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श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थलियों का अस्तित्व खतरे में

The existence of Shri Krishna's playgrounds is in danger ताज्जुब की बात यह है कि ना तो स्थानीय प्रशासन का ध्यान है और ना ही बृज संस्कृति से जुड़े संरक्षणकर्ताओं को इसकी चिंता है।

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श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थलियों का अस्तित्व खतरे में

श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थलियों का अस्तित्व खतरे में

-स्थानीय प्रशासन की अनदेखी बन रही कारण
-कृष्ण भक्ति में लीन श्रृद्धालुओं में नाराजगी
भरतपुर. कामां के कामवन में भगवान श्रीकृष्ण के क्रीड़ास्थलियों का अस्तित्व खतरे में है। यहां लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण से यह लगभग धूमिल होने को है। ताज्जुब की बात यह है कि ना तो स्थानीय प्रशासन का ध्यान है और ना ही बृज संस्कृति से जुड़े संरक्षणकर्ताओं को इसकी चिंता है।


बृज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग स्थित गांव कलावटा के पहाड़ पर धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई भगवान श्री कृष्ण की फिसलनी शिला का अस्तिव खतरे में है। यहां प्रभावशाली लोगों के द्वारा फिसलनी शिला पर अतिक्रमण करके रिहायशी किया जा रहा है। फिसलनी शिला को जाने वाले रास्ते व फिसलनी की सुन्दरता को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह फसलनी शिला वन संरक्षित पहाड़ पर है। लेकिन वन विभाग के द्वारा इन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की जा रही है। पूर्व में बृजयात्रियों के वाहन फिसलनी शिला तक पहुंचते थे। लेकिन अब रास्ते में ही अतिक्रमण कर रास्ते को रोक दिया है।


यही नहीं इसी पहाड़ी के समीप भोजनथाली के नुककड़ पर दाऊजी के चरण चिन्ह नामक धार्मिक स्थल पर भी खतरा मडरा रहा है। यहां पशुओं का चारा, ईधन, बिटोरे लगाकर स्थाई व अस्थाई अतिक्रमण किया जा रहा है। कृष्ण भक्त बताते हैं कि यहां बृजयात्रियों को दर्शन पूजा करने में भी परेशानी हो रही है।


कया है धार्मिक फिसलनी शिला
भगवान श्रीकृष्ण बृजक्षेत्र में गौ चारण करते समय अपने गवालों के साथ इस फिसलनी शिला पर खेलते थे। वहीं दाऊजी गायों पर नजर बनाए रखने के लिए जहां जिस स्थान पर खड़े है उस स्थान को दाऊ जी चरण चिन्ह कहा जाता है।
क्षेत्रीय वन अधिकारी पवन कुमार यादव ने बताया कि दोनों धार्मिक स्थलों पर वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण करने की शिकायत मिली थी। जिसपर उनको नोटिस भी जारी किया गया था। लेकिन अब भी इन्हें हटाने की कार्रवाई की जाएगी।