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रसूखदारों की धौंस, बगैर अनुशंसा खुला गया सीज

locationभरतपुरPublished: Nov 29, 2021 11:58:51 am

Submitted by:

Meghshyam Parashar

– कठघरे में कायदे, अतिक्रमण की भी अनदेखी

रसूखदारों की धौंस, बगैर अनुशंसा खुला गया सीज

रसूखदारों की धौंस, बगैर अनुशंसा खुला गया सीज

भरतपुर . रसूखदारों की धौंस के चलते नगर निगम में तमाम कायदे कठघरे में नजर आ रहे हैं। इसकी नजीर एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान की सीज खुलने के मामले में सामने आ रही है। निगम की ओर से महज 50 फुट की गहराई तक व्यावसायिक रूपांतरण किया है, जबकि इसकी लंबाई करीब 100 फीट है। इसमें अतिक्रमण की अनदेखी कर मामले में लीपापोती जैसा मामला सामने आ रहा है। अब इस मामले को लेकर नगर निगम का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहा है।
कोतवाली के पास वासन गेट पर स्थित एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान को नियमों की अनदेखी के चलते तत्कालीन आयुक्त ने सीज किया था। अब वर्तमान आयुक्त की ओर से इस मामले में निदेशक एवं विशिष्ट सचिव स्वायत्त शासन विभाग से सीज खोलने के संबंध में मार्गदर्शन मांगा है। खास बात यह है निदेशालय की अनुशंसा आने से पूर्व ही यह सीज खोल दी गई है। नगर निगम ने अनुशंसा के लिए भेजे गए पत्र में कहा है कि हरिमोहन मित्तल पुत्र स्व. तुलसीराम मित्तल निवासी कोतवाली के पास वासन गेट भरतपुर पर स्थित निर्माणाधीन भवन को बिना भू-उपयोग परिवर्तन तथा बिना निर्माण स्वीकृति के अवैध निर्माण करने पर सात दिसम्बर 2020 को भवन को सील किया गया था। इस प्रकरण में एम्पावर्ड कमेटी के निर्णय 29 अक्टूबर 2021 की पालना में भू-उपयोग परिवर्तन आदेश तीन नवम्बर 2021 के अनुसार भू उपयोग परिवर्तन की कार्रवाई की गई है। भू-उपयोग परिवर्तन के आदेश के बाद आवेदक की ओर से सीज भवन की सील खुलवाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया। खास बात यह है कि अभी तक निदेशालय से इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिए गए हैं। इसके बाद भी भवन की सीज खोल दी है।
असल बात ये…रसूख के दवाब में नियम दांव पर

अगर नगर निगम से जुड़े ऐसे मामलों पर बात करें तो सामने आया कि अक्सर ऐसे मामलों में रसूख के दवाव में कार्रवाई नहीं की जाती है। चाहे मामला सोनी एकेडमी व सिंधी धर्मशाला के पास बगैर भू-रूपांतरण बड़ा शोरूम चलाने का हो या बगैर स्वीकृति शोरूम का निर्माण का हो। ऐसे सभी मामलों में एक गिरोह के दवाब में आकर इतिश्री कर दी जाती है। हालांकि पूर्व में ऐसे मामलों को लेकर नगर निगम की ओर से कार्रवाई भी की गई थी, लेकिन उसी गिरोह के दवाब में आकर खानापूर्ति भी कर दी गई।
सवाल मांगते जवाब

1. आनंद कोठारी की आपत्ति है कि इस जमीन में 11 फुट चौड़ा रास्ता है, जिसकी पुष्टि सिविल न्यायालय और हाइकोर्ट ने की है। इसके बाद भी इसकी अनदेखी की गई।
2. निगम की ओर से 50 फुट की गहराई तक व्यावसायिक रूपांतरण किया है, जबकि लंबाई करीब 100 फीट से अधिक है। शेष जमीन के अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?

3. गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार में निर्देश हैं कि किसी भी सार्वजनिक रास्ते पर अतिक्रमण है तो उसे हटाया जाए, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।
4. निगम ने सात दिसंबर 2020 को धारा 194 में इसे सीज किया था। इसका संबंध अवैध निर्माण या बिना स्वीकृति निर्माण से है तो अब 153 वर्गगज के खोलने की अनुमति ही दी जानी चाहिए। बाकी से अतिक्रमण हटना चाहिए।
5. निर्माण अनुमति नहीं मिलने तक सीज नहीं खोली जा सकती, लेकिन 153 वर्ग गज के व्यावसायिक रूपांतरण पर ही सीज खोलने की अनुमति पत्रावली निदेशालय भेजना गलत है।

6. कई लोगों को रजिस्ट्री कर दुकान बेच दी। ऐसे में मालिकाना हक उन्हीं का है। फिर व्यावसायिक आदेश उन लोगों के नाम सम्मिलित होने चाहिए, लेकिन यहां इकलौते व्यक्ति के नाम आदेश किए हैं।
7. दुकान बेचने के बाद 50 फुट नियमन में नहीं आ रही तो उस जगह को आवासीय माना जाना चाहिए। ऐसे में दुकान टूटने की कार्रवाई होनी चाहिए।

8. मनमर्जी से बनाए व्यावसायिक मार्केट में कहीं भी अग्निशमन नियमों की पालना नहीं की है।
9. बिल्डिंग और सैटबैक नियम विरुद्ध बने हैं। इस पर निगम ने मौन साध रखा है।

इनका कहना है…

-शुक्रवार को अनुशंषा कर भेज दी थी। स्वीकृति आ गई होगी, मेल पर हो सकती है।
कमलराम मीणा
आयुक्त, नगर निगम
-दूसरी पार्टी ने निदेशक के समक्ष अपील कर रखी है। इसके अलावा सीज खुलने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
रविंद्र सिंह
सचिव, नगर निगम

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