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CG News: बीएसपी में मशीनों के रखरखाव और उसकी निगरानी अब आईआईटी भिलाई का विशेष सॉफ्टवेयर करेगा। इस सॉफ्टवेयर के सेंसर्स बीएसपी के इंजीनियर्स को वक्त रहते बताएंगे कि मशीन का कौन सा पार्ट्स कब खराब होगा। पार्ट्स की वर्तमान स्थिति क्या है, वह कितने दिन और चल सकता है या इसे कब रिप्लेस करने की जरूरत है। यह पूरा डाटा संयंत्र के पास मौजूद रहेगा। इसके जरिए मशीन भी अप-टू-डेट रहेगी और हादसों पर विराम लगेगा।
बीएसपी के लिए यह सॉफ्टवेयर आईआईटी भिलाई की टीम डेवलप करने में जुट गई है। हाल ही में विभिन्न आईआईटीज के विशेषज्ञों के सामने इसको प्रदर्शित किया गया। इसको लेकर पहले चरण में सहमति बन गई है। अब आईआईटी के विशेषज्ञ संयंत्र प्रबंधन के साथ मिलकर इसकी आगे की रूपरेखा तैयार करेंगे।
ऐसे हुई बीएसपी की शुरुआत
भिलाई इस्पात संयंत्र से उत्पादन की शुरुआत 1959 में हुई। तब यहां रशियन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया। उस वक्त यह टेक्नोलॉजी सबसे शानदार मानी जाती थी, जिससे बीएसपी ने अब तक का सफर तय किया है। हालांकि इस टेक्नोलॉजी में अब भी अधिक परेशानियां नहीं आती, लेकिन कई बार हादसे हो जाते हैं। जिससे भारी जानमाल की हानि होती है। बीएसपी ने कुछ वर्ष पूर्व ही अपनी मशीनों को हाईटेक करने का काम शुरू किया है।
आईआईटी का स्टार्टअप करेगा काम
बीएसपी के साथ इस प्रोजेक्ट में काम करने के लिए आईआईटी भिलाई ने अपनी फैकल्टी और स्टूडेंट्स को साथ लेकर एक तरह का स्टार्टअप तैयार किया है, जो इस सॉफ्टवेयर को बनाने और इसके इंस्ट्रालेशन में मदद करेगा। इस प्रोजेक्ट में बीएसपी अपनी ओर से सबसे बड़ा योगदान देगा। जल्द ही इस प्रोजेक्ट को लेकर संयंत्र के इंजीनियर्स के साथ बैठक हो सकती है। इस प्रोजेक्ट के लिए शुरुआती दौर में आईआईटी भिलाई इस स्टार्टअप को करीब 7 करोड़ रुपए का अनुदान जारी कर सकता है। इस अनुदान को लेकर तीन दिनों में बड़ा फैसला आएगा। इसके बाद दोनों संस्थान के बीच एमओयू साइन किए जाएंगे।
इसलिए जरूरी है यह तकनीक
इस तकनीक के संयंत्र में पहुंचने के बाद बीएसपी को मशीनों के कॉस्ट मैनेजमेंट में बड़ी राहत मिलेगी। वक्त से पहले उक्त पार्ट्स को निकालने से बचा जा सकेगा, जो कुछ महीने और चल सकते थे। बीएसपी की मशीनों और उसके पार्ट्स बहुत महंगे हैं इसी तरह उन्हें दूसरे देशों के इम्पोर्ट करना होता है। यानी उस पार्ट्स को कुछ और महीने से चलाने से उसको बदलने का खर्च नहीं लगेगा वहीं जिस मशीन का पार्ट्स खराब होने की कगार पर होगा, उसे समय रहते बदल देंगे। इस तरह बिना काम रोके हर मशीन समय पर हो रही सर्विस के जरिए सालों साल चलेंगी।
पहले यूआरएम में प्रयोग
आईआईटी के इस विशेष सेंसर युक्त सॉफ्टवेयर क प्रयोग सबसे पहले यूनिवर्सल रेल मिल से हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यूआरएम को बीएसपी ने हाल ही में अपडेट किया है। बीएसपी ने यहां नई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया, जो सेंसर्स बेस्ट कही जाती है। आईआईटी रेल मिल से शुरुआत इसलिए कर रहा है, क्योंकि यह मशीनें इंडस्ट्रीज 4.0 की तर्ज पर स्थापित की गई हैं। इनसे सॉफ्टवेयर आधारित डाटा लिया जा सकता है। इस प्रयोग के सफल होने के बाद आईआईटी शुरुआती दौर की मशीनों को भी हाईटेक बनाने का जुगाड़ करेगा, ताकि संयंत्र में हादसों को रोका या कम किया जा सके।
आईआईटी भिलाई का यह सॉफ्टवेयर बीएसपी की मशीनों के लिए कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस करके देगा। इसकी मदद से बीएसपी के प्रोडक्शन को बेहतर बनाया जा सकेगा। आईआईटी ने इस तकनीक को प्रीडक्टिव मेंटेनेंस नाम दिया है। विशेषज्ञाें ने कहा कि बीएसपी इतना बड़ा संयंत्र है कि इसकी हजारों मशीनों का मेंटेनेंस डाटा समय रहते मैनेज करना बहुत मुश्किल काम है।
इस मेंटेनेंस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मशीनों की वजह से ब्रेकडाउन नहीं होगा। उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। इंजीनियर्स उन मशीनों को पहले ही ठीक कर चुके होंगे, जिसमें आगे दिक्कते आ सकती हैं।
प्रो. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर, आईआईटी भिलाई ने कहा, देशभर के आईआईटीज, एम्स और मैनेजमेंट स्कूल की फैकल्टी 35 स्टार्टअप आइडिया लेकर आई जिसमें से 10 को शॉर्ट लिस्टिंग किया गया है। इसमें बीएसपी के लिए प्रीडक्टिव मेंटनेंस भी चुना गया है। यह तकनीक बीएसपी को बहुत फायदा पहुंचाएगी। इस संबंध में आगे की प्रक्रिया चल रही है।
Published on:
28 Mar 2023 04:32 pm
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