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दावा था कुछ नया करने का, पुराने में ही सिमटी सफाई की ठेका कंपनी

-कचरा उठाव व सफाई अब भी सिस्टम कमजोर, सिर्फ फोटो दिखाने में जुटी ठेका कंपनी

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दावा था कुछ नया करने का, पुराने में ही सिमटी सफाई की ठेका कंपनी

दावा था कुछ नया करने का, पुराने में ही सिमटी सफाई की ठेका कंपनी

भरतपुर. नगर निगम ने शहर की सफाई व्यवस्था का जिम्मा निजी कंपनी को दिया था। इसे लेकर ठेका सफाई कर्मचारियों ने विरोध किया, लेकिन कुछ दिनों की हड़ताल और वार्ता के बाद सफाई कर्मचारी तो काम पर लौट आए लेकिन शहर की सफाई व्यवस्था आज भी माकूल नहीं बनीं। हालांकि नगर निगम व ठेका कंपनी सात दिन की हड़ताल पर ही इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं, लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि इससे पहले भी हड़ताल लंबे समय तक चली है। इन ठेका सफाई कर्मचारियों को काम पर लौटे करीब चार दिन का समय बीत चुका है। अब तक निगम के काम करने वाले कर्मचारी अब कंपनी के नियम शर्तों पर काम कर रहे हैं, लेकिन लचर व्यवस्था के चलते शहर में आज भी कई स्थानों पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं और कचरे का उठान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आमजन के बीच सवाल बना हुआ है कि जब कंपनी के आने से पहले कचरे का उठान समय पर होता था तो कंपनी की आवश्यकता ही क्या थी? कंपनी को सफाई व्यवस्था संभाले करीब चार दिन का समय हो गया। इसके बाद भी शहर के कई स्थानों से कचरे का उठान समय पर नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यहां से गुजरने वाले और आसपास रहने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों के पास कचरे के ढेर

शहर में आस्था का केंद्र गंगा महारानी मंदिर और ऐतिहासिक धरोहर सूरजपोल गेट सहित अन्य स्थानों पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं जो कंपनी की नाकाफी व्यवस्था को उजागर कर रहे हैं। वहीं धार्मिक स्थलों पर सुबह-शाम जाने वाले लोगों की आस्था को ठेस पहुंच रही है। शहर के मुख्य रास्तों का ये हाल तो गली-मोहल्लों की हालत समझ सकते हैं।

कचरा उठाने के लिए कई वार्डों में नहीं पहुंच रहे टिपर

सफाई व्यवस्था निगम के हाथ में होने पर शहर के वार्डों में ऑटो टिपर निर्धारित समय पर कचरे के उठान के लिए पहुंचते थे, लेकिन कंपनी के कमान संभालने के बाद कई वार्डों में तो ऑटों टिपर भी नहीं पहुंच रहे। ऐसे में पूरे वार्ड का कचरा एक स्थान पर एकत्रित कर दिया जाता है, जहां वह कई दिनों तक सड़ता रहता है। मगर निगम प्रशासन सहित कंपनी का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। इससे लगता है कि कंपनी केवल अपना ठेका पूरा कर रही है और निगग इसका प्रतिनिधित्व कर रहा है।

शहरवासियों का कहना है ...

ये बोले शहरवासी ...

- शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट दिखाई दे रही है। लगता नहीं कि शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रियांशु, दुकानदार।

- ठेका सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के बाद भी कई स्थानों पर कचरे के ढेर लगे हैं। इससे लगता है कि पहले की व्यवस्था बेहतर थी।
सोनू, राहगीर।

- शहर में कचरे के ढेर देखकर लगता है कि कंपनी केवल खानापूर्तिकर रही है। सफाई कहीं नजर नहीं आती, कुछ दिखता है तो बस कचरे के ढेर।
राजकुमार, मथुरा गेट निवासी।

- धार्मिक स्थलों के पास कचरे के ढेर होना आमजन की आस्था को आहत करना है। कंपनी को सफाई व्यवस्था में सुधार लाना चाहिए।
राजेश शर्मा, राहगीर।

- कई जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। इसके कारण लोगों का निकलना भी दूभर हो रहा है। ऐसे में खासकर बुजुर्गों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अन्नू, राहगीर।

- शहर के ऐतिहासिक दरवाजे हमारी धरोहर हैं।इनके पास गंदगी होना कंपनी की विफलता को साबित करता है। निगम के समय पर ऐसा बहुत कम होता था।
राहुल मित्तल, राहगीर