23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

24 घंटे की ड्यूटी के बीच जब उतरे खेल मैदान में तो गोल्ड लेकर की फतह

भिलाई. 24 घंटे की ड्यूटी.. कभी लॉ एंड आर्डर तो कभी वीआईपी विजिट पर घंटों खड़े रहना, लेकिन इस बीच अगर खेल के मैदान में दमखम दिखाने की बारी आती है तो यह जवान पीछे नहीं हटते। खेल को लेकर यह इतने जुनूनी है कि सुबह पौ फटने से पहले वे मैदान में होते हैं और हर मैदान को फतह करने का जज्बा लिए वे लगातार प्रैक्टिस भी करते हैं। दुर्ग जिला के तीन आरक्षक किशन, कुमार, नेम सिंह पोर्ते और नीलकमल गायकवाड़ सहित एएसआई राजमणि पटेल ने पिछले दिनों नेशनल मास्टर एथेलेटिक्स में गोल्ड से लेकर ब्रांज मेडल जीते।

2 min read
Google source verification
durg police

मास्टर एथेलेटिक्स में गोल्ड से लेकर ब्रांज मेडल जीते

ड्यूटी के बीच खेल

किसी ने स्कूल के समय से खेल को कॅरियर बनाकर पुलिस में नौकरी पाई तो किसी ने पुलिस में नौकरी लगने के बाद खेल को अपना जुनून बनाया। रूटीन ड्यूटी के बीच खेल से अपनी अलग पहचान बनाकर अब यह खिलाड़ी जवान अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर दुर्ग पुलिस का नाम रोशन करना चाहते हैं। इन खिलाडिय़ों का कहना है कि मैच के दौरान ड्यूटी से थोड़ी राहत और प्रैक्टिस के लिए जरूरी इक्यूपमेंट मिल जाए तो वे और भी बेहतर कर सकते हैं।

6 साल बाद मैदान में की वापसी और जीता गोल्ड

नेवई थाना में पदस्थ किशन कुमार ने स्कूल के दिनों में ही खेल को चुन लिया था।स्कूल गेम के साथ कई प्रतियोगिता में पदक जीतकर उसने खेल के जरिए ही पुलिस में नौैकरी पाई। पुलिस की ड्यूटी के बीच भी खेक का साथ नहीं छूटासलेकिन 2012 में उनके घुटने में ऐसी चोट लगी कि 6 साल तक उन्हें ग्राउंड से बाहर रहना पड़ा। स्कूल के समय से कोच रहे विनोद नायर ने उन्हें फिर हौसला दिया और तैयारी कराई। बस क्या था किशन एक बार फिर परफार्मस के लिए तैयार हो गया। किशन ने बताया कि नासिक में हुई मास्टर वेटरन एथलेटिक्स स्पर्धा में उसने 30 प्लस की कैटेगिरी में शार्ट पुट, ***** थ्रो और जैवलीन में गोल्ड मैडल जीता। जबकि हैमर थ्रो में वे ब्रांच मैडल के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

तीन साल की प्रैक्टिस में जीता मैडल
डीएसपी हेडक्वार्टर अभिषेक झा के पास बतौर ड्राइवर आरक्षक नेम सिंह पोर्ते ने अपने साथियों को देख ग्राउंड ज्वाइन किया और तीसरे साल में ही पदक जीता। नेम सिंह ने बताया कि खेल से उसका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था,लेकिन जब अपने साथियों से खेल के बारे में सुना तो वे भी उनके कोच के पास प्रैक्टिस के लिए चले गए। बस क्या था उनकी मेहनत रंग लाई और इस नेशनल कंपीटिशन में उन्होंने 4 सौ मीटर में सिल्वर, पैदल चाल और दो रिले रेस में कुल तीन ब्रांज मैडल जीते। इसी तरह रानीतराई थाने में पदस्थ आरक्षक नीलकमल गायकवाड़ ने हर्डल्स में गोल्ड और रिले रेस में ब्राज मेडल हासिल किया। नीलकमल यूं तो मैराथान में हिस्सा लेते थे,लेकिन 2012 के बाद उन्होंने अपना गेम बदला। वे ऑल इंडिया पुसि गेम में भी टॉप 10 खिलाडिय़ों में शामिल थे।


जब टाइम मिले तब प्रैक्टिस
पाटन थाना में पदस्थ एएसआई राजमणि पटेल यूं तो वॉलीबाल के खिलाड़ी है। ऑल इंडिया पुलिस गेम से लेकर 2019 में इंटरनेशनल वॉलीबाल चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। लेकिन नेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में उन्होंने व्यक्तिगत खेलों को चुना। उन्होंने तवा फेंक और गोला फेंक में गोल्ड मैडल जीता। राजमणि ने बताया कि इन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए अलग से कोई समय नहीं मिलता, वे सभी कभी अपनी छुट्टियां लेकर तो कभी ड्यूटी के बीच मिले समय को ही मैनेज कर प्रैक्टिस करते हैं।