
Durg स्वास्थ्य विभाग का इंफ्रास्ट्रक्चर हो रहा मजबूत, अब विशेषज्ञों की है जरूरत
भिलाई. कोरोनाकाल के बाद दुर्ग जिला में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी व्यवस्था में खासी तब्दीली आ रही है। लोगों को मोहल्लों में स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं मिल रही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में खून समेत अन्य जांच की व्यवस्था की जा रही है, जिससे मरीज को जिला अस्पताल तक का सफर करने की जरूरत न पड़े। स्वास्थ्य केंद्रों में नई व्यवस्था इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर किया जा रहा है। सबसे बड़ी कमी अगर अब नजर आ रही है तो वह विशेषज्ञ और टेक्नीकल स्टाफ की कमी का है। यही वजह है कि मरीज सरकारी अस्पताल आने के बाद मजबूरी में लौटकर अस्पतालों व नर्सिंग होम में जा रहे हैं।
विशेषज्ञ और कर्मियों की है जरूरत
500 बिस्तर के जिला अस्पताल, दुर्ग में ह्दयरोग, न्यूरो विशेषज्ञ नहीं है। इसी तरह से एमडी मेडिसीन, सर्जिकल विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ जितनी संख्या में चाहिए, उतने नहीं है। 80 बेड के सिविल हॉस्पिटल, सुपेला में एमडी मेडिसीन, सर्जिकल विशेषज्ञ, पैथोलॉजिस्ट नहीं है। वार्ड ब्वाय 4 है तीनों पाली में काम करने कम से कम 15 चाहिए। नर्सिंग स्टाफ 25 चाहिए, यहां भी 18 के आसपास है। हड्डी रोग विशेषज्ञ सप्ताह में 3 दिन जिला अस्पताल में और 3 दिन सिविल हॉस्पिटल में समय दे रहे हैं। सिविल अस्पताल में न्यूरो से संबंधित मामले आते हैं तो हायर सेंटर के लिए रेफर करना पड़ता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कोहका में स्टाफ नर्स को लैब टेक्नीशियन का काम करना पड़ रहा है। यह कमी दूसरे सेंटरों में भी नजर आ रही है। यहां सप्ताह में एक दिन लैब टेक्नीशियन आते हैं। हिमोग्लोबिन नि:शुल्क जांच किया जा रहा था, तब यह देेखने को मिला। जीवनदीप समिति के माध्यम से नए कर्मियों को काम पर रखा जाता था, लेकिन जब से पर्ची बनाने के लिए शुल्क लेना बंद किया गया है। तब से जीवनदीप समिति के कोष में राशि आना बंद हो गया है। इस वजह से नए कर्मी भी नहीं रखे जा रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में गायनेकोलॉजिस्ट की कमी को दूर करना होगा। जिससे डिलीवरी के लिए मदर चाइल्ड यूनिट, दुर्ग के लिए हर केस को रेफर करने की जरूरत न पड़े। सिविल अस्पताल में भी इसकी कमी थी, जिसे कलेक्टर, दुर्ग ने हायर करवा के दूर किया है।
जिला अस्पताल में दबाव हो जाएगा कम
विशेषज्ञ और कर्मियों की संख्या पीएचसी, सीएचसी में पर्याप्त हो जाए तो मरीजों को जिला अस्पताल, दुर्ग या हायर सेंटर में रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तब जिला अस्पताल में मरीजों का दबाव अपने आप कम हो जाएगा। इसी तरह से मदर चाइल्ड यूनिट में भी पूरे जिला के पीएचसी, सीएचसी से डिलीवरी के लिए मरीजों को भेजा जाता है। अगर वहीं पर ही यह डिलीवरी होने लगे तो मरीजों के रिश्तेदारों को घर के आसपास बेहतर सुविधा मिलने लगेगी। इससे निजी अस्पतालों में जाने वाले भी सरकारी अस्पतालों का रुख करेंगे।
हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के रूप में हो रहे अपडेट
जिला में भिलाई-तीन पीएचसी, कोहका पीएचसी, खुर्सीपार पीएचसी समेत अन्य को हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के रूप में अपडेट किया गया है। इसकी वजह से यहां 24 घंटे कम से कम डिलीवरी के मरीजों को दाखिल करने की व्यवस्था कर दी गई है। इसका लाभ लोगों को मिलने भी लगा है।
लैब में आ रही नई मशीनें
जिला के सरकारी अस्पतालों में मौजूद लैब में नई मशीनें आ रही हैं। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत है। इसकी कमी लंबे समय से महसूस की जा रही है। नई मशीन आने के बाद खुर्सीपार में लबे समय तक धूल खाती रही, बाद में वहां के एक स्टाफ को प्रशिक्षण देने की बात कही गई।
Published on:
07 Apr 2022 10:28 pm
बड़ी खबरें
View Allभिलाई
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
