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छत्तीसगढ़ की किस रियासत ने 75 साल पहले तैयार की हॉकी की नर्सरी, पढि़ए पूरी खबर

75 साल से यहां महंत राजा सर्वेश्वरदास स्मृति हॉकी प्रतियोगिता राजनांदगांव रियासत के राजा की स्मृति में आयोजित किया जाता है।

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Founder president of All India Hockey Association, Mahant Raja Sarveshvardas Memorial hockey competition

राजनांदगांव. पिछले 75 साल से यहां खेली जा रही देशभर में प्रतिष्ठा हासिल कर चुकी महंत राजा सर्वेश्वरदास स्मृति हॉकी प्रतियोगिता राजनांदगांव रियासत के राजा सर्वेश्वरदास की स्मृति में आयोजित किया जाता है। रियासत में कुशल प्रशासक और जनता के हितों के प्रति सजग रहने के साथ खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने वाले राजा की याद को जनमानस में बनाए रखने के उद्देश्य से यह स्पर्धा उनके निधन के ४ साल बाद शुरू हुई, जो अब तक निर्बाध रूप से जारी है।

राजा घोषित होने की कहानी भी बहुत रोचक
स्व. सर्वेश्वरदास राजनांदगांव रियासत के भाग्यवान राजा (रूलिंग चीफ) और कुशल प्रशासक थे। वे सौम्य स्वभाव के नेकदिल इंसान थे। उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि कोई भी व्यक्ति उनकी एक ही झलक देखकर कह सकता था कि यह राजा है। उनके राजा घोषित होने की कहानी भी बहुत रोचक है।

ऐसे बने उत्तराधिकारी
वर्ष १८९७ में रियासत के राजा बलरामदास की मृत्यु हो गई। उनकी कोई संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने रिश्तेदार के पुत्र राजेन्द्रदास को गोद ले रखा था। अब राजेन्द्रदास युवराज तथा राज्य के उत्तराधिकारी घोषित हुए। दुर्भाग्य से उनकी भी मृत्यु अल्पायु में १९१२ में हो गई। स्व. राजा बलरामदास की पत्नी रानी सूर्यमुखी देवी ने बृजलालदास को दत्तक पुत्र बना लिया, किन्तु उन्हें ब्रिटिश शासन द्वारा मान्यता नहीं दी गई। परंपरागत नियम से उत्तराधिकारी नियुक्त किया जाना था। कई रिश्तेदारों और शिष्यों ने दावे पेश किए। अंत में दाऊ श्यामचरण के पक्ष में निर्णय हुआ और वे उत्तराधिकारी घोषित हुए। उनकी उम्र अधिक होने के कारण उनके बड़े लड़के सर्वेश्वरदास को उत्तराधिकारी घोषित किया गया।

वयस्क होने पर संभाला राज
सर्वेश्वरदास अभी छोटे थे, ऐसे में उनकी शिक्षा की व्यवस्था की गई। उन्होंंने राजकुमार कॉलेज रायपुर और इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण की। वयस्क होने के बाद १० मई १९२७ को उनका राज्याभिषेक किया गया। राजा सर्वेश्वरदास का विवाह मयूरभंज की राजकुमारी जयति देवी से हुआ। करीब ५ वर्ष तक उन्होंने अच्छा राज किया। रियासत की उन्नति करने की कोशिश की। शिक्षा और खेलकूद को इस दौरान अच्छी गति मिली।

आया नया मोड़

अंग्रेजी शासन ने १९३२ के आसपास राजा सर्वेश्वरदास के सारे अधिकार छीन लिए और रियासत को कोर्ट आफ वार्डस के अंतर्गत कर दिया गया। १९३७-३८ तक यही स्थिति रही। इसके बाद वे पुन: सत्तारूढ़ हुए। इस दौरान रियासत में स्वतंत्रता संग्राम जोर पकड़ चुका था। आंदोलन पर आंदोलन हो रहे थे। बीएनसी मिल में अनेक बार हड़तालें हो चुकी थीं। मजदूर अपने अधिकारों के प्रति सजग हो चुके थे।

गोलीकांड से आहत

वह ऐसा दौर था जब पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन पूरे जोश पर था। राजनांदगांव रियासत भी अछूता नहीं रहा। यहां अभूतपूर्व जंगल सत्याग्रह हुआ था। सत्याग्रह को कुचलने के लिए बादराटोला गांव में गोली चलाई गई थी, जिसमें रामाधीन गोंड शहीद हुए थे। राजा सर्वेश्वरदास स्वयं बड़े चिंतित थे। उन्होंने प्रजामंडल की स्थापना की थी। वे अनेक गांव में जाते थे। शिविर लगाते थे। किसानों का दुख दर्द पूछते थे। अचानक १८ सितम्बर १९४० को उनका निधन हो गया।

खेलकूद को समर्पित थे राजा दिग्विजय दास भी
रियासत के राजा सर्वेश्वरदास की मृत्यु हुई, उस वक्त उनके पुत्र दिग्विजय दास की उम्र महज सात साल थी। प्रारंभिक शिक्षा राजकुमार कॉलेज रायपुर में ग्रहण करने के बाद उन्होंने इंग्लंैड में पढ़ाई की। यूरोपीय देशों का भ्रमण कर उन्होंने सामाजिक जीवन का सूक्ष्म अवलोकन किया। बारिया की राजकुमारी संयुक्ता देवी से उनका विवाह १९५३ में हुआ। खेलकूद में खास दिलचस्पी रखने वाले राजा दिग्विजय दास ने लालबाग क्लब की स्थापना की थी। ऑल इंडिया हॉकी ऐसोसिएशन के वे संस्थापक अध्यक्ष थे। २४ अप्रैल १९३३ में जन्मे दिग्विजय दास की २५ वर्ष की उम्र में २२ जनवरी १९५८ को मृत्यु हो गई।

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