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शिक्षा विभाग ने कहा-पारा-मोहल्ले में जाकर बच्चों को पढ़ाओ..यहां स्कूल के बरामदे में चल रहीं कक्षाएं, कंफ्यूजन में टीचर

सरकारी महकमे के सबसे बड़े शिक्षा विभाग में इन दिनों कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। स्कूल शिक्षा विभाग ने पढ़ाई तुंहर द्वार के बाद पढ़ाई तुंहर पारा की शुरुआत तो कर दी, लेकिन इस योजना कॉन्सेप्ट ही शिक्षक समझ नहीं पाए। (mohalla class in chhattisgarh )

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भिलाई

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Dakshi Sahu

Aug 27, 2020

शिक्षा विभाग ने कहा-पारा-मोहल्ले में जाकर बच्चों को पढ़ाओ..यहां स्कूल के बरामदे में चल रहीं कक्षाएं, कंफ्यूजन में टीचर

शिक्षा विभाग ने कहा-पारा-मोहल्ले में जाकर बच्चों को पढ़ाओ..यहां स्कूल के बरामदे में चल रहीं कक्षाएं, कंफ्यूजन में टीचर,शिक्षा विभाग ने कहा-पारा-मोहल्ले में जाकर बच्चों को पढ़ाओ..यहां स्कूल के बरामदे में चल रहीं कक्षाएं, कंफ्यूजन में टीचर,शिक्षा विभाग ने कहा-पारा-मोहल्ले में जाकर बच्चों को पढ़ाओ..यहां स्कूल के बरामदे में चल रहीं कक्षाएं, कंफ्यूजन में टीचर

भिलाई. सरकारी महकमे के सबसे बड़े शिक्षा विभाग में इन दिनों कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। स्कूल शिक्षा विभाग ने पढ़ाई तुंहर द्वार के बाद पढ़ाई तुंहर पारा की शुरुआत तो कर दी, लेकिन इस योजना कॉन्सेप्ट ही शिक्षक समझ नहीं पाए। जिले के गांव से लेकर शहर में प्राचार्य और प्रधानपाठक शिक्षक, स्कूल के बरामदे में ही क्लास लगाकर पढ़ाई करा रहे हैं। जिस कोरोना के डर से स्कूल को बंद रखा गया है, उसी के बीच बच्चे स्कूल कैंपस तक पहुंच रहे हैं।

आधा सत्र बीतने के बाद अब विभाग पर बोर्ड कक्षाओं का कोर्स पूरा कराने का दबाव भी आने लगा है। जिसकी वजह से अब विभाग भी किसी ने किसी तरह बच्चों का कोर्स पूरा करने में जुटा हुआ है। विभाग का कहना है कि गांवों में इंटरनेट की कनेक्टिीविटी और बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं होने के बाद अब ऑफलाइन पढ़ाई कराई जा रही है,लेकिन इसमें भी दिक्कतेंं आ रही हैं। खपरी, उमरपोटी, धमधा ब्लॉक के कई गांवों सहित दुर्ग-भिलाई के सरकारी स्कूलों में इन दिनों बरामदा क्लास चल रही है।

पालक तनाव में
पालकों का कहना है कि ऑनलाइन क्लास पूरी तरह फेल हो चुकी है। स्कूल से भेजे जा रहे लिंक तो न खुलते है और न ही उसमें बच्चों को कुछ समझ आ रहा था। अब ऑफलाइन पढ़ाई में मोहल्ले या पारा में विद्यामित्र बनाकर बच्चों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर पढ़ाई कराना था लेकिन अब स्कूल कैंपस तक भेजना पड़ रहा है। पालकों का कहना है कि घर या मोहल्ले के आसपास अगर बच्चे पढ़ते हैं तो संक्रमण का खतरा कम होगा, क्योंकि वहां संख्या कम होगी,लेकिन स्कूल में तो कम से कम 20 बच्चों को एक साथ बुलाया जा रहा है।

कोई स्पष्ट आदेश नहीं
स्कूल शिक्षा विभाग ने पढ़ाई तुंहर द्वार के तहत शिक्षकों को गांव और शहरों के मोहल्ले और पारा में जाकर छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर पढ़ाई करानी थी, पर शिक्षकों ने बरादमे में ही कक्षा लगाना शुरू कर दिया। विभाग में कोई भी लिखित आदेश नहीं है कि कक्षाएं स्कूल कैंपस में लगाई जाए, लेकिन बच्चों के भविष्य को देखते हुए आला अधिकारी भी चुप है। इधर कई शिक्षक गांव या मोहल्ले तक भी जाना नहीं चाहते, इसलिए विभाग भी संस्था के प्रमुखों पर ज्यादा दबाव नहीं डाल रहा, ताकि शिक्षक अपने स्कूल एरिया तक पहुंचे और बच्चों को पढ़ाएं।

कोर्स की भी जानकारी नहीं
कोरोना की वजह से सीबीएसई स्कूलों में सिलेबस कम करने की बात की जा रही है। एनसीईआरटी ने तीन-तीन महीने के हिसाब से कोर्स डिजाइन भी कर लिया है, लेकिन सीजी बोर्ड ने इस संबंध में अब तक कोई तैयारी नहीं की। बोर्ड कक्षाओं के लिए अब न तो सिलेबस कम करने के कोई निर्देश जारी हुए हैं और न ही आगे की प्लानिंग के लिए कुछ आया है। ऐसे में विभाग भी परेशान है कि वे किस तरह कोर्स को कंप्लीट कराए। अगस्त बीतने को हैं, ऐसे में रोडमैप के अनुसार पढ़ाई कराई जाए तो दिसंबर तक कोर्स भी पूरा कराना होगा।

शिक्षकों को करना है मोटिवेट
डीईओ प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि बरामदे में क्लास लगाने का कोई आदेश नहीं है,लेकिन अगर कही पर टीचर्स को जगह नहीं मिलती है तो यह आखिरी ऑप्शन रखा गया है। पढ़ाई तुंहर द्वार में शिक्षकों को गांव- और मोहल्ले में बच्चों, पालकों और उन युवाओं को मोटिवेट करना है, जो बच्चों को वहां नि:शुल्क पढ़ा सकते हैं और शिक्षकों को भी मोहल्ले में जाकर क्लास लेनी है। वहीं कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन का भी पालन कराना है। कंटेटमेंट जोन में क्लास वहां के पार्षद और स्थानीय निकाय के अधिकारी की सहमति के बाद ही लगानी होगी।


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