
भुईंया सॉफ्टवेयर का नया वर्जन फेल, खतरे में किसानों की जमीन का रिकॉर्ड, राजस्व विभाग में मचा हड़कंप
भिलाई. भुईंया सॉफ्टवेयर की वजह से किसानों का भू-अभिलेख रिकॉर्ड खतरे में पड़ गया है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र ने जो भुईंया वेब पोर्टल का नया वर्जन तैयार किया है,वह पुराने सॉफ्टवेयर से रकबा, खसरा और नक्शा जैसी कीमती रिकॉर्ड का बैकअप ही नहीं ले रहा है। इस वजह से रिकॉर्ड भी आसानी से अपडेट नहीं हो रहा है।
राजस्व विभाग में मचा हड़कंप
पटवारियों की घंटों मेहनत के बाद यदि अपडेट हो भी गया तोपोर्टल पर जमीन का रक्बा, नक्शा और खसरा शो नहीं होता। इससे पोर्टल से जमीन का ऑनलाइन रिकॉर्ड इधर उधर या गायब होने की आशंका बढ़ गई है। वहीं राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र ने भी पोर्टल के साथ अपनी डिस्क्लैमर जारी कर किसी भी तकनीकी दिक्कत के लिए जिम्मेदार नहीं होने का हवाला दिया है। वेब पोर्टल के साथ इसकी घोषणा भी की है। इस बात को लेकर राजस्व विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
रिकॉर्ड गायब होने की आशंका की यह वजह
राजस्व विभाग के कर्मचरियों का कहना है कि भुईंया के नए वर्जन में जमीन का रिकॉर्ड अपडेट करने के बावजूद अपडेट नहीं होता। सर्वर डाउन रहता है। कई बार के प्रयास से पोर्टल पर यदि डाटा अपडेट भी हो गया तो कागज पर भू-मापन का क्रमांक,क्षेत्रफल,कब्जेदार का नाम, उसके पिता का नाम, निवास स्थान, लगान, फसल का नाम, फसल का क्षेत्रफल, कैफियत जैसे आंकड़े पिं्रट नहीं होता। पोर्टल पर भी दिखलाई नहीं देता। इस वजह से किसान रिकॉर्ड गायब होने की आशंका जता रहे हैं।
बस्ता 4 साल पहले से जमा, रिकॉर्ड है ही नहीं
पटवारी संघ के प्रांताध्यक्ष अश्वनी वर्मा का कहना है कि लोग उनके पास आय, जाति, पेंशन के लिए भूमिहीन होने का प्रमाण पत्र मांगने आते हैं। बिना बस्ता के यह देना संभव नहीं है। वर्ष 2015 में शासन ने बस्ता जमा करा लिया है। भुईंया पोर्टल के माध्यम से जानकारी देते थे,लेकिन भुईंया का नया वर्जन में भू-अभिलेख में गांव की जमीन का खसरा नंबर ही सीरियल से नहीं है। बीच से कई नंबर गायब हैं।
सिर्फ दो चीज के लिए बदल दिया पूरा सिस्टम
एनआइसी ने सिर्फ दो नियम के लिए भुईंया वेब पोर्टल के वर्जन को बदल दिया। इसके कारण पटरी पर चल रही ऑनलाइन व्यवस्था गड़बड़ा गई। जिस एजेंसी ने पोर्टल को डिजाइन डेटा बेस में परिवर्तन किया है उसमें जमीनों के रिकॉर्ड का डेटा बेस को पुराने वर्जन के सॉफ्टवेयर से बैकअप नहीं लिया। इस वजह से जमीनों का रिकॉर्ड मैच नहीं हो रहा है।
पोर्टल पर रिकॉर्ड शो नहीं हो रहा है। यह बात कम्प्यूटर की पढ़ाई से अनभिज्ञ पटवारियों को समझ नहीं आ रही है।पटवारियों को एनआइसी ने टे्रनिंग नहीं दिए बिना नया वर्जन को अचानक 30 अप्रेल को लागू कर दिया। इसके कारण प्रदेशभर के पटवारी हल्का में जो भी आवेदन लंबित थे या प्रोसिजर में थे वह गड़बड़ा गया। अब जमीन के रिकॉर्ड को दुरुस्त चिप्स पुराने सॉफ्टवेयर से बैकअप नहीं ले पा रहा है।
इसके लिए बदल दिया सॉफ्टवेयर का डेटाबेस
पहला यह कि पटवारी अब तहसीलदार के आदेश के बिना जमीन का कोई भी रिकॉर्ड अपडेट नहीं कर पाएंगे। जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए जो भी आवेदन आएगा उसके लिए पटवारी को तहसीलदार से अनुमति लेना पड़ेगा।
दूसरा यह कि अब इन कार्पोरेट आवेदनों के सारे रिकॉर्ड की ट्रैकिंग होगी। पहले नामांतरण की प्रक्रिया पटवारी कार्यालय से हो जाती थी, लेकिन अब नहीं होगी। नामातंरण की प्रक्रिया तहसील कार्यालय के आदेश के आधार पर होगा। इसके लिए पंचायत स्तर से लेकर सारे रिकॉर्ड का संकलन होगा।
नील कमल सोनी, महामंत्री, छत्तीसगढ़ राजस्व पटवारी संघ ने बताया कि साफ्टवेयर शासन ने बनवाया है। इसमें कई गंभीर त्रुटियां है। सॉफ्टवेयर में बार-बार परिवर्तन करने से सत्यता पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। रिकॉर्ड इधर उधर होता है तो एनआइसी उसकी जिम्मेदारी नहीं लेती। ऐसे में काम करना मुश्किल हो गया है। किसान और पटवारी दोनों परेशान है।
सीधी बात, रमेश शर्मा, संचालक, भू-अभिलेख
सवाल- भुईंया सॉफ्टवेयर अचानक क्यों बदलना पड़ा?
जवाब - राजस्व विभाग के अधिनियम में जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करने का अधिकार पटवारियों को नहीं है। तहसीलदार को अधिकार है। इस वजह से पूर्ववर्ती सरकार ने डेटाबेस को अपडेट करने का निर्णय लिया था।
सवाल- नया वर्जन में काफी त्रुटियां हैं, रिकॉर्ड तक गायब हो रहे हैं?
जवाब - जनवरी 2018 तक दिक्कत थी। अब नहीं है। दिक्कत को एनआइसी ने दूर कर दिया है।
सवाल- पटवारी तो पोर्टल के डेटा में कई तकनीकी दिक्कत बता रहे हैं।
जवाब - कोई दिक्कत नहीं है। रिकॉर्ड सर्वर में है। सर्वर डाउन होने की वजह से दिक्कत हो रही होगी।
सवाल - जमीनों के ऑनलाइन रिकॉर्ड की सुरक्षा पर भी सवाल उठा रहे हैं?
जवाब - रिकॉर्ड सुरक्षित है। रिकॉर्ड को लोगों के लिए ऑनलाइन करने के लिए ही भुईंया सॉफ्टवेयर बनवाया है। डिजीटल सिग्नेचर और ऑनलाइन वर्किंग के लिए दो सर्च इंजन का इस्तेमाल किया है। एक सर्च इंजन में अपडेशन का काम करेंगे। डिजीटल सिग्नेचर के लिए उन्हें इंटरनेट एक्सप्लोरल का उपयोग करना पड़ेगा। वह आईडी और पासवर्ड डालने पर ही खुलेगा।
Published on:
15 May 2019 05:26 pm
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