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कला संकाय: 13 साल में पहली बार टूटा रिकॉर्ड, 4.85 प्रतिशत बढ़ा परिणाम

locationभरतपुरPublished: Jul 22, 2020 02:43:59 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-जिले का परिणाम रहा 91.72 प्रतिशत, बेटों का 4.44 प्रतिशत और बेटियों का 5.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी-इस साल छात्राओं की तुलना 4.79 प्रतिशत कम रहा छात्रों का परिणाम-इस बार प्रदेश में 13वें पायदान पर रहा भरतपुर, 2017 में आठवां, 2018 में 16वां व 2019 में था कला वर्ग के परिणाम में प्रदेश में 24वां स्थान

कला संकाय: 13 साल में पहली बार टूटा रिकॉर्ड, 4.85 प्रतिशत बढ़ा परिणाम

कला संकाय: 13 साल में पहली बार टूटा रिकॉर्ड, 4.85 प्रतिशत बढ़ा परिणाम

भरतपुर. 12वीं कला संकाय के परिणाम में भरतपुर ने 13 साल में पहली बार रिकॉर्ड तोड़ा है। चूंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि कला संकाय के परिणाम में एक साल में ही 4.85 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अब तक 12 साल का परिणाम 79 से 90 प्रतिशत के बीच ही आता रहा है। इस बार जिले का परिणाम 91.72 प्रतिशत रहा है। साथ ही छात्रों का परिणाम पिछले साल की तुलना 4.44 प्रतिशत और छात्राओं का परिणाम 5.20 प्रतिशत बढ़ा है। इस बार प्रदेश में 13वें पायदान पर भरतपुर रहा है। जबकि 2017 में आठवां, 2018 में 16वां व 2019 में था कला वर्ग के परिणाम में प्रदेश में 24वां स्थान था। जानकारी के अनुसार 12वीं कला संकाय में 13363 छात्र व 12418 छात्राओं समेत कुल 25781 ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था। इनमें से 13 हजार 46 छात्र व 12293 छात्रा समेत कुल 25339 परीक्षा में शामिल हुए। प्रथम श्रेणी से 5738, द्वितीय श्रेणी से 5410, तृतीय श्रेणी से 514, एक छात्र उत्तीर्ण हुआ, कुल 11663 छात्र उत्तीर्ण हुए। परिणाम 89.40 प्रतिशत रहा। इसी प्रकार प्रथम श्रेणी से 7158 छात्रा प्रथम, 4005 द्वितीय श्रेणी, 414 तृतीय श्रेणी, दो पास हुई, कुल 11579 छात्राएं उत्तीर्ण हुई। परिणाम 94.19 प्रतिशत रहा। इस तरह प्रथम श्रेणी से 12896, द्वितीय श्रेणी से 9415, तृतीय श्रेणी से 928, ग्रेस से तीन पास हुए, कुल 23242 पास हुए। 25 हजार 339 में से 2097 फेल हुए हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले 13 साल के परिणाम का रिकॉर्ड देखने पर सामने आया है कि पहली बार परिणाम 90 प्रतिशत से अधिक रहा है। अब तक परिणाम 76 प्रतिशत से 90 प्रतिशत के बीच ही रहता आया है।
इस बार दो महीने की देरी से आया परिणाम

वर्ष 2019 में 12वीं कला वर्ग का परिणाम 22 मई को घोषित किया गया था, जबकि इस बार परिणाम करीब दो महीने की देरी से आया है। 2019 में कुल परिणाम प्रतिशत 86.87 प्रतिशत रहा था। छात्रों का परिणाम 84.96 प्रतिशत व छात्राओं का परिणाम 88.99 प्रतिशत था। कला संकाय में पिछले 13 साल के परिणाम पर नजर डालें तो हर साल परिणाम में एक से चार प्रतिशत की बढ़ोतरी होती रही है। हालांकि 2019 में कुल परिणाम 2.25 प्रतिशत गिरा था। छात्रों का परिणाम 4.35 प्रतिशत गिरा था और छात्राओं का परिणाम 2.62 प्रतिशत गिरा था। वर्ष 2016 में छात्रों का परिणाम 92.81 प्रतिशत था, छात्राओं का परिणाम 5.19 प्रतिशत बढ़ा था। इसी प्रकार 2017 में छात्रों का परिणाम 88 प्रतिशत व छात्राओं का 90.03 प्रतिशत रहा था, जो कि छात्रों की तुलना छात्राओं का परिणाम 2.03 प्रतिशत अधिक था। 2018 में छात्रों का परिणाम 89.31 प्रतिशत व छात्राओं का परिणाम 91.61 प्रतिशत था। उस साल भी छात्राओं का परिणाम 5.03 प्रतिशत बढ़ा था।
इस साल कॉमर्स का परिणाम तीनों संकायों में बेहतर

इस साल 12वीं बोर्ड के तीनों संकायों में कॉमर्स का परिणाम बेहतर रहा है। इस बार विज्ञान संकाय का 88.72 प्रतिशत, वाणिज्य संकाय का 95.23 प्रतिशत, कला संकाय का 91.72 प्रतिशत परिणाम रहा। 2018 में कॉमर्स का परिणाम 94.93 प्रतिशत, विज्ञान संकाय का 83.01 प्रतिशत, कला संकाय का 89.12 प्रतिशत, वरिष्ठ उपाध्याय का 96.85 प्रतिशत परिणाम रहा था। 2019 में कॉमर्स का 93.93 प्रतिशत, साइंस का 90.14 प्रतिशत, वरिष्ठ उपाध्याय का 93.20 प्रतिशत, कला संकाय का 86.87 प्रतिशत रहा था।
12वीं कला संकाय का 12 साल का परिणाम

वर्ष परिणाम प्रतिशत
2008 79.63%
2009 80.78%
2010 82.13%
2011 85.54%
2012 86.28%
2013 86.84%
2014 86.78%
2015 87.11%
2016 89.95%
2017 90.41%
2018 89.12%
2019 86.87%
2020 91.72%

वरिष्ठ उपाध्याय: जिले में संस्कृत के सिर्फ चार स्कूल फिर भी परिणाम 12.23 प्रतिशत गिरा
-इस साल 80.97 रहा जिले का परिणाम, पिछले साल था 93.20 प्रतिशत
भरतपुर. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की ओर से जारी 12वीं वरिष्ठ उपाध्याय का परिणाम हर साल गिर रहा है। जहां पिछले साल करीब चार फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी तो एक साल में ही परिणाम 12.23 प्रतिशत गिरा है। इस साल वरिष्ठ उपाध्याय का परिणाम 80.97 प्रतिशत रहा है। पिछले साल भी 3.65 प्रतिशत गिर गया था। जबकि 2018 में 10.74 प्रतिशत का इजाफा कर चार साल का रिकॉर्ड तोड़ा था। अब सवाल यह है कि संस्कृत शिक्षा विभाग की ओर से तमाम सुविधा और प्रयास करने के बाद भी जिले में सिर्फ चार स्कूलों के परीक्षा परिणाम को बेहतर नहीं बनाया जा सकता है तो उनको विकसित क्या खाक करेंगे ? चूंकि पिछले काफी समय से लगातार संस्कृत शिक्षा के स्कूल बंद होते जा रहे हैं। कुछ सालों में ही दर्जनभर से इनकी संख्या चार पर आ टिकी है। जिले का परिणाम वर्ष 2014 में 92, वर्ष 2015 में 82.04, वर्ष 2016 में 74.21, वर्ष 2017 में 86.11, वर्ष 2018 में 96.85 प्रतिशत रहा था।
जिले के परिणाम पर नजर डालें तो वरिष्ठ उपाध्याय की परीक्षा के लिए 102 छात्र व 81 छात्राओं समेत 183 ने आवेदन किया था। इनमें से 183 ही परीक्षा में शामिल हुए। 27 छात्र प्रथम श्रेणी, 49 द्वितीय श्रेणी, चार तृतीय श्रेणी से पास हुए। परिणाम 78.43 प्रतिशत रहा। 31 छात्राएं प्रथम श्रेणी, 35 द्वितीय श्रेणी, दो तृतीय श्रेणी से पास हुए। परिणाम 83.95 प्रतिशत रहा। कुल परिणाम 80.97 प्रतिशत रहा। प्रथम श्रेणी से 58, द्वितीय श्रेणी से 84 व तृतीय श्रेणी से छह उत्तीर्ण हुए। राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय भरतपुर का परिणाम 97.14 प्रतिशत, राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय इंद्रोली का परिणाम 96.77 प्रतिशत, राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय सहनावली का परिणाम शत-प्रतिशत, राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय सैदपुरा का परिणाम 66.67 प्रतिशत रहा। वर्ष 2019 में वरिष्ठ उपाध्याय का परिणाम 93.20 प्रतिशत रहा था। पिछले साल की तुलना छात्रों का 14.34 प्रतिशत व छात्राओं का परिणाम 9.80 प्रतिशत गिरा है। पिछले साल छात्रों का परिणाम 92.77 प्रतिशत व छात्राओं का परिणाम 93.75 प्रतिशत रहा था। हकीकत यह 2018 को छोड़कर हर साल वरिष्ठ उपाध्याय परीक्षा के परिणाम का ग्राफ गिरता जा रहा है, जो कि चिंता का भी विषय बना हुआ है।
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