल मिले कुपोषित बच्चे
जनवरी 7
फरवरी 6
मार्च 7
अप्रेल 2
मई 9
जून 9
जुलाई 6
अगस्त 7
सितम्बर 5
अक्टूबर 7
नवम्बर 3
इनका कहना है छोटे बच्चों के खान-पान का ध्यान नहीं रखने से यह कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। जरूरी पोषण से वंचित रहने के कारण यह बीमार पड़ते हैं। ऐसे में बच्चों के पोषण का खास ख्याल रखना चाहिए। हालांकि उपचार के बाद यह बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
जनवरी 7
फरवरी 6
मार्च 7
अप्रेल 2
मई 9
जून 9
जुलाई 6
अगस्त 7
सितम्बर 5
अक्टूबर 7
नवम्बर 3
इनका कहना है छोटे बच्चों के खान-पान का ध्यान नहीं रखने से यह कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। जरूरी पोषण से वंचित रहने के कारण यह बीमार पड़ते हैं। ऐसे में बच्चों के पोषण का खास ख्याल रखना चाहिए। हालांकि उपचार के बाद यह बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
डॉ. पंकज शर्मा, शिशु रोग विशेषज्ञ राजकीय जनाना अस्पताल भरतपुर