
Pradeep Mishra Shiva Mahapuran: श्रीशिवमहापुराण कथा सुनने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है। बारिश के बाद भी भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। रविवार को कथा चौथे दिन पंडाल के बाहर भी भक्तों की भीड़ थी। कथा सुनाते हुए पंडित मिश्रा ने भक्तों से कहा कि, सबसे पहले अपने दिमाग में एक बात को बैठा लो कि भगवान को पाना हो या संसार में अपना नाम कमाना हो तो इन सब में अपना कर्म को सबसे पहले रखें। ऐसा नहीं है की आप दूकान में ताला लगा कर कथा में आ कर बैठ गए तो आपको सोने के अंडे मिल जाएंगे।
शिवजी कहते है कि अपना कर्म सबसे पहले रखिए, अपने मेहनत को चार गुना बढ़ाओ तभी आगे बढ़ पाओगे। शिव महापुराण की कथा ये नहीं कहती की सिर्फ मंदिर में बैठ जाओ और अपना काम धाम छोड़ दो। मैंने पहले भी कसी कथा में ऐसा नहीं कहा कि मंदिर में जा कर 2-4 घंटे बैठो। उन्होंने आगे कहा कि,कुछ कर्म आपकी बाकी कृपा भोलेनाथ की।
उन्होंने कहा कि अगर आपको किसी ने कुछ अपशब्द कह दिया या कुछ गलत कह दिया तो आप सोचते है कि, आपका पूरा दिन खराब हो गया। शिवमहापुराण की कथा कहती है जरा से किसी के एक शब्द पर आपका दिन खराब क्यों होगा। किसी के शब्दों से आपको अपना दिन क्यों खराब करना है। अगर आपके पास 86 हजार 400 रूपए है और उसमें से 10 रूपए किसी ने चुरा लिया, तो आपका दिमाग खराब हो गया। अब आप के पास से 86 हजार 390 रूपए बचे हैं क्या तुम उसको फेंक दोगे? नहीं न, उसी तरह किसी के कुछ कहने से अपना दिन खराब हो गया ऐसा नहीं सोचना चाहिए।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दुनियां में लोग कई चीजें दान करते है। कोई कपड़ा कोई, खाना, अगर आप कुछ दान नहीं कर पा रहे है या किसी को कुछ दे नहीं पा रहे है तो शिव कथा कहती है कि, एक मुस्कान अपने चेहरे में तो ला सकते है। उन्हें एक मुस्कान भेंट कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि, जब भगवान ने शरीर पूरा दिया है तो आधी भक्ति क्यों? आधी भक्ति सनातन धर्म की पहचान नहीं है, एक हाथ से राम-राम बोलना या एक हाथ से भगवान की भक्ति करना हमारे सनातन धर्म की पहचान नहीं है। हमारे सनातन धर्म में दो हाथ से भक्ति होती है।
आज कल पता नहीं कुछ युवा एक हाथ से अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते है, हमारे धर्म में दोनों हाथों से बड़े-बुजुर्गों का सम्मान किया जाता है। सनातन की पहचान दोनों हाथ से है, यही हमारी संस्कृति और सभ्यता है। दोनों हाथ उठा कर शंकर भगवन की भक्ति करो और दोनों हाथ उठा कर बोलो हर-हर महादेव।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने माता पार्वती के क्रोध और शिव भगवान के साथ मंगल विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि तुमरुकाजी ने पार्वती जी को प्रणाम किया, तब हिमावतजी ने कहा तुम छोटी सी कन्या को प्रणाम कर रहे? तुमरुका जी ने कहा ये छोटी सी कन्या नहीं इस कन्या का जो पूर्वजन्म है मां सती का है जो अपने पिता के यज्ञ अग्नि में भस्म हो गई थी। माता पार्वती जो क्रोध कर रही है पूर्वजन्म में जब इनके पिता और परिवार वालों ने जो अपमान किया था, वो आज तक भूल नहीं पाई है । इसलिए वो क्रोध करती है।
कथा के चौथे दिन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, लगातार तीसरे दिन सूबे के मुखिया विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय, दूसरे दिन दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव, विधायक देवेंद्र यादव और उनकी माता, पूर्व विधायक अरुण वोरा, रिसाली मेयर शशि सिन्हा, एडीजीपी ओपी पाल, जस्टिस पीपी साहू की धर्मपत्नी और माता, डीजीपी राजेश मिश्रा की धर्मप%ी और माता, भाजपा-कांग्रेस के पार्षद समेत अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी शामिल हुए।
कथा के अंत में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने छत्तीसगढ़ में होने वाली अगली दो कथाओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, 2 से 8 अगस्त तक मुंगेली के लोरमी में दोपहर 1 बजे से कथा होगी। उसके बाद 12 अगस्त से 16 अगस्त तक 5 दिवसीय कथा नया रायपुर में आयोजित होगी।
Updated on:
29 Jul 2024 01:47 pm
Published on:
29 Jul 2024 01:27 pm
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