-आज उम्र 100 वर्ष की हो गई है। जिस समय पहलवानी किया करता था उस समय प्रतिदिन 10 किलो दूध, आधा किलो घी, 250 ग्राम बादाम व 250 ग्राम मुनक्का खाता था। हर दिन पांच हजार दंड बैठक करता था। न तो अब पहलवानों को उतनी खुराक मिल पा रही है और न सही प्रशिक्षण मिल पा रहा है। मल्ल विद्या बृज संस्कृति की परिचायक है। सरकार को इसके संरक्षण के प्रयास करने चाहिए।
बंशो गुर्जर, पूर्व राजस्थान केसरी, निवासी परमदरा
बंशो गुर्जर, पूर्व राजस्थान केसरी, निवासी परमदरा
-यदि गांव परमदरा में खेल स्टेडियम बनवा कर खेल प्रशिक्षक की नियुक्ति करा पहलवानों के लिए सरकार की ओर से समुचित खुराक की व्यवस्था की जाए तो यहां के पहलवान दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं।
नत्थन पहलवान पूर्व राजस्थान केसरी, निवासी परमदरा
नत्थन पहलवान पूर्व राजस्थान केसरी, निवासी परमदरा
-अब लोगों के पास छोटे-छोटे खेत रह गए हैं। आमदनी का कोई और जरिया नहीं है फिर पहलवान के लिए खुराक कहां से लाएं। ऐसी हालत में सरकार या निजी क्षेत्र की कंपनियों को आगे आकर पहलवानों को गोद लेकर उनके लिए खुराक और प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।
रतन पहलवान पूर्व राजस्थान केसरी
रतन पहलवान पूर्व राजस्थान केसरी
-गांव परमदरा में मल्ल विद्या को बढ़ावा देने के लिए सरकार को यहां खेल स्टेडियम का निर्माण कराकर कोच नियुक्त कर पहलवानों को समुचित सुविधाएं उपलब्ध करनी चाहिए तभी खेल प्रतिभाएं निखर कर आगे आ पाएंगी।
प्रताप पहलवान, निवासी परमदरा
प्रताप पहलवान, निवासी परमदरा