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जहां संत विजयदास ने किया था आत्मदाह… वहां अब भी बेखौफ अवैध खनन का सच आया सामने!

बेपरवाह सिस्टम: अवैध खनन के विरोध में साधु-संत, पौने दो घंटे कराया इंतजार -बोले: अफसर झूठा आश्वासन देते हैं, पहाड़ी के बंद रास्तों को भी खननमाफिया ने किया चालू

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भले ही जिले में अवैध खनन के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने का दावा करे, लेकिन हकीकत यह है कि कार्रवाई का दावा सिर्फ कागजों तक सीमित है। यही कारण है कि कहीं ना कहीं सिस्टम की मिलीभगत से ही यह खेल चल रहा है। गुरुवार को डीग में प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को अवैध खनन के विरोध में ज्ञापन देने पहुंचे साधु-संतों ने एसपी ऑफिस में डेढ़ घंटे तक इंतजार करने का आरोप लगाया है।
संत भूरा दास ने कहा कि ब्रज क्षेत्र की पहाडिय़ों में खनन के खिलाफ संत बाबा विजय दास से आत्मदाह किया था। बाबा चले गए, उनका शरीर चला गया लेकिन कुछ नहीं बदला। जिन दो इलाकों डाबक, सामरेड़ से अवैध खनन बंद कराने के लिए आंदोलन चला, वहां आज भी मशीनें चल रही हैं। उन्होंने कहा कि सिद्ध पर्वत पर लगातार खनन हो रहा है। पसोपा ही नहीं बल्कि पूरे ब्रज क्षेत्र की पहाडिय़ों में खनन जारी है। संत भूरा दास ने कहा कि डीग एसपी को लिखित शिकायत देनी थी, हमें डेढ़ घंटे से इंतजार कराया जा रहा है। हमें यहां बैठा रखा है। हम पहले भी आ चुके हैं। तीन दिन तक यहां रुके। लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई तो हम चले गए। अफसर हमारे फोन नहीं उठाते। जिला कलक्टर को भी अवगत कराया गया, लेकिन झूठे आश्वासन मिलते हैं।

तीन साल पहले बाबा विजयदास ने की थी आत्महत्या

दरअसल 16 जनवरी 2021 को गांव पसोपा में बृज के पहाड़ों पर अवैध खनन के विरोध में धरना शुरू हुआ था। धरना 551 दिन चला था। संत विजय दास पसोपा के पशुपति नाथ मंदिर के महंत थे। 20 जुलाई 2022 को बड़ी संख्या में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में विजय दास ने केरोसिन डालकर खुद को आग लगा ली थी। विजय दास के आत्मदाह की घटना के बाद तत्कालीन सरकार के आश्वासन के बाद साधु-संतों ने आंदोलन खत्म कर दिया था। एक दिन बाद सरकार ने अवैध खनन वाली जमीन को वन विभाग को ट्रांसफर कर दिया। हालांकि अब साधु-संतों का आरोप है कि जिन पहाड़ों की रक्षा के लिए संत ने प्राण त्यागे थे, वहां अब भी बेखौफ अवैध खनन चल रहा है।