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हर दो माह में होनी चाहिए बैठक, पांच माह बाद भी निर्णय में उलझी

-फुटबॉल बना हुआ हैनगर निगम, पिछली बैठक का पार्षद कर चुके बहिष्कार- शहर की समस्याओं को बताने के लिए नहीं मिल पा रहा मंच- एक साल में छह बैठकों का प्रावधान

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हर दो माह में होनी चाहिए बैठक, पांच माह बाद भी निर्णय में उलझी

हर दो माह में होनी चाहिए बैठक, पांच माह बाद भी निर्णय में उलझी

भरतपुर. ढाई दशक बाद बने कांग्रेस के बोर्ड का कार्यकाल तीन साल पूरे कर चुका है, लेकिन अभी भी नगर निगम फुटबॉल बना हुआ है। कभी फर्जीपट्टा प्रकरण तो कभी सफाई कंपनी का विवाद, हर बार नगर निगम की बैठक निर्णय के अभाव में उलझती रही है। इसका नतीजा यह हुआ कि न तो निगम में समय रहते बोर्ड की बैठकों का आयोजन हो पा रहा है और न ही शहर का विकास।
दरअसल, नगर निगम के पार्षदी के चुनाव में वैसे तो कांगे्रस के चिह्न पर 18 ही पार्षदों ने बाजी मारी, मगर 21 निर्दलीय व कुछ भाजपा के पार्षदों के सहारे कांगे्रस ढाई दशक बाद अपना बोर्ड बनाने में सफल हो गई। बोर्ड बनने के बाद निगम की साधारण सभा की पहली बैठक 27 दिसंबर 2019 को, मगर अगले वर्ष 2020 में कोरोना काल के चलते पूरे वर्ष एक ही बैठक 10 फरवरी को हो सकी। हालांकि 2021 में बैठकों का दौर शुरू तो हुआ लेकिन इस वर्ष में ही नियमानुसार छह बैठकों के स्थान पर पांच ही बैठक हो सकीं और सितंबर माह में होने वाली बैठक कोरम के अभाव में बैठक का बहिष्कार कर दिया गया। वहीं इस वर्ष तो 10 माह बीत जाने के बाद अभी तक केवल दो ही बैठकें हो पाई हैं। ऐसे में आमजन विकास की आस लगाए भी तो किससे? यह सवाल शहर की जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है कि शायद कांग्रेस का बोर्ड बनाकर कहीं कोई गलती तो नहीं कर दी।

एक साल में छह बैठक

नगरीय निकाय अधिनियम के तहत नगर निगम में एक वर्ष में छह बैठकों का प्रावधान है। इनमें शहर के विकास कार्यों पर चर्चा की जाती है और आमजन की समस्याओं को वार्ड पार्षद महापौर व अधिकारियों के सामने रखते हैं, लेकिन निगम की यह तस्वीर बयां करती है कि नगर निगम का यह बोर्ड फुटबॉल बनकर रह गया है। हकीकत यह हैकि खुद पार्षद भी अब बोर्डसे परेशान होकर विरोध की हुंकार भर चुके हैं।

अंदर की बात...नजर ही नहीं आ रहा बोर्ड

हकीकत यह हैकि नगर निगम का कांग्रेस का बोर्ड पिछले तीन साल से आंतरिक कलह व कुछपार्षदों की राजनीति के बीच उलझा हुआ है। रसूखदार कुछपार्षदों की पॉलिटिक्स बोर्डपर हावी है। ऐसे में कभी आयुक्त विवाद तो कभी फर्जी पट्टा प्रकरण के अलावा तमाम बड़े प्रकरण सामने आते रहे हैं। इससे स्थिति और भी खराब होती जा रही है।


इस पार्टी के इतने पार्षद

कांग्रेस: 18
भाजपा: 23
बसपा: 03
निर्दलीय: 21

अब तक ये हुई बैठक

- प्रथम : 27 दिसंबर 2019

- दूसरी : 10 फरवरी 2020

- तीसरी : 22 जनवरी 2021

- चौथी : 13 फरवरी 2021

- पांचवीं : 19 अप्रेल 2021

- छठवीं : 25 जून 2021

- सातवीं : 29 सितंबर 2021

- आठवीं : 12 फरवरी 2022

- नौंवीं : 4 मई 2022

इनका कहना है ...

- बैठक का आयोजन सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण नहीं हो सका है। पिछली बैठक में पार्षदों ने ड्रामा कर बहिष्कार किया था यदि ऐसा ही करना है तो बैठक का मतलब क्या है? अब शीघ्र ही बैठक का आयोजन होगा।

अभिजीत कुमार, महापौर, नगर निगम