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CG Unique Story: नक्सलियों की दहशत में जहां कोई उद्योग नहीं पनपा, वहां स्टार्टअप में नि:शक्तों के बनाए प्रोडक्ट देेंगे चाइना को मात

माओवाद प्रभावित बस्तर के सुकमा जिले में भले ही कोई उद्योग नहीं पनप पाए हों, लेकिन वहां के नि:शक्तों के साथ शुरू हुआ स्टार्टअप अब ब्रांड के तौर पर उभर रहा है।

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भिलाई

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Dakshi Sahu

Apr 17, 2019

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CG Unique Story: नक्सलियों की दहशत में जहां कोई उद्योग नहीं पनपा, वहांं स्टार्टअप में नि:शक्तों के बनाए प्रोडक्ट देेंगे चाइना को मात

नितिन त्रिपाठी @भिलाई . माओवाद प्रभावित बस्तर के सुकमा जिले में भले ही कोई उद्योग नहीं पनप पाए हों, लेकिन वहां के नि:शक्तों के साथ शुरू हुआ स्टार्टअप अब ब्रांड के तौर पर उभर रहा है। आप जानकर हैरत में रह जाएंगे कि यहां चाइना के पैटर्न पर एलइडी बल्ब, इनवर्टर बल्ब और पॉवर बैंक जैसे प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं।

सुकमा में यह काम नि:शक्तों का स्वसहायता समूह कर रहा है। इसकी शुरूआत लाइवलीहुड प्रोजेक्ट के तहत प्रशिक्षण के बाद हुई थी। वर्ष 2017 में सामान्य अभ्यर्थी तो प्रशिक्षण लेकर यहां-वहां नौकरी या काम से जुड़ गए, लेकिन दिव्यांग अभ्यर्थी प्रशिक्षण हासिल करके भी कोई काम नहीं कर पा रहे थे।

दरअसल, यह अपने परिवार पर निर्भर थे और नौकरी करने कहीं आना-जाना नहीं कर सकते थे। तब 2018 में प्रशिक्षण देने वाली संस्था के कुणाल गुप्ता ने इनको वहीं काम मुहैया कराने की तरकीब लगाई। इनका एक स्वसहायता समूह बनाया और उनके जरिए प्रोडक्ट की असेंबलिंग शुरू की गई।

छोटी शुरूआत और बड़ी सोच के साथ उतरा डिजि-एबल्ड
समूह ने असेंबलिंग का काम तो शुरू कर दिया, लेकिन यहा छोटे स्तर पर था। अपनी बड़ी सोच के साथ इस प्रोडक्ट को मार्केट में उतारा गया। डिसएबल्ड (नि:शक्त) इसे बना रहे थे, इसलिए उनकी ताकत को ब्रांड बनाने प्रोडक्ट का नाम दिया गया डिजि-एबल्ड।

पहली कमाई 3 हजार रुपए, मार्केट मिले तो बढ़ेगी आय
शुरूआती स्तर पर प्रोडक्ट बनाने पर नि:शक्त को लगभग 3000 रुपए आय हुई। सुकमा जैसी जगह पर अपने प्रोडक्ट से यह बड़ी शुरूआत थी। कुणाल बताते हैं कि बिक्री के आधार पर प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। बड़े ऑर्डर मिलने या मार्केट तैयार होने पर इनकी आय कई गुना बढ़ जाएगी।

छत्तीसगढ़ के अब दो जिलों में नि:शक्त बना रहे प्रोडक्ट
छत्तीसगढ़ में अब सुकमा के बाद जशपुर जिले में भी नि:शक्तों का एक समूह इन प्रोडक्ट्स को तैयार कर रहा है। इनके काम को देखते हुए प्रशासन ने भी सहयोग का हाथ आगे बढ़ाया है। तत्कालीन कलेक्टर ने समूह को भूमि उपलब्ध कराने की पहल की है।

जल्द तैयार होंगे बस्तर के वुडन ब्लूट्रूथ स्पीकर
एलइडी बल्ब, इनवर्टर बल्ब के बाद अभी समूहों ने पॉवर बैंक बनाना शुरू किया है। इसके बाद बस्तर के वुडन वर्क की पहचान से खुद को जोडऩे की है। इसके लिए वुडन ब्लूट्रूथ स्पीकर बनाए जाएंगे। यह सुकमा सेंटर में ही बनेंगे।

अपना प्रोडक्ट अपनी पहचान
आप किसी भी कंपनी का प्रोडक्ट खरीदते हैं तो उसमें सिर्फ कंपनी या ब्रांड नेम ही मिलता है, लेकिन डिजि-एबल्ड के हर प्रोडक्ट के साथ उसको बनाने वाले नि:शक्त को सीधे जोडऩे की नायाब कोशिश की गई है। जब भी आप उनका बनाया प्रोडक्ट लेते हैं और उसकी पैकिंग खोलते हैं तो उसमें से एक विजिटिंग कार्ड निकलेगा जिस पर उसको बनाने वाले की फोटो और नाम होगा। इसके साथ बार कोड रहेगा जिसको स्कैन करके उसको बनाने वाला की लाइफ हिस्ट्री (प्रोफाइल) आप जान सकेंगे।