
छत्तीसगढ़ : दुर्ग शहर की मंडी में खोली गई मिट्टी लैब परीक्षण में डंप किए गए पाटन ब्लाक की लैब के उपकरण।
खास खबर
शिव सिंह
भिलाई. केंद्र सरकार के मृदा स्वास्थ्य परीक्षण (एसएचएम) कार्यक्रम के तहत किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच व विश्लेषण के लिए 15 फरवरी 2015में शुरू किए गए अभियान की राज्य में हवा निकल गई है। अभियान के दूसरे चरण 2019-20 में राज्य के सभी विकासखंडों में एक मॉडल ग्राम चुनाव स्वायल हेल्थ से जुड़े कार्य किए गए लेकिन अब ब्रेक लग चुका है। Soil testing lab(STL)in chhattisgarh दुर्ग जिले के पाटन ब्लाक में बनाई गई प्रयोगशालाओं के उपकरण दुर्ग के मंडी परिसर के एक कमरे में डंप कर दिए गए हैं। ट्रेनिंग ले चुके कर्मचारियों को भी वापस मूल काम पर भेज दिया गया है।
बिना लक्ष्य के चल रही योजना
Soil testing lab(STL)in chhattisgarh पिछले दो सालों से इस योजना में कोई लक्ष्य ही तय नहीं किया गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार की इस योजना 2015-16 से 2020 तक दो चरणों में 9 लाख से अधिक किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड किसानों को दिए गए। इसके बाद लक्ष्य न होने की बात कहते हुए अधिकारियों ने ब्लाक स्तर पर इस योजना में खोली गईं स्वायल टेस्टिंग लैब को अचानक बंद कर दिया गया। वर्तमान में सिर्फ राज्य सरकार की मिट्टी प्रयोगशालाओं में ही काम हो रहा है।
लैब के उपकरण दुर्ग मंडी में डंप
पाटन ब्लाक में किसानों के खेतों की मिट्टी का परीक्षण करने के लिए लैब खोले गए थे। इन्हें स्वाइल टेस्ट लैब (एसटीएल) कहा जाता है। मिट्टी टेस्ट करने के लिए ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दी गई। इसके बाद पाटन ब्लाक में टेस्टिंग का काम शुरू हुआ लेकिन पिछले 6 माह से पाटन के लैब को बंद कर सभी उपकरण डिब्बे में बंद कर दुर्ग मंडी में बने मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला (Soil testing lab in chhattisgarh )में रख दिए गए। यहां भी मिट्टी परीक्षण शाला (Soil testing lab(STL)in chhattisgarh )है, जहां 10 टन तक मिट्टी की टेस्टिंग हो सकती है लेकिन परीक्षण करने के लिए कार्यरत स्टाफ को अन्यत्र भेज दिया गया है। यहां केवल एक क्लर्क ही पदस्थ है। ऐसे में मिट्टी परीक्षण के लिए आने वाले किसानों को बैरंग लौटना पड़ता है।
सबसे पहले वर्ष 1955-56 में शुरू हुई टेस्टिंग
केंद्र सरकार ने सबसे पहले खेतों की मिट्टी की टेस्टिंग का काम वर्ष 1955-56में शुरू किया गया था। इस योजना के बाद प्रयोगशालाओं में वृद्धि की गई और इन प्रयोगशालाओं में वर्ष २०१२-१३ में 128.31 लाख नमूने जांचने की क्षमता हो गई।
यह है स्वायल हेल्थ कार्ड योजना
केंद्र सरकार की इस स्वायल हेल्थ कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को जमीन से जुड़ी गुणवक्ता की टेस्टिंग कर मृदा हेल्थ कार्ड प्रदान करना है। इसके लिए खेतों की मिट्टी जांचने के साथ ही किसानों को मिट्टी के आधार पर फसल लगाने के लिए जागरूक किया जाना है। इससे किसानों को मिटटी की गुणवक्ता के आधार पर फसल लगाने से अधिक लाभ मिलेगा और खाद के उपयोग से मिट्टी के संतुलन सही बनेगा।
छत्तीसगढ़ में खेती का परिदृश्य
पूरे देश में धान का कटोरा के रूप में चर्चित छत्तीसगढ़ (Soil testing lab(STL)in chhattisgarh )में कृषि परिदृश्य पर नजर डालें तो यहां 37.46 लाख किसान परिवार हैं। राज्य में कुल 137.90 लाख हेक्टेयर में खेती होती है। इसमें खरीफ फसल 48.09 लाख हेक्टेयर व रबी फसल 17.6 लाख हेक्टेयर रकबा है।
दो साल से नहीं मिला लक्ष्य
केंद्र सरकार की ओर से मिट्टी परीक्षण (Soil testing lab(STL)in chhattisgarh )के लिए दो साल लक्ष्य नहीं मिला था लेकिन इस वर्ष गया है तो उसे पूरा किया जाएगा। ताकि किसानों को खेती-किसानी का लाभ मिल सके।
आरके चंद्रवंशी
संयुक्त निदेशक कृषि संचालनालय रायपुर
Published on:
07 Aug 2022 07:17 pm
बड़ी खबरें
View Allभिलाई
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
