सिलिया बाई(70) की हत्या 13 जून 2015 को की गई थी। महिला का शव घर के कमरे में रखे खाट के नीचे पड़ा था। सिर से अत्यधिक खून बहने से उसकी मौत हो गई थी। घटना की सूचना सबसे पहले पान ठेला में बैठी मृतक की बेटी ताराबाई को उसकी बहू मंजू बंजारे ने थी। तब ताराबाई के साथ उसका बेटा भी था। पत्नी की जुबान से जैसे ही नानी सास को मार दिए जाने की जानकारी मिली तत्काल मां-बेटे घर पहुंचे और घटना की सूचना पुलिस को दी।
पुलिस जब घटना स्थल पहुंची तो शव जमीन पर पड़ा था। जांच में खुलासा हुआ कि घटना के समय घर पर मंजू बंजारे ही थी और कोई नहीं था। मंजू के गर्भवती होने की वजह से पुलिस उससे ठीक से पूछताछ नहीं कर पाई। वह घटना से इनकार करते रही। बाद में मंजू ने यह कहते हुए मामले को घुमा दिया कि वह भीतर कमरे में थी, इसलिए घर पर किसी के आने की सूचना उसे नहीं मिली। उसने पुलिस को बताया कि जब उसकी नजर मृतक नानी पर पड़ी तो वह घटना की सूचना तत्काल अपने पड़ोसियों को दी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक महेन्द्र सिंह राजपूत ने बताया कि लगातार दो साल तक पुलिस ने कई बिन्दुओं पर जांच की। जांच के बाद पुलिस मंजू बंजारे के पास आकर रुक जाती थी। पुलिस को किसी तरह का क्लू भी नहीं मिल रहा था। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में न्यायालय से विधिवत नार्को टेस्ट कराने की अनुमति ली। 6 मई 2017 को नार्को टेस्ट की अनुमति मिलने के बाद पुलिस ने मंजू की मां और मामी का सबसे पहले गुजरात में टेस्ट कराया। महिला वैज्ञानिक एचआर शाह ने अपने रिपोर्ट में बताया कि दोनों महिलाओं को घटना के बारे में जानकारी है। इसके बाद पुलिस ने मंजू से पुलिस ने बयान दर्ज किया और घटना का खुलासा किया।
महिला आरोपी ने पुलिस को बताया कि उसकी नानी सास उसे हमेशा टोकती थी। घटना के समय भी वह उसे चिड़चिड़ा रही थी। इसलिए उसने घर पर पड़े राड से सिर पर वार किया। इसके बाद उसका गला भी दबाया। राड के गंभीर वार से वह बेहोश हो गई तब उसने शरीर पर कई वार किए। इसके बाद वह मोहल्ले में रहने वाली मां उतरा बाई और मामी सोन बाई से संपर्क किया। तब दोनो ने मंजू से कहा कि रॉड को घर में छिपा दो और इस संबंध में किसी से चर्चा न करे। तीनों ने यह राज दो साल तक छिपाए रखा।