
दुर्ग जिले के दो प्रत्याशी जीत गए तो बल्ले-बल्ले, हार गए तो भी बने रहेंगे इस पद पर
भिलाई@Patrika. छत्तीसगढ़ में चौथी बार किसकी सरकार बनेगी यह 11 दिसंबर को तय हो जाएगा। इसके इतर रोज-रोज नए राजनीतिक समीकरण बनते-बिगड़ते दिख रहे हैं। ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है कि राजनीतिक विश्लेषकों के अलावा जनता के पास भी परिणाम आने तक पर्याप्त समय है। जनता के बीच से जो समीकरण और चर्चा छन आ रही है उससे प्रत्याशियों के अलावा राजनीति में रुचि रखने वालों की धड़कनें भी बढ़ा देती है। इसी बीच दूसरा विश्लेषण पक्ष में दिखते ही चैन की सांस और सुकून महसूस करने लगते हैं। हम ऐसे ही दुर्ग संभाग नहीं बल्कि जिले के राजनीतिक पंडितों और समीक्षकों के उतार-चढ़ाव पर जनता को गुदगुदाने जा रहे हैं।
इनकी चित और पट भी मेरी वाली कहावत चरितार्थ
दुर्ग से चंद्रिका चंद्राकर और भिलाई से देवेंद्र यादव ने महापौर रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ा है। अब सियासी सोच से एक सवाल यह भी उभर रहा है कि क्या जिले के यह दोनों महापौर एकसाथ विधानसभा की सीढ़ी चढ़ सकेंगे? यदि दोनों जीत गए तो बल्ले-बल्ले और हार गए तो प्रथम नागरिक(महापौर) तो रहेंगे ही इनके लिए पाने को सारा जहां और खोने को कुछ नहीं वाली कहावत भी चरितार्थ होती दिख रही है।
इसके लिए दुश्मन के सभी वार हो रहे वरदान साबित
वैशालीनगर के भाजपा प्रत्याशी विद्यारतन भसीन को ऐड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद टिकट मिला था। उनके राजनीतिक दुश्मन उन पर जितने भी शब्दबाण से वार करते रहे उनके लिए वरदान ही साबित हुआ है। टिकट का विरोध करने के कारण उन्हें जनता का अनायास ही समर्थन मिल गया। उनके आगे बेचारा शब्द जुड़ गया। इस शब्द के सहारे वे जीत के कगार पर हैं। अब विरोधी राजनीतिक खेमे की ओर से सोशल मीडिया में दुष्प्रचार की नियत से उन्हें अगला सीएम बताने वाला वार भी उनके लिए शुभ ही साबित होने वाला है। सोशल मीडिया में दुष्प्रचार का उद्ेदश्य उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान ना मिले इसके लिए किया जाना जान पड़ता है। किंतु दुष्प्रचार करने वाली महिला यह भूल गई उन्हें सीएम का दावेदार बताकर उनके लिए सरकार बनने के पहले ही मंत्री बनने का रास्ता क्लीयर कर दिया है। यदि बीजेपी की सरकार बन गई तो उन्हें मंत्रिमंडल में लिया जाना लगभग सुनिश्चित हो जाएगा।
सीएम के बाद पावरफुल दूसरे नंबर के मंत्री बनेंगे
दुर्ग जिले में सबसे ज्यादा चर्चा पाटन विधान सभा क्षेत्र की हो रही है। यह सीट इसलिए भी हाईप्रोफाइल हो गया है कि कांग्रेस से सीएम के दावेदार प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल मैदान में है। वे सीएम बनते हैं या नहीं इससे ज्यादा चर्चा उनकी पराजय को लेकर हो रही है। यदि वे नए चेहरे से पराजित हो गए तो उनका राजनीतिक करियर ही खत्म हो जाएगा। वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह भी चर्चा करने से नहीं चूकते कि कांग्रेस की सरकार आने के बाद भी वे सीएम नहीं बनेंगे। यह बात उन्हें मतदान के दिन कुछ मीडिया कर्मियों के सामने स्वीकार भी चुके हैं कि सरकार बनने पर वे मनपसंद और सीएम के बाद दूसरे पावरफुल मंत्री बनेंगे।
Published on:
28 Nov 2018 09:42 pm
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