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एक जुलाई भिलाई गोलीकांड पर विशेष: कौन थे श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी, आपभी जानिए

सबसे पहले बीएसपी माइंस दल्ली राजहरा में 1976-77 में छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ का गठन किया था।

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Shankar Guha Niyogi

एक जुलाई भिलाई गोलीकांड पर विशेष: कौन थे श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी, आपभी जानिए

भिलाई. छत्तीसगढ़ के असंगठित मजदूरों और ठेका श्रमिकों को संगठित करने वाले श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी 1970 से 1990 तक जाना पहचाना नाम हुआ करता था। विभिन्न जगहों पर काम करने एवं गरीबी की पीड़ा भोगने के बाद उन्होंने श्रमिकों खासकर असंगठित मजदूरों को संगठित करने का बीड़ा उठाया था। इसी उद्ेश्य को लेकर उन्होंने सबसे पहले बीएसपी माइंस दल्ली राजहरा में 1976-77 में छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ का गठन किया था। बीसपी के माइंस ठेका श्रमिकों को सगंठित करने एवं न्याय दिलाने के बाद उन्होंने 1979-80 में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का गठन किया था। बाद में छमुमो का विस्तार लगभग सभी औद्योगिक नगर एवं शहरों में किया। जिसमें दुर्ग के टेडेसरा, रसमड़ा, भिलाई, कुम्हारी, राजनांदगांव बीएनसी मिल, रायपुर उरला, भनपुरी में यूनियन सक्रिय रही।

उद्योगों में जो काम कर रहा, हक उसी का है
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा आदिवासियों, किसानों और मजदूरों का संगठन था। जिन लोगों ने नियोगी की मजदूर रैलियां देखी हैं, उन्हें याद होगा कि उनके आंदोलन में महिलाओं की भी बराबर की भागीदारी होती थी। उनके आंदोलन का मर्म इस नारे में समझा जा सकता है, 'कमाने वाला खाएगाÓ यानी खेत में या उद्योगों में जो काम कर रहा है, हक उसी का है। उन्होंने छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा को श्रमिक संगठन के साथ ही एक सामाजिक आंदोलन में भी बदलने का प्रयास किया। जिसमें नशाबंदