
कमरछठ व्रत: संतान की लंबी आयु के लिए माताओं ने रखा निर्जला व्रत, सगरी बनाकर की शिव-पार्वती की पूजा
भिलाई. कमरछठ में इस बार माताओं को सगरी की पूजा करने के लिए सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना पड़ा। इसके लिए कई जगह पूजन की जगह पर वाइट मार्किग की गई, ताकि महिलाएं उस मार्किग के अंदर रहकर डिस्टेसिंग को मैनेंज कर सकें। रविवार को संतान की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर कमरछठ की पूजा की। भगवान शिव की आराधना करके बिना हल के साग, सब्जी और पसहर चावल का भोग बनाकर ग्रहण किया। महिलाओं ने अलग-अलग मंदिरों और घरों में पूजा संपन्न की।
छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार
कमरछठ व्रत छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे हलछठ या हलषष्ठी भी कहा जाता है। इस व्रत को करने वाली माताएं निर्जला रहकर शिव-पार्वती की पूजा करती है। सगरी बनाकर सारी रस्में भी निभाई गई और कमरछठ की कहानी सुनकर शाम को डूबते सूर्य को अध्र्य देने के बाद अपना व्रत खोलेंगी। इस व्रत को यूपी-बिहार के पावन छठ व्रत की तरह ही माना जाता है जो संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है।
सगरी बनाकर की पूजा
कमरछठ की पूजा के लिए महिलाएं गली-मोहल्ले में मिलकर प्रतीक स्वरूप दो सगरी(तालाब) के साथ मिट्टी की नाव बनाया और फूल-पत्तों से सगरी को सजाकर वहां महादेव व पार्वती की पूजा की। दिनभर निर्जला व्रत रहकर शाम को सूर्य डूबने के बाद व्रत खोलेंगी। मरोदा निवासी ज्योति चंद्राकर, दिव्या साहू ने बताया कि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। बिहार में जिस तरह छठ मईया की पूजा होती है उसी तरह छत्तीसगढ़ में कमरछठ का महत्व है जो संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
आज सुबह बांटे दूध-दही
इस बार लॉकडाउन के बीच कमरछठ पर माताओं के लिए पूजन सामग्री की व्यवस्था करा रहे निगम के नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन पिछले कई दिनों से पहसर चावल तो बांट ही रहे हैं, साथ ही वे रविवार सुबह भैंस का दूध व दही भी नि:शुल्क उपलब्ध करायाञ उन्होंने बताया कि वैशाली नगर सहित रामनगर में होने वाली पूजा के लिए उन्होंने सगरी बनाने की जगह पर वाइट मार्किग कराई, ताकि महिलाएं स्वयं ही सोशल डिस्टेंस आसानी से बना सकें।
Published on:
09 Aug 2020 01:32 pm
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