पत्नी के साथ व्हीलचेयर में बैठा युवक असल में सीआरपीएफ कोबरा 208 बटालियन का जाबांज कमांडो बी राम दास है। 20 नवंबर 2017 को छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के किस्टाराम थाने के अंतगर्त नक्सल विरोधी ऑपरेशन के दौरान आईईडी की चपेट में वे आ गए थे। आईइडी ब्लास्ट में जवान ने अपने दोनों पैर खो दिए।
छत्तीसगढ़ में नक्सल ऑपरेशन के दौरान पैर गंवाने के बाद भी कोबरा कमांडो बी रामदास ने ड्यूटी नहीं छोड़ी। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वे फिलहाल बालाघाट सीआरपीएफ मुख्यालय में सेवा दे रहे हैं। पत्रिका से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि आईईडी ब्लास्ट में सिर्फ पैर गए हैं पर दिल आज भी भारत माता के लिए धड़कता है। जब तक इस शरीर में जान रहेगा खून का एक-एक कतरा देश के नाम रहेगा।
कोबरा कमांडो बी रामदास का जज्बा देखकर सीआरपीएफ के अधिकारी भी ड्यूटी के दौरान उनका मनोबल बढ़ाने से नहीं थकते। जल्द ही उन्हें कृत्रिम पैर लगाए जाएंगे। महाराष्ट्र के ठाणे जिला निवासी जवान ने बताया कि लगभग एक महीने कृत्रिम पैर में चलने की प्रैक्टिस वे कर चुके हैं। कृत्रिम पैर लग जाने से उनके हौसलों को दोगुनी उड़ान मिल जाएगी। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में लगभग ढाई साल पोस्टिंग का अनुभव बताते हुए कहते हैं कि दुश्मनों से लडऩे का अपना अलग ही मजा है। मौका मिला तो वे दोबारा जंगलों में पोस्टिंग लेकर मोर्चा संभालने तैयार हैं।
आईईडी ब्लास्ट में पैर गंवाने के बाद रामदास पूरी तरह टूट गए थे। उन्होंने बताया कि पत्नी रेणुका के सपोर्ट और भरोसे से वे दोबारा खड़े होने की हिम्मत जुटा पाए। पेशे से शिक्षिका रेणुका बताती है कि कमांडो पति को इस हालत में देखकर एक पल के लिए तो वे हार ही चुकी थीं। लगा दुनिया खत्म हो गई। पति का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने कमांडो की वर्दी पहनी। ताकि पति दोबारा उस वर्दी को पहनने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाए। रेणुका कहती है, फौजी की पत्नी बनने का सौभाग्य नसीब वालों को मिलता है। उसे अपने कमांडो पति पर गर्व है।