जिले में लगभग 02 लाख 60 हजार किसान 03.90 लाख हैक्टेयर भूमि में रबी की सरसों, गेहूं, चना, जौ व सब्जी की फसल की बुवाई में जुट रहा है। इसमें सरसों की 02 लाख 10 हजार हैक्टेयर, 01.55 लाख हैक्टेयर में गेहूं, सात हजार हैक्टेयर में चना, तीन हजार में जौ और शेष भूमि में किसान अन्य फसल करेगा। वैसे बुवाई के अनुकूल समय 25 सितम्बर से माना जा रहा है।
अभी बारिश और होने की संभावना है। किसान बुवाई में लग गए हैं। जमीन में डाले जाने वाले बीजों को नमी की जरूरत होगी। इसके लिए मिट्टी को सपाट करना जरूरी है, जिससे नमीं बनी रहे। लेकिन तेज धूप से बढ़ रहे तापमान के कारण यह नमीं भी सूख जाएगी। इससे भी किसानों को नुकसान होगा। दूसरी ओर नमीं बनी रहे और अंकुरण हो जाए। ऐसे में बारिश आने के बाद तापमान में बढ़ोतरी से जहां अंकुरण कम होगा, वहीं चितकबरा कीट लग जाएगा। यह कीड़ा नुकसान पहुंचाएगा। इससे दिक्कत आने के साथ किसानों को बुवाई कार्य दोबारा करना पड़ेगा।
इस संबंध में सरसों अनुसंधान केंद्र के निदेशक पीके रॉय का कहना है कि अभी बारिश की संभावना है। अभी तो खेतों में नमीं है, जिन्होंने बुवाई कर दी है वह मिट्टी को सपाट कर दें। इससे नमीं बनी रहेगी। लेकिन तापमान में बढ़ोतरी से नमीं गायब हो जाएगी। इसलिए बुवाई दोबारा करनी पड़ेगी और बारिश के बाद मौसम खुला तब भी किसानों को दिक्कत आएगी। इसलिए बुवाई का बेहतर समय 25 सितम्बर से शुरू होगा। उन्होंने बताया कि किसान जिस फसल का बीज लें। वह बीज भरोसेमंद से लेने के साथ उसका बिल लें। नकली बीज खरीदने से बचें।