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सियासत या विरासत: हर मकान से 100 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से सात करोड़ 20 लाख रुपए वसूल करेगी कंपनी

locationभरतपुरPublished: Jul 27, 2021 09:14:39 am

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-क्योंकि तीन साल का कंपनी का सफाई कार्य का व्यय है साढ़े 60 करोड़ रुपए-नाराज पार्षदों को 27 जुलाई को चंडीगढ़ में सफाई व्यवस्था का अवलोकन कराने की तैयारी

सियासत या विरासत: हर मकान से 100 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से सात करोड़ 20 लाख रुपए वसूल करेगी कंपनी

सियासत या विरासत: हर मकान से 100 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से सात करोड़ 20 लाख रुपए वसूल करेगी कंपनी

भरतपुर. पिछले एक महीने से विवाद का कारण बना तीन साल का साढ़े 60 करोड़ रुपए का सफाई ठेका सियासी मायने में भी खास है, नगर निगम के मेयर से लेकर राज्यमंत्री तक पार्षदों से वार्ता कर चुके हैं, लेकिन हल अभी तक नहीं निकला है। सवाल ठेका की बजट राशि को लेकर ही नहीं बल्कि डीपीआर की कुछ कथित खामियों को लेकर भी हैं। हाल-फिलहाल न तो पार्षदों ने खामियों पर चर्चा की है न डीपीआर पर मंथन।
जानकारी के अनुसार 24 जून को हुई नगर निगम की बैठक में प्रस्ताव संख्या 69 पर भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, डोर टू डोर कचरा संग्रह और परिवहन कार्य एवं 40 वार्डों की मैनुअल स्वीपिंग की डीपीआर स्वीकृति करने एवं उक्त कार्य पर तीन वर्षों में होने वाले 60.46 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर विचार को शामिल किया गया था। पार्षदों के विरोध के बाद निर्णय लिया गया था कि 21 सदस्यीय कमेटी गठित कर किसी दूसरे शहर में संबंधित कंपनी की सफाई व्यवस्था का अवलोकन कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। इसके बाद ही आगामी कार्रवाई होगी। अभी तक न तो कमेटी गठित की गई है न पार्षदों का विरोध थमा है।
ऐसे समझिए डीपीआर बनने की कहानी…

सफाई की नई व्यवस्था पर नजर डालें तो सामने आया कि शहर की सफाई व्यवस्था के लिए 2020-21 में 11.42 करोड़ रुपए व्यय किए गए। इसमें 10 प्रतिशत अनुमानित मानते हुए 2021-22 के लिए 12.56 करोड़ रुपए का सफाई मद का व्यय का प्रावधान रखा गया। इस प्रस्ताव को एओ ने प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के लिए फाइल आयुक्त के सामने पेश की। इसके बाद मेयर ने डीपीआर बनाने के लिए कह दिया। छह अधिकारी-कर्मचारियों की कमेटी डीपीआर बनाने के लिए तय की गई। इसमें लेखाधिकारी, सचिव, सहायक अभियंता, जेईएन, सीएसआई को तकनीकी कमेटी में शामिल किया गया।
कहां-कहां का कितना एरिया शामिल

-एओ ने मेयर के निर्देशानुसार सरकूलर रोड की मैकेनिकल सफाई के लिए चयन किया गया। लंबाई 8.25 किलोमीटर। चार लाइन के हिसाब से 33 किमी की प्रतिदिन की सफाई होनी है।
-इसीमें कुम्हेर-गेट चौराहे से जयपुर बाइपास तक को जोड़ा गया है, जो कि करीब डेढ़ किमी है। चार लाइन मानते हुए छह किमी है।

-काली की बगीची से शीशम तिराहा 0.8 किमी। चार लाइन के हिसाब से 3.2 किमी।
-बिजलीघर चौराहे से सारस चौराहा एक किमी, दो लाइन के हिसाब से दो किमी

-यातायात चौराहे से जिला परिषद् डेढ़ किमी, दो लाइन के हिसाब से तीन किलोमीटर

पत्रिका व्यू

नई सफाई व्यवस्था पर इतना बड़ा खर्च करना सही है या गलत, यह तय करना 65 चुने गए पार्षद व 12 मनोनीत पार्षद, मेयर व डिप्टी मेयर, आयुक्त का निर्णय है। अगर स्थानीय सफाईकर्मी बेरोजगार होते हैं और व्यवस्था कुछ माह बाद अन्य ठेकों की तरह खराब होती है तो जनता इस बोर्ड को कभी माफ नहीं करेगी। व्यवस्था खराब होने के बाद हमेशा की तरह खानापूर्ति कर दी जाएगी। दशकों से चली आ रही सफाई ठेके में कमीशन की परंपरा भी बंद होगी या नहीं, इस पर भी चर्चा की जानी चाहिए। सफाईकर्मियों के शोषण की कहानी कब तक लिखी जाती रहेगी, इस पर भी निर्णय लेना चाहिए। कब तक अस्थायी कर्मचारी पार्षद, अधिकारी व नेताओं के घर चाकरी करते रहेंगे, यह प्रथा भी बंद होनी चाहिए। तभी जाकर उसे नई व्यवस्था का रूप दिया जा सकता है। वरना शोषण की परंपरा का दूसरा रूप ही नजर आएगा।
आयुक्त ने यह की थी टिप्पणी, फिर मुकरे

