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पत्रिका इम्पैक्ट: इंजीनियरिंग स्टूेंड्स के लिए राहतभरी खबर, पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया में अब 8 की जगह 4 अंक पर्याप्त

इंजीनियरिंग कर रहे छात्रों को देर से ही सही पर बड़ी राहत दी है। पुनर्मूल्यांकन के लिए कुल माक्र्स के 10 फीसदी अंकों का न बढऩा आपको परेशान नही करेगा।

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भिलाई. छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग कर रहे छात्रों को देर से ही सही पर बड़ी राहत दी है। अब पुनर्मूल्यांकन के लिए जरूरी कुल माक्र्स के 10 फीसदी अंकों का न बढऩा आपको परेशान नहीं करेगा। विवि प्रशासन पुनर्मूल्यांकन के दायरे में बदलाव किया है। नई व्यवस्था के तहत अब 10 की जगह पांच फीसदी अंकों के अंतर पर भी पुनर्मूल्यांकन में शामिल हो पाएंगे। वैसे तो इस बदलाव का आदेश तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने एक साल पहले ही जारी कर दिया था। एक साल तक दो सेमेस्टर के विद्यार्थी इस सुविधा से वंचित रह गए, लेकिन देर आए दुरुस्त आयद की तर्ज पर अब विवि ने अध्यादेश में संशोधन कर इस व्यवस्था को आगामी सेमेस्टर से लागू कर दिया है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने लिया था निर्णय

उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया था। यह २२ नवंबर २०१६ की बात है, जिसमें मंत्री ने सभी विश्वविद्यालयों के लिए यह व्यवस्था लागू कराई थी। सीएसवीटीयू को छोड़कर अन्य सभी विश्वविद्यालय पुनर्मूल्यांकन की इस व्यवस्था को पहले ही लागू कर चुके हैं, अब तकनीकी विवि भी इस दायरे में आ जाएगा।

पहले क्या था नियम
पास होने के लिए २८ अंक मिलना जरूरी होता है। मान लीजिए ओरिजनल मूल्यांकन में यदि इंजीनियरिंग छात्र को २५ अंक मिले हैं। उसने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया है। विवि की ओर से पुनर्मूल्यांकन दो एग्जामनर से कराया जाता है। रिजल्ट परिवर्तन के लिए जरूरी है कि दोनों एग्जामनर में से किसी एक के द्वारा दिए अंक अधिकतम माक्र्स के 10 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए। यहां अगर अधिकतम माक्र्स ८० का 10 फीसदी यानि आठ अंक का अंतर होगा तभी उसे रिजल्ट परिर्वतन के लिए मान्य किया जा सकेगा यदि एग्जामनर का अंतर १० फीसदी से कम हुआ तो उसपर विचार नहीं होगा। परीक्षा परिणाम यथावत रहता है।

बदलाव के बाद राहत कैसे

अध्यादेश में हुए संशोधन के बाद अब तकनीकी विश्वविद्यालय में पुनर्मूल्यांकन का दायरा बदल जाएगा। पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया में अब ८ की जगह ४ अंक बढऩे पर भी छात्र की कॉपी रिजल्ट परिवर्तन के लिए आगे बढ़ाई जा सकेगी। ऐसे छात्र जो पासिंग माक्र्स से महज दो या तीन अंकों से चूक जाते थे, क्योंकि विवि इनकी कॉपी को पुनर्मूल्यांकन के लिए विचार नहीं किया जाता था। अब नई व्यवस्था से १० से ५ फीसदी करने पर वह छात्र भी शामिल हो सकेंगे।

पत्रिका सबसे पहले
इस नई व्यवस्था की खबर पत्रिका ने सबसे पहले १० दिसंबर २०१६ को प्रकाशित की थी। तब विवि प्रशासन ने कहा था कि अध्यादेश में संशोधन किए बिना इसे लागू नहीं किया जा सकता। पत्रिका ने छात्रहित के इस मुद्दे पर लगातार खबरें प्रकाशित की, क्योंकि एक साल के भीतर दो सेमेस्टर के सैकड़ों विद्यार्थी पुनर्मूल्यांकन की नई व्यवस्था से चूक गए। आखिरकार विवि ने इसे अब लागू किया है।

इस सेमेस्टर से लाभ मिलेगा
सीएसवीटीयू के रजिस्ट्रार डीएन सिरसांत ने बताया कि अब पांच फीसदी अंकों के आधार पर पुनर्मूल्यांकन किया जा सकेगा। विवि ने अध्यादेश में संशोधन करा लिया है। इस सेमेस्टर से छात्रों को इसका लाभ मिलेगा।