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दीपावली से पहले आज गुरू पुष्य नक्षत्र, तीन महायोग होंगे फलदायी

locationभरतपुरPublished: Oct 28, 2021 12:26:01 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-अमृत, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग रहेगा विशेष, बाजार में होगी बड़ी खरीदारी

दीपावली से पहले आज गुरू पुष्य नक्षत्र, तीन महायोग होंगे फलदायी

दीपावली से पहले आज गुरू पुष्य नक्षत्र, तीन महायोग होंगे फलदायी

भरतपुर. अब घर-घर दीपावली उत्सव मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। घरों का रंग-रोगन कराने के साथ ही इस बात पर भी घर-घर में मंथन हो रहा है कि इस दीपावली पर क्या-क्या खरीदना है। सब अपने-अपने बजट के हिसाब से प्लान बना रहे हैं। जाहिर सी बात है कि लोगों में नई वस्तु, कोई प्रोपर्टी बुक कराने या खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त का बेसब्री से इंतजार होता ही है। ज्योतिषियों की मानें तो इस बार धनतेरस से पहले गुरू पुष्य नक्षत्र बहुत ही खास है, क्योंकि इस दिन अहोई अष्टमी माता की पूजा है। खासियत ये है कि इस बार गुरू पुष्य नक्षत्र में तीन महासंयोग बनने जा रहे हैं। जब अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग एक साथ होंगे। जो कि बहुत ही फलदायी है।
पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव के पहले 28 अक्टूबर को गुरू पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिषी बताते हैं कि जिस प्रकार तीन महायोग का संयोग बन रहा है। ऐसा कभी-कभार ही होता है। ऐसे शुभ मुहूर्त का खरीदारी के लिए लोगों को इंतजार रहता है, उतना ही कारोबार जगत को भी रहता है।
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त गुरू पुष्य नक्षत्र, क्योंकि गुरुवार लक्ष्मी का दिन

पं. मनु मुदगल ने बताया कि लोग दीपावली के एक सप्ताह पहले ही मुहूर्त गणना जानने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं। धनतेरस के शुभ अवसर पर खरीदारी का का जितना महत्व होता है, उससे कहीं अधिक इस बार गुरू पुष्य नक्षत्र पर विशेष संयोग बनना बहुत ही फलदायी है। यह घड़ी 28 अक्टूबर। कालाष्टमी तिथि। दिन गुरुवार, जो बना रहा है गुरू पुष्य नक्षत्र। इस शुभ मुहूर्त में अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि और रवि का योग रहेगा।
हर सेक्टर के लिए फलदायी

इस तरह के शुभ मुहूर्त हर सेक्टर के लिए विशेष फलदायी होगा। खासकर नया वाहन, मकान, जमीन जैसी प्रॉपर्टी, आभूषण खरीदना बहुत ही शुभ माना गया है। तीन महायोग के साथ ही जात कर्मा, श्रीमंत संस्कार, अनप्राशन, बोला रोहन, नवीन व्यवसाय प्रारंभ, खाता बही, क्रय-विक्रय, शल्य क्रिया आदि के लिए अच्छा माना गया है। अर्थात् अष्टमी तिथि वैसे ही बहुत ही कल्याणकारी और पक्षकारी मानी जाती है। गुरू पुष्य नक्षत्र सुबह 9.40 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन शुक्रवार को 11.37 बजे तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा अपनी खुद की राशि में विराजमान रहता है।

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