
Bhilai बीएमवाई चरोदा में सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की स्थापना
भिलाई. भिलाई मार्शलिंग यार्ड के आई, जे और एफ केबिन का आधुनिकीकरण का काम पिछले नौ दिनों तक आई, जे, एफ, डी, ई, जी, एच और पी केबिन के नान-इंटरलॉकिंग काम के बाद शुक्रवार को सफलतापूर्वक पूरा हुआ। यह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की अब तक की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग ईआई है। जिसमें फाइबर आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग प्रणाली की स्थापना की गई है।
अधिकारियों व कर्मियों ने किया निरंतर काम
आधुनिकीकरण को बढ़ाते हुए रेलवे बोर्ड ने पुराने यांत्रिक लीवर फ्रेम संचालित आई, जे और एफ केबिन (1964 में स्थापित किया गया था) को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की अनुमति मिली थी। इस परियोजना में 15 करोड़, 7 लाख 36 हजार रुपए खर्च हुए। इसे समय सीमा पर पूरा करने के लिए विभाग के अधिकारियों व कर्मियों ने निरंतर काम किया। इस दौरान दावा किया जाता है कि कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया।
57 साल बाद बड़ा बदलाव, कम कर्मियों से होगा अधिक सुरक्षित काम
रेलवे ने 57 साल बाद पुराने यांत्रिक लीवर फ्रेम संचालित आई, जे और एफ केबिन को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग तब्दील किया है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग होने से ट्रेनों का संचालन तीव्र गति से किया जाएगा। अभी तक तीन केबिन से ट्रेनों का संचालन किया जाता है। जबकि अब केंद्रीय संचालन से केवल एक स्थान से संचालन संपन्न किया जाएगा। इससे जहां एक ओर मैन पावर की बचत होगी। वहीं सुरक्षा में भी और कुशलता बढ़ेगी। संचालन तीव्र गति से पूरा होने से यातायात की सुविधा में इजाफा होगी और परिचालन में उत्तरोत्तर तीव्र गति से होगा।
रख-रखाव में होगी आसानी
इलेक्ट्रॉनिक इंट्रलॉकिन से संचालन की विश्वसनीयता में सुधार व परिसंपत्तियों के रख-रखाव में आसानी होगी। इसमें अलार्म सिस्टम के साथ स्टैंडबाय फ्यूज रहेगा जिससे फेलियर की स्थिति में संचार बाधित नहीं होगा व फेलियर का पता रीयल टाइम में आसानी से मिल जाएगा। अलग-अलग लाइनों पर आग लगने का पता लगाने के लिए अलार्म प्रणाली भी अपनाया गया है।
Published on:
29 Oct 2021 09:26 pm
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