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Padma Shri: फल बेचकर गृहस्थी चलाई, अब पद्मश्री पुरस्कार से किया गया सम्मानित

Padma Shri Awards 2023: 45 वर्षीय पंडवानी गायिका उषा बारले (Pandwani singer Usha Barle) कोहका हाउसिंग बोर्ड भिलाई में रहती हैं। 7 साल की उम्र से पंडवानी से जुड़ी हैं। 1975 में खुर्सीपार में सबसे पहला कार्यक्रम पेश किया। बड़ा मंच मिला था, तब उम्र 8 साल थी। गोदी में उठाकर मंच में चढ़ाए थे। वर्ष 2007-08 में पद्मश्री मिलने की उम्मीद थी। अब यह सपना पूरा हुआ।

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पंडवानी गायिका ऊषा बारले को मिलेगा पद्मश्री

पंडवानी गायिका ऊषा बारले को मिलेगा पद्मश्री

Padma Shri Award 2023, Pandwani singer Usha Barle: उषा बारले (Pandwani singer Usha Barle) बताती हैं कि आर्थिक तंगी का समय भी गुजारा। उस समय को याद करती हैं तो उनकी आंखे नम हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि गृहस्थी चलाने के लिए वह सेक्टर-1 की बस्ती में रहकर केला, संतरा व अन्य फल बेचा करती थी। वह खासा संघर्ष भरा दिन था। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। पंडवानी के अलावा अनेक लोक विधाओं में भी वह पारंगत है। भारत सरकार ने उन्हें पंडवानी के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना है।

तब बदले दिन-
पति ने पढ़ाई की और फिर आईटीआई किया। इसके बाद उनकी बीएसपी में नौकरी लगी। तब जाकर घर के हालात में सुधार हुआ। ईश्वर की कृपा से पंडवानी गायन के क्षेत्र में लगातार काम किया। इससे देश-विदेश में कार्यक्रम पेश करने का मौका भी मिला।

विदेशों में भी पेश किया पंडवानी
अमेरिका और लंदन के 20 से अधिक शहर में पंडवानी गायन पेश कर चुकी हैं। इसी तरह से भारत में रांची, असम, गुवाहाटी, गुना, भागलपुर, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हैदराबाद, हरियाणा, कोलकाता, जयपुर में पंडवानी गायन से अपनी पहचान बना चुकी हैं।

पहले मिल चुका है कई सम्मान
इसके पहले 2006 में गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम पेश करने पर उन्हें नई दिल्ली में प्रथम स्थान मिला था। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सम्मानित किया गया।छत्तीसगढ़ शासन ने 2007 में सम्मानित किया। दाऊ महासिंग चंद्राकर सम्मान से भिलाई इस्पात संयंत्र ने सम्मानित किया। गिरौदपुरीधाम में गुरु विजय कुमार ने 6 बार स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। मिनीमाता सम्मान से भी सम्मानित। छत्तीसगढ़ लोक कला महोत्सव में भुईयां सम्मान, चक्रधर सम्मान (रायगढ़), मालवा सम्मान (कानपुर) में मायावती ने सम्मानित किया था। इस तरह से करीब 2000 से अधिक मर्तबा सम्मानित किया जा चुका है।