चिक्की के नहीं बंटने से बच्चे पोषण आहार से वंचित हो रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट में देरी बीज निगम की ओर से हो रही है।
भिलाई. छह दिन बाद भी बीज निगम ने उस चिक्की की रिपोर्ट नहीं भेजी जिसे खाकर कोलिहापुरी प्राथमिक स्कूल के 29 बच्चे बीमार हो गए थे। इस घटना के बाद विभाग ने जिले के सभी स्कूलों में चिक्की को बांटने पर रोक लगा दी थी। अब रिपोर्ट के इंतजार में स्कूलों की अलमारी और बक्से में चिक्की धूल खाने लगी है। अब चिक्की के नहीं बंटने से बच्चे पोषण आहार से वंचित हो रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट में देरी बीज निगम की ओर से हो रही है। जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती वे बची हुई चिक्की नहीं बांटेंगे।
संभाल कर रखना मुसीबत
चिक्की को लेकर अब शिक्षक भी परेशान होने लगे हैं। जैसे ही चिक्की आती थी, वे बच्चों के बीच बांट देते थे और स्कूल में स्टॉक कर नहीं रखते थे। जिले के प्राथमिक स्कूलों के स्टॉफ रूम में न तो पर्याप्त और सुरक्षित जगह है और न ही कोई और सुविधा। अगर इसमें गलती से कीड़े लग गए या खराब हो गई तो उन पर कार्रवाई निश्चित है। इस डर से अब किसी तरह अलमारी या बॉक्स में ही सुरक्षित रखने का जुगाड़ कर रहे हैं।
पालकों को ही दें जिम्मेदारी
कोलिहापुरी स्कूल में बच्चों के ओवर डोज चिक्की खाने की बात भी सामने आने और शिक्षकों पर कार्रवाई के बाद अब शिक्षक भी डरे हुए हैं। उनका कहना है कि जिस तरह आंगनबाड़ी में मातओं को बुलाकर उन्हें रेडी टू ईट दे दिया जाता है और वे घर पर ही बच्चों को तैयार कर अपने हाथ से खिलाती है, उसी तरह चिक्की को भी उनके पैरेट्स को दे देना चाहिए ताकि वे सप्ताह में दो बार घर पर ही उन्हें अपने सामने खिलाएं। प्रवास सिंह बघेल, जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग ने बताया कि बीज निगम की ओर से ही जांच की रिपोर्ट आएगी। विभाग ने भी अलग से जांच कराई है। दोनों ही रिपोर्ट का इंतजार है। हालांकि स्कूलों में 80 फीसदी चिक्की बांट दी गई थी, केवल 20 फीसदी ही स्टॉक बचा है। रिपोर्ट के आधार पर ही उसे बांटने या रोकने का निर्णय लिया जाएगा।