12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Bhilai IIT: आईआईटी के 4 रिसर्चर ने बनाया 4डी-प्रिंटेड स्मार्ट पॉलिमर, डेटा सेंटरों की हिफाजत भी करेगा

Bhilai IIT: पॉलिमर डेटा सेंटरों की सुरक्षा में भी अहम किरदार निभाएगा। यह शोध आईआईटी भिलाई के शोधकर्ताओं भनेन्द्र साहू, निशिकांत सिंह, सुदीप्ता पॉल और डॉ. संजीब बनर्जी की टीम ने पूरा किया है।

2 min read
Google source verification

भिलाई

image

Love Sonkar

Oct 09, 2025

Bhilai IIT: आईआईटी के 4 रिसर्चर ने बनाया 4डी-प्रिंटेड स्मार्ट पॉलिमर, डेटा सेंटरों की हिफाजत भी करेगा

भिलाई आईआईटी (Photo Patrika)

Bhilai IIT: आईआईटी भिलाई के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा शोध किया है जो आने वाले समय में मेडिकल साइंस की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। टीम ने 4डी-प्रिंटेड स्मार्ट पॉलिमर मटेरियल तैयार किया है, जो तापमान के अनुसार अपना आकार खुद बदल सकता है। इसकी मदद से हार्ट सर्जरी के दौरान ड्रग और स्टंट को पहुंचाने में मदद मिलेगी।

वहीं, यह पॉलिमर डेटा सेंटरों की सुरक्षा में भी अहम किरदार निभाएगा। यह शोध आईआईटी भिलाई के शोधकर्ताओं भनेन्द्र साहू, निशिकांत सिंह, सुदीप्ता पॉल और डॉ. संजीब बनर्जी की टीम ने पूरा किया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि अभी तक 3डी प्रिंटिंग में हम किसी वस्तु को एक निश्चित आकार में बनाते हैं,

लेकिन 4डी प्रिंटिंग में बनाई गई वस्तुएं समय या तापमान जैसे किसी बाहरी प्रभाव के अनुसार अपने आप आकार बदल सकती हैं। यानी अगर किसी चीज को गर्म किया जाए या शरीर में डाला जाए तो वह अपने आप खुल सकती, मुड़ सकती या फैल सकती है। आईआईटी भिलाई की यह खोज दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए नई दिशा खोल सकती है। यह तकनीक पॉलिमर साइंस, रोबोटिक्स और मेडिसिन के संगम से बनी है, जो आने वाले वर्षों में मानव जीवन बचाने, सर्जरी के खतरे कम करने और इलाज को और स्मार्ट बनाने में मदद करेगी।

कहां-कहां आ सकता है काम

इंजेक्टेबल बायो-रोबोट्स जो शरीर के अंदर जाकर काम कर सकते हैं, यहां इसका उपयोग किया जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि यह बायोडिग्रेडिबल है जिससे यदि इसे शरीर के अंदर भी छोड़ दिया जाए तो भी यह अपने आप घुलकर खत्म हो सकता है। इसके अलावा एडैप्टिव प्रोस्थेटिक्स (कृत्रिम अंग) जो शरीर के तापमान के अनुसार अपने आप एडजस्ट हो जाएं, इसके लिए भी इसका इस्तेमाल कर पाएंगे। दवाओं की डिलीवरी करने वाले माइक्रो-डिवाइस जो केवल जरूरत पडऩे पर सक्रिय हों, ये पॉलिमर काम आएगा।

यह तकनीक मेडिकल डिवाइस और इम्प्लांट्स के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे सकती है। इन स्मार्ट मटेरियल्स का इस्तेमाल करके ऐसे इम्प्लांट्स या उपकरण बनाए जा सकते हैं, जो शरीर के अंदर स्वयं खुल या फैल सकते हैं, जिससे सर्जरी की जरूरत कम होगी और रिकवरी भी तेज होगी। इसके अलावा यह पॉलिमर तापमान के हिसाब से खुद को ढालने की कला रखता है, जिससे इसका इस्तेमाल अतिसंवेदनशील कार्यालयों और सर्वर रूम में भी काम आ सकता है।

आम तौर पर इन जगहों पर लगाए जाने वाले फायर अलार्म बहुत अधिक गर्मी होने पर बजते हैं जिससे कई बार बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं। यहां यह पॉलियर बेहद काम का होगा। यह 44 डिग्री सेल्सियस की गर्मी के वातावरण को महसूस करते हुए खुद का आकार बदल लेता है। यानी फायर अलार्म में इसका इस्तेमाल हो सकेगा। अलार्म में दो सर्किट को जोड़कर बजर बजाने का समय कम हो जाएगा, जिससे वक्त रहते चीजों को ठीक करने में भी बड़ी मदद मिलेगी।