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कोरोना कोविड-19 : विचाराधीन 63 बंदियों को 30 अप्रैल तक के लिए जमानत, अब तक 162 विचाराधीन बंदी रिहा

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर न्यायालय बंद है। ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट के निर्देश पर जेल में भीड़ कम करने विचाराधीन बंदियों को अंतरिम जमानत और सजायाफ्ता को पैरोल पर छोड़ा जा रहा है। मंगलवार को 63 विचाराधीन बंदियों को 30 अप्रैल तक के लिए अंतरिम जमानत दी गई है।

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6 साल की मासूम से मुंहकाला करने वाला 62 साल का आरोपी मरते दम तक रहेगा जेल में

6 साल की मासूम से मुंहकाला करने वाला 62 साल का आरोपी मरते दम तक रहेगा जेल में

दुर्ग@Patrika.कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर न्यायालय बंद है। ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट के निर्देश पर जेल में भीड़ कम करने विचाराधीन बंदियों को अंतरिम जमानत और सजायाफ्ता को पैरोल पर छोड़ा जा रहा है। मंगलवार को 63 विचाराधीन बंदियों को 30 अप्रैल तक के लिए अंतरिम जमानत दी गई है। जमानत आदेश मिलते ही देर शाम बंदियों को रिहा कर दिया गया।

ऐसे बंदियों को भी रिहाई का आदेश जारी किया है जिन्होंने जमानत का आवेदन प्रस्तुत नहीं किया
बता दें कि सजायाफ्ता बंदियों को अवकाश पर (पैरोल) पर घर जाने दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर न्यायालय कोरोना लॉकडाउन को देखते हुए ऐसे बंदियों को भी रिहाई का आदेश जारी किया है जिन्होंने जमानत का आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। जेल में भीड़ को कम करने के लिए अब तक 162 विचाराधीन बंदियों को 30 अप्रैल तक अंतरिम जमानत दिया जा चुका है।

पहले देखा गया रिकार्ड
खास बात यह है कि कैदियों को अंतरिम जमानत देने से पहले उनका रिकार्ड देखा गया। खूंखार व आतदन बदमाश को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। अवधि समाप्त होने के निर्धारित पेसी में आरोपी को अनिवार्य रु प से उपस्थित होना होगा।

पैरोल पर छुटने वालों की संख्या 61
सजायाफ्ता कैदियों को भी पैरोल पर रिहा किया जा रहा है। दुर्ग सेंट्रल जेल से दो बार में कुल 61 कैदियों को पैरोल पर रिहा कर जेल प्रशासन ने संबंधित थाना को इसकी सूची भेज दी है। स्थानीय पुलिस पैरोल पर छुटे हुए कैदियों पर नजर रखेगी।

नियम में यह बदलाव
खास बात यह है कि अंतरिम जमानत देने के लिए पूर्व में 3 माह जेल में रहना अनिवार्य किया गया था, लेकिन वर्तमान आदेश में पुरुष के लिए 3 सप्ताह और महिलाओं के लिए 2 सप्ताह जेल में रहना अनिवार्य किया गया है। हालांकि दुर्ग केन्द्रीय जेल से एक भी महिला को अंतरिम जमानत नहीं मिली है।

इस श्रेणी के बंदियों को नहीं मिला लाभ
- दुष्कर्म की धारा के तहत विचाराधीन प्रकरण
- पॉक्सो एक्ट के तहत विचाराधीन प्रकरण
- छेडख़ानी के विचाराधीन प्रकरण
-धोखाधड़ी के विचाराधीन प्रकरण
- चीटफंड एक्ट के तहत प्रकरण

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