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एसी कोच में कॉकरोच ने सोने नहीं दिया, चूहे कपड़े कुतर गए, अब रेलवे जीएम देगा हर्जाना

पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस के एसी कोच में कॉकरोच, चींटियां और चूहे होने की वजह से मुसाफिर को कष्टप्रद यात्रा करना पड़ा। फोरम ने रेलवे को आदेश दिया है कि एक माह के भीतर परिवादी को 7500 रुपए मानसिक कष्ट के लिए और 15 सौ रुपए वाद व्यय के लिए दे।

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एसी कोच में कॉकरोच ने सोने नहीं दिया, चूहे कपड़े कुतर गए, अब रेलवे जीएम देगा हर्जाना

दुर्ग@Patrika. पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस के एसी कोच में कॉकरोच, चींटियां और चूहे होने की वजह से मुसाफिर को कष्टप्रद यात्रा करना पड़ा। (Indian Railway) इस मामले में तमेरपारा निवासी अधिवक्ता अभिषेक वैष्णव, उनकी पत्नी दीपिका,बेटी कनिष्का और बेटा तनिष्क के संयुक्त परिवाद पर (Durg District Consumer Forum) जिला उपभोक्ता फोरम में फैसला सुनाया गया। (Bilaspur Railway Zone) फोरम के सदस्य राजेंद्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने फैसले में बिलासपुर रेलवे जोन के जनरल मैनेजर को दोषी ठहराया। ( AC coach of Puri-Jodhpur Express) फोरम ने रेलवे को आदेश दिया है कि एक माह के भीतर परिवादी को ७५०० रुपए मानसिक कष्ट के लिए और १५ सौ रुपए वाद व्यय के लिए दे। (Consumer forum decision)

हाथ धोने के लिए मिनरल वाटर खरीदना पड़ा
परिवादी अधिवक्ता वैष्णव ने फोरम को जानकारी दी थी कि जोधपुर यात्रा के लिए उसने चांपा स्टेशन से एसी थ्री टायर में रिर्जेवशन कराया था। यात्रा दुर्ग स्टेशन से शुरू होना थी। निर्धारित समय से दो घंटे विलंब से आई ट्रेन के बी-१ कोच के बर्थ नंबर १८, २०, २१ व २२ पर बैठते ही कॉकरोच, चींटियों और चूहे का सामना हुआ। स्थिति ऐसी रही कि एसी कोच में खाना खाते समय मक्खियां भिनभिनाने लगी थी। इस वजह से वे ठीक से खाना भी नहीं खा पाए। हाथ धोने वाशिंग में पहुंचे तो वहां पानी नहीं था। दो बोतल मिनरल वाटर खरीद कर हाथ धोना पड़ा।

३० घंटे का सफर कष्टप्रद रहा
परिवादी ने जानकारी दी है कि दुर्ग से जोधपुर का सफर ३० घंटे का रहा। रात में काकरोच ने उन्हें सोने नहीं दिया। जींस और स्वेटर को चूहे ने कुतर दिया। सुबह जागने पर यह हालत देखकर वे हैरान थे। एसी कोच के टायलेट में पानी तक नहीं था।

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शिकायत करने पर निराकरण नहीं किया
यात्रा के दौरान कष्ट होने पर पीडि़त परिवार ने टीसी से मौखिक शिकायत की। इसके बाद भी शिकायत का निराकरण नहीं किया गया। बाद में रेलवे को विधिवत नोटिस दिया, इसके बाद भी रेलवे ने नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया। परिवादी का कहना था कि ट्रेनों में काकरोच व अन्य कीट, चूहों के लिए ट्रीटमेंट करने का प्रवधान है। रेलवे ने ऐसा कुछ नहीं किया।

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जुर्माना जमा नहीं करने पर रेलवे का जवाब निरस्त
सुनवाई के दौरान रेलवे के अधिकारी उपस्थित हुए। जवाब प्रस्तुत करने फोरम ने ४५ दिनों की मोहलत दी। निर्धारित दिनों में जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर २००० जुर्माना किया गया था, लेकिन रेलवे ने जुर्माना की राशि को जमा नहीं किया। इसे गंभीरता से लेते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने जवाब दावा को प्रकरण से पृथक कर दिया।