वर्ष 2021-22 के लिए अनुमानित व्यय 12.56 करोड़ की तुलना में डीपीआर के अनुसार संभावित व्यय 19.17 करोड़ रुपए होता है, जो कि प्रथम दृष्टया अधिक प्रतीक होता है, यह टिप्पणी नगर निगम आयुक्त की ओर से की गई थी। बाद में परंपरागत सफाई की तुलना आधुनिक सफाई पद्धति होने के कारण मशीनरी से सफाई, आईटी बेस मॉनिटरिंग को शामिल किए जाने के कारण इस शहर की सफाई व्यवस्था को बेहतर माना। तब जाकर प्रस्ताव संख्या 69 पर यह डीपीआर स्वीकृति के लिए आई।
विवाद की असल जड़ ये…

नगर निगम के 65 में से 40 वार्डों में कंपनी सफाई कार्य करेगी। कचरा परिवहन व डोर टू डोर कचरा कलेक्शन 65 वार्डों में करेगी। बाकी 25 वार्डों में स्थायी कर्मचारी काम करेंगे। मैकेनिकल सिस्टम व आईटी, जीपीएस वगैराह लगाए जाएंगे। इन पर साढ़े सात करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे।
शुल्क का समीकरण

घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 100 रुपए प्रति घर से शुल्क लिए जाएंगे। 60 हजार घरों से 100 रुपए प्रतिमाह वसूलने पर प्रतिमाह की राशि करीब 60 लाख रुपए होती है। अब वार्षिक गणना करने पर सात करोड़ 20 लाख रुपए हुई।
फैक्ट फाइल

-शहर के अंदर 43 हजार 65 घर आवासीय मकान

-4304 व्यावसायिक प्रतिष्ठान माने गए हैं

-कुल 47 हजार 372 आवास

-दो लाख 75 हजार की जनसंख्या

-जनसंख्या के लिहाज से 55 हजार मकान
-5500 व्यावसायिक श्रेणी के भवन

-सड़क की लंबाई पांच लाख 51 हजार 969 मीटर

-कुल लंबाई 350 किलोमीटर

-स्थायी सफाई कर्मचारी: 625

-अस्थायी सफाई कर्मचारी: 805

कुल बीट: 1430 पूर्व निर्धारित

तीन साल के व्यय पर एक नजर
-प्रथम साल: 19 करोड़ 17 लाख 85 हजार 920 रुपए

-दूसरी साल का व्यय 20 करोड़ 13 लाख 75 हजार 216 रुपए

-तीसरे साल का 21 करोड़ 14 लाख 43 हजार 977 रुपए
कुल: 60 करोड़ 46 लाख पांच हजार 113 रुपए

सवाल मांगते जवाब

-डीपीआर में कहीं भी 65 वार्डों की बीट का उल्लेख नहीं ?

-सारे संसाधन नगर निगम के ही उपयोग में लिए जाएंगे?
-इसकी कोई शर्तें अभी तक तैयार नहीं की गई है।

-भरतपुर की सड़कें ऐसी नहीं है कि उनकी सफाई मैकेनिकल कराई जा सके?

-मैकेनिकल सफाई में हीरादास से सेवर को अभी तक नहीं जोड़ा गया है?
-राजा मानसिंह सर्किल से नौंह तक नहीं जोड़ा गया है?

-रीको रोड को नहीं जोड़ा गया है?

-रेडक्रॉस सर्किल से त्यौंगा तक को नहीं जोड़ा गया है?

-रेलवे स्टेशन शालिग्राम कुंडा से कुम्हेर रोड ट्रांसपोर्ट नगर तक सड़कों को नहीं जोड़ा गया है?
-नगर सुधार न्यास की कॉलोनी व चौड़ी सड़कों को शामिल ही नहीं किया गया?

-बीटों का निर्धारण यूनाइटेड प्रोविजेंट नियमावली के तहत नहीं हुआ?

-शहर में जितनी भी कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियां, जिनमें नाली व सड़कों का आज तक अभाव बना हुआ है?
-वाल्मीकि समाज जो परंपरागत सफाई करता है उसके रोजगार पर गाज गिर सकती है?

अब जिम्मेदारों की सुनिए

-जो पार्षद सफाई व्यवस्था का अवलोकन करने जा रहे हैं, वह सभी कमेटी के सदस्य है। स्वीकृति दे चुके हैं, बाकी अंत में पता चलेगा कि आखिर कितने पार्षद जाएंगे। यह सफाई व्यवस्था शहर के लिए बहुत अच्छी साबित होगी।
अभिजीत कुमार
मेयर, नगर निगम
-27 जुलाई को करीब 30-35 पार्षद चंडीगढ़ भ्रमण के लिए जा रहे हैं। मेयर ने पार्षदों की सहमति पर ही भ्रमण तय कर दिया था। कोई भी पार्षद स्वीकृति देकर जा सकता है। जो भी निर्णय होगा, वह पार्षदों की सहमति के आधार पर ही होगा।
डॉ. राजेश गोयल
आयुक्त, नगर निगम


-मेयर ने बैठक बुलाई थी। इसमें कुछ पार्षद गए थे, लेकिन हमनें तो चंडीगढ़ भ्रमण पर जाने से मना कर दिया था। बाकी कौन पार्षद जा रहा है ये मुझे भी मालूम नहीं है। विरोध करने वाले पार्षदों में से तो एक पाषर्द के भ्रमण के लिए स्वीकृति नहीं देने की बात सामने आई है। बाकी हमारा विरोध जारी रहेगा।
कपिल फौजदार
नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम

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