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खान-पान की अनदेखी बढ़ा रही कुपोषण

locationभरतपुरPublished: Nov 23, 2020 03:43:47 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

– एमटीएस वार्ड में हो रहा कुपोषित बच्चों का उपचार

खान-पान की अनदेखी बढ़ा रही कुपोषण

खान-पान की अनदेखी बढ़ा रही कुपोषण

भरतपुर . बच्चों के खान-पान के प्रति फिक्रमंद नहीं रहने वाले अभिभावकों को इसकी खासी कीमत चुकानी पड़ रही है। नौनिहालों के खान-पान में लापरवाही उन्हें कुपोषित बना रही है। आलम यह है कि हर साल सौ से डेढ़ सौ बच्चे अति कुपोषण का शिकार होकर जनाना अस्पताल के एमटीएस वार्ड में उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि वार्ड में बेहतर उपचार और खास पोषण से वह सेहतमंद बन रहे हैं, लेकिन नौनिहालों के खान-पान पर खास ध्यान देने से बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाया जा सकता है।
देश भर के बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से राजस्थान से पोषण मिशन की शुरुआत की गई थी। बच्चों के खास खान-पान का ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी आंगनबाड़ी केन्द्रों की तय की गई थी। इसके बाद भी बच्चे अभी भी कुपोषण की जद में आ रहे हैं। हालांकि उपचार और बेहतर पोषण की बदौलत मृत्यु दर न्यून है, लेकिन यदि पहले से ही ऐसे बच्चों के पोषण का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज शर्मा बताते हैं कि छह माह तक के बच्चे को मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए। मां के दूध से बच्चे को पूर्ण पोषण मिल जाता है। इसके बाद हैल्दी डाइट देने से बच्चा कुपोषण से बचा रहता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में कुल 148 कुपोषित बच्चे उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे थे।
यूं हो रहा उपचार

जनाना वार्ड के एमटीएस वार्ड में ऐसे बच्चों को रखा जाता है। हालांकि इस बार कोरोना के चलते ऐसे बच्चे कम संख्या में अस्पताल पहुंचे हैं। चिकित्सक बताते हैं कि ऐसे बच्चों को 15 से 20 दिन वार्ड में रखा जाता है। उपचार के साथ इन्हें विशेष डाइट दी जाती है। ठीक होने के बाद बच्चा जब नॉरमल डाइट पर आ जाता है तो उसे घर भेज दिया जाता है। खास डाइट में मिनरल्स एवं मल्टी विटामिन आदि का ध्यान रखा जाता है।
इस साल मिले कुपोषित बच्चे
जनवरी 7
फरवरी 6
मार्च 7
अप्रेल 2
मई 9
जून 9
जुलाई 6
अगस्त 7
सितम्बर 5
अक्टूबर 7
नवम्बर 3


इनका कहना है

छोटे बच्चों के खान-पान का ध्यान नहीं रखने से यह कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। जरूरी पोषण से वंचित रहने के कारण यह बीमार पड़ते हैं। ऐसे में बच्चों के पोषण का खास ख्याल रखना चाहिए। हालांकि उपचार के बाद यह बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
डॉ. पंकज शर्मा, शिशु रोग विशेषज्ञ राजकीय जनाना अस्पताल भरतपुर

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