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सुसाइड से पहले NEET स्टूडेंट ने शेयर किया भावुक वीडियो, कहा- पैरेंट्स को लगता है हम पर प्रेशर नहीं है और… मौत

NEET Students suicide case in cg : छात्र प्रभात कुमार निषाद ने नीट की परीक्षा के ठीक एक दिन पहले मौत को गले लगा लिया। दो बार नीट में असफल होने के बाद उसके पास खुद को साबित करने का यह आखिरी मौका था, लेकिन शायद प्रभात यह प्रेशर नहीं झेल पाया और फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली।

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NEET Student Suicide case

भिलाई। NEET Students suicide case : मुझे पिछले एक महीने से वॉमेटिंग (उल्टी) हो रही थी। कभी-कभी इसमें ब्लड भी आ रहा था। आई एम सफरिंग फ्रॉम लॉट ऑफ थिंग्स...सबका कॅरियर एक जैसा नहीं बनता। जिसका बन जाता है, वो तो बहुत खुश रहता है। जिसका नहीं बनता वो क्या करता होगा? सबको एक्सपेक्टेशन है कि ये होगा, वो होगा... ये करेगा, वो करेगा... पैरेंट्स को लगता है कि हम पर प्रेशर नहीं है, एग्जाम ही तो है। पर ऐसा नहीं है। बहुत सारी चीजें हमारे माइंड में भी रहती हैं। (भावुक होकर सोआसा) मुझे नहीं पता मैं क्या-क्या बोल रहा हूं... ये शब्द शनिवार को आत्महत्या करने वाले छात्र प्रभात कुमार निषाद के हैं, जिसने नीट की परीक्षा के ठीक एक दिन पहले मौत को गले लगा लिया। दो बार नीट में असफल होने के बाद उसके पास खुद को साबित करने का यह आखिरी मौका था, लेकिन शायद प्रभात यह प्रेशर नहीं झेल पाया और फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली।

दोस्तों ने सबसे पहले देखा
NEET Students suicide case in cg : छात्र रिसाली के प्रगति नगर में एक किराए के घर में रहकर तैयारी कर रहा था। शनिवार की शाम को उसके दोस्त मिलने घर पहुंचे तो जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने के बाद भी छात्र ने दरवाजा नहीं खोला। किसी अनहोनी की आशंका के साथ जब दोस्तों ने खिड़की से झांककर कमरे के भीतर देखा तो आंखे फटी रह गईं। छात्र प्रभात कुमार निषाद पंखे पर बेटसीट का फंदा बांधकर आत्महत्या कर चुका था। इस मामले की सूचना मिलते ही नेवई पुलिस मौके पर पहुंची। परिजनों के सामने मृतक छात्र को फांसी के फंदे से उतारा गया। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल रवाना कर दिया।

तीन साल से कर रहा था तैयारी
प्रभात के पिता कमलेश कुमार निषाद शिक्षक हैं। छात्र ने वर्ष 2022-21 में 12वीं परीक्षा पास की थी। इसके बाद भिलाई में आकर वह नीट की तैयारी करने लगा। दो बार उसने नीट का एग्जाम दिया, लेकिन दोनों ही बार असफल रहा। वर्ष 2023 में तीसरी बार नीट एग्जाम देने जा रहा था। 7 मई रविवार को उसका पेपर था, लेकिन एक दिन पहले उसने मौत को गले लगा लिया।

आत्महत्या से पहले बनाया वीडियो

टीआई ने बताया कि घटना स्थल की जांच के दौरान कोई सुसाइडल नोट नहीं मिला, लेकिन प्रभात के मोबाइल को जप्त किया गया। सुसाइड करने से पहले उसने अंग्रेजी और हिंदी में दो वीडियो बनाया है। नीट की परीक्षा को लेकर वह काफी डिप्रेशन में था। उसने परीक्षा के दौरान हो रही परेशानी को वीडियो में साझा किया है। बेहद भावुक तरीके से उसने अपना वीडियो बनाया है।

हर किसी को निभानी होगी जिम्मेदारी

छत्तीसगढ़ और सीबीएसई बोर्ड के नतीजे 15 मई तक जारी हो सकते हैं। कुछ बच्चों के पेपर बहुत अच्छे गए होंगे तो कुछ के बिगड़े भी होंगे। इस जद्दोजहद में कई बार यह तनाव इस हद तक बढ़ रहा है कि वह आत्मघाती कदम तक उठा रहे हैं। बच्चों को ऐसा करने से रोकने और उन्हें समझाइश देने के लिए सभी की जिम्मेदारी बराबरी की है। रिजल्ट के समय यदि बच्चों की मनोस्थिति को नहीं समझा गया तो यह उनका मोरल डाउन करेगा। इसलिए बच्चों से लेकर पैरेंट्स, पड़ोस और समाज सभी की जिम्मेदारी बराबर की है।

परिवार के लिए नाजुक घड़ी

नेवई टीआई ममता अली शर्मा ने बताया कि शनिवार शाम 6.30 बजे एक जनप्रतिनिधि ने सूचना दी। तत्काल टीम मौके पर पहुंची। घटना स्थल का मुआयना किया। मृतक के मोबाइल फोन को जब्त किया। परिजनों को सूचना दी। परिजन रात 7.30 बजे तक पहुंचे। उनकी उपस्थिति में शव को नीचे उतारा गया। परिजनों से अभी बयान नहीं हुआ है। बेरला निवासी प्रभात कुमार निषाद (21 वर्ष) सड़क-3 प्रगति नगर रिसाली पीजी में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। इस घटना के बाद से ही परिवार में मातम छा गया है।

बच्चे और पैरेंट्स दोनों को ही एग्जाम की एंटीसिपेट्री इंजायटी रहती है। एग्जाम से पहले घबराएं रहते है। इस स्थिति में घर परिवार से दूर रहकर जो बच्चे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उनके मन में बहुत कुछ चल रहा होता है। परीक्षा के दौरान बेहतर नहीं कर पाने की घबराहट होती है। ऐसे में यह बेहतर होता है कि परिवार परीक्षा और परिणाम के पहले तक अपने बच्चों के साथ रहें। उनका हौसला बढ़ाएं। उन्हें बताएं कि यह एग्जाम उनसे बढ़कर नहीं है। क्या हुआ अगर फेल हो गए या सलेक्शन नहीं हुआ। बच्चों के बीच ऑनलाइन सेंस का क्रेज है, जबकि ऑफलाइन जुड़ाव अब नहीं रह गया। यदि ग्रुप में पढ़ाई की जाए तो हो सकता है कि यह घटना भी नहीं हुई होती। कोचिंग इंस्टीट्यूट् को चाहिए ऐसे छात्रों को चिन्हित करें, जिन्हें देखकर लग रहा हो कि परीक्षा को लेकर इसकी मनोस्थिति बेहतर नहीं है। कोचिंग संस्थानों की खुद की जिम्मेदारी समझते हुए ऐसे बच्चों की मनोवैज्ञानिक स्तर पर काउंसलिंग करानी चाहिए। सिर्फ यही एक जरिए है जिससे बच्चों को ऐसे कदम उठाने से रोका जा सकता है। सीजी और सीबीएसई दोनों ही बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आने वाले है। पैरेंट्स से अपील है कि जो मार्क्स या परिणाम मिला है, उसी में संतुष्ट रहें। अपनी एक्सपेक्टेशन बच्चों पर नहीं थोपें।
डॉ. अभिषेक पल्लव, एसपी दुर्ग

स्कूल प्रबंधन भी समझें

आजकल सभी स्कूलों में काउंसलर होते हैं। प्रबंधन रिजल्ट के समय इनकी जिम्मेदारी तय करें कि वे कमजोर बच्चों की मनोस्थिति समझकर उन्हें प्रोटेक्ट करेंगे।

प्रबंधन बच्चों को यह अहसास कराएं कि यदि उनके नंबर कम भी आए हैं या वे फेल हुए हैं तो भी टीचर्स, स्कूल प्रबंधन और उनके दोस्तों का रवैया उनके लिए नहीं बदलेगा।

दोस्तों की भी है जिम्मेदारी

दोस्त परिवार के सदस्यों से भी ज्यादा क्लोज होते हैं। बच्चें अपने दोस्तों से हर बात शेयर करते हैं। यदि आपको दोस्त फेल हुआ या नंबर कम आए हैं तो यह आपकी भी जिम्मेदारी है कि उसकी मनोस्थिति समझकर पैरेंट्स को बताएं।

कभी भी अपने दोस्त को नीचा दिखाने की गलती न करें। इससे उसका मनोबल और कम होेगा क्योंकि वह घर वालों से ज्यादा तवज्जों आपको देता है।

रिजल्ट के समय अपने दोस्त के साथ रहें, उसे यह अहसास कराएं कि सब कुछ ठीक होगा, तुम सबसे बेहतर हो आगे अच्छा मुकाम हासिल करोगे।

पैरेंट्स भी रखें ध्यान

अक्सर अभिभावक बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा रखते हैं, उसके पूरा नहीं होने पर बच्चों से बुरा बर्ताव किया जाता है। यह गलत है। बच्चों के डिप्रेशन में होने या आत्महत्या करने का यही प्रमुख कारण बनता है।

अपने बच्चे की तुलना किसी और से नहीं करें।

डाटने और ताने देने की बजाए दोस्त बनकर उन्हें समझाएं, उन्हें अकेला न छोड़ें।

बच्चों के खान-पान का ख्याल रखें।

जो बच्चे आपसे दूर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं उनकी रोजाना मॉनिटरिंग करना बेहद जरूरी है।

बेहतर होगा आप अपने बच्चे के साथ उसकी हर बात शेयर करें, इसका मतलब यह नहीं कि उसकी आजादी छीनें।

वक्त इस हद तक बदल गया है कि अब कोई भी पैरेंट्स अपने बच्चे को पीछे नहीं देखना चाहता। पैरेंट्स के लिए उनके बच्चे एक तरह के स्टेट्स सिंबल बन चुके हैं। बच्चा कुछ अचीव कर ले तो ठीक वरना वही पैरेंट्स उसके सबसे बड़े दुश्मन हो गए हैं। पैरेंट्स...., इस तरह की घटना से अब तो सीख लीजिए। मई का यह महीना हर साल बच्चों के लिए सबसे भारी गुजरता है। इसमें उनके नतीजे आने वाले होते हैं। ऐसे में पैरेंट्स मई के इस महीने को बच्चों के लिए आसान करें। उन्हें बताएं कि परिणाम चाहे जो आए इससे उनके प्यार और दुलार में कोई फर्क नहीं आने वाला। पैरेंट्स अपने बच्चों को यह भी बताए कि ठीक है..., यदि इसमें सेलेक्शन नहीं हुआ तो उनके पास कॅरियर के और भी कई बेहतर मौके हैं, जिसमें पैरेंट्स उनके साथ होंगे। जल्द ही बोर्ड के नतीजे आएंगे, ऐसे में पैरेंट्स की अपने बच्चों के प्रति जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाएगी। यह जिम्मेदारी है, अपने बच्चो का हौसला बनना।
डॉ. वर्षा वरवंडकर, मनोवैज्ञानिक, माशिमं काउंसलर