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भिलाई

Father’s Day: ये हैं छत्तीसगढ़ में एक लाख पेड़ों के पिता गेंदलाल, बुजुर्ग ट्री-मेन का प्रकृति से प्यार बन गया जुनून

एक पेड़ दस पुत्र के समान होता है। भागवत कथा का यह वाक्य कोडिय़ा गांव के प्रकृति प्रेमी गेंदलाल देशमुख के ह्दय में ऐसा उतरा कि उसने पूरा जीवन ही पौधे लगाने में खपा दिया। (Father’s Day 2020)

भिलाईJun 21, 2020 / 02:16 pm

Dakshi Sahu

Father's Day: ये हैं छत्तीसगढ़ में एक लाख पेड़ों के पिता गेंदलाल, ऐसे बुजुर्ग ट्री-मेन का प्रकृति से प्यार बन गया जुनून

Father’s Day: ये हैं छत्तीसगढ़ में एक लाख पेड़ों के पिता गेंदलाल, ऐसे बुजुर्ग ट्री-मेन का प्रकृति से प्यार बन गया जुनून

भिलार्ई. एक पेड़ दस पुत्र के समान होता है। भागवत कथा का यह वाक्य कोडिय़ा गांव के प्रकृति प्रेमी गेंदलाल देशमुख के ह्दय में ऐसा उतरा कि उसने पूरा जीवन ही पौधे लगाने में खपा दिया। चार दशक से नि:स्वार्थ भाव से इस काम में लगे देशमुख अब तक एक लाख से अधिक पेड़ लगा चुके हैं। उन्होंने अपने गांव की 5 एकड़ बंजर जमीन को हरे-भरे जंगल में बदल दिया है। 90 साल की उम्र में देशमुख अब भी इस काम में लगें हैं। जुनून के पक्के इस दाड़ी वाले बाबा को लोग प्यार से ट्री-मेन के नाम से भी जानते हैं। आज पूरी दुनिया फादर्स डे मना रही है, इसलिए हम आपको प्रकृति का पोषण करने वाले इस पिता से रूबरू करा रहे हैं। (environmental activist chhattisgarh gaind lal deshmukh)
पौधे अब वृक्ष बन गए
देशमुख ने दुर्ग से लगे अपने गांव कोडिय़ा तक 8 किलोमीटर में सड़के के दोनों किनारे बरगद, पीपल और नीम के पौधे रोपे हैं। ये पौधे अब वृक्ष बन गए हैं। कोडिय़ा से भनपुरी तक और भनपुरी से अंडा के बीच 9 किलोमीटर सड़क के दोनों किनारों पर भी उन्होंने पौधे रोपे हैं। यह सब बिना सरकारी सहयता के किया है। पेड़ों को कटते देख उन्हें बहुत पीड़ा होती है। बिजली के तार खींचने के लिए जगह होने के बाद भी पेड़ से सटाकर जब तार खींचा गया तो गेंदलाल ने बहुत विरोध किया। बिजली की तारों की वजह से सैकड़ों पेड़ों को बेवजह काट दिया गया।
Father's Day: ये हैं छत्तीसगढ़ में एक लाख पेड़ों के पिता गेंदलाल, ऐसे बुजुर्ग ट्री-मेन का प्रकृति से प्यार बन गया जुनून
पेड़ों के औषधीय गुणों से परिचित
बिजली तार के लिए उनके उगाए पेड़ों को काट दिया गया। गरीबी के कारण 10 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़कर खेती करने वाले देशमुख पौधे लगाने के साथ उसके देखभाल को पुण्य का काम मानते हैं। वे पेड़ लगाने के बाद बड़े होने के तक देखभाल व सुरक्षा करते हैं। पेड़ों के औषधीय गुणों से परिचित हो गए है। वे प्राकृतिक तरीके से लोगों का उपचार भी करते हैं।
दिवंगत पुरखों की याद में भी किया पौधरोपण
पर्यावरण हितवा संगवारियों ने जन्म दिवस और दिवंगत पुरखों की याद में भी पौधरोपण की परंपरा इन्होंने शुरू की है। इनके कार्यों को देखने तत्कालीन कलेक्टर रीनाबाबा साहेब कंगाले गांव पहुंची थी। उन्होंने पौधे रोपे और पर्यावरण रैली में शामिल भी हुई थी। पर्यावरण जागरूकता के क्षेत्र में अनोखी मिसाल पेश करने वाले ट्री-मेन को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी सम्मानित किया था।

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