
भिलाई के फरीदनगर निवासी शम्सी फिरदौस
चैन की सांस
भिलाई के फरीदनगर निवासी शम्सी फिरदौस ने पत्रिका से कही। उसने बताया कि 26 फरवरी को हंगरी के रास्ते वे यूक्रैन से बाहर निकल पाए। वे सब इसलिए यहां पहुंच सके क्योंकि वे यूक्रैन के पश्चिमी क्षेत्र में थे और वहां वार का असर कम है। उसने बताया कि दिल्ली पहुंचने के बाद जिस तरह से केन्द्रीय मंत्री सिंधिया और छत्तीसगढ़ भवन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन सभी का स्वागत किया तो अब उम्मीद जागी है कि वहां फंसे सभी भारतीय छात्र सही सलामत वापस आ जाएंगे। इधर घर आने के बाद पूरा परिवार शम्सी को गले लगाकर रोने लगा। इतने दिनों से परेशान पैरेंट्स ने भी अब बेटी को आंखों के सामने देख चैन की सांस ली।
हंगरी में एंबीसी की बस आई लेने
शम्सी ने बताया कि वे सब यूक्रैन के पश्चिमी इलाके के रास्ते हंगरी पहुंचे थे। यूक्रैन से उन्हें बस उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें तिरंगा लगा दिया गया था,लेकिन यह बस रात को रवाना होने वाली थी, लेकिन इसे चलाने को कोई तैयार नहीं था, किसी तरह ड्राइवर मिला तो सुबह 5 बजे वे सभी रवाना हुए। बार्डर क्रास करने और पासर्सपोर्ट वेरीफीकेशन के लिए कुछ घंटे लगे,लेकिन हंगरी में इंडियन एंबेसी ने उनके लिए बस तैयार रखी थी। जिसके बाद उन सभी को वूडवस्ट एयरपोर्ट के जरिए दिल्ली भेजा गया।
आधे रास्ते टे्रेन रोकी
म्सी ने बताया कि उनके कुछ जूनियर और सीनियर जो दूसरे कॉलेजों मे पढ़ते हैं, वे वहां से 24 की फ्लाइट से भारत आने कीव ट्रेन से रवाना हुए। 17 घंटे के इस सफर के बीच ही वार शुरू हो गया और उस ट्रेन को बीच में ही रोक लिया गया। वे सभी अब बंकर और मेट्रो में ही है। वहां हालात यह है कि दो दिन पहले एक सेब को 7 लोगों ने मिलकर खाया। तो एक थाली भोजन में 10 लोग मिलकर केवल एक-एक निवाला ही खा पा रहे हैं।
पैसे को लेकर दिक्तत
उसने बताया कि अकाउंट में पैसे होने के बावजूद लोगों के पास पैसे नहीं है। कार्ड ब्लॉक कर दिए गए हैं। उनेक कॉलेज वालों ने भी कुछ पैसे जमा कर उन्हें जाने को कहा। ऐसी स्थिति में भी कॉलेज प्रबंधन पैसों के पीछे पड़ा रहा।
Published on:
01 Mar 2022 07:57 pm
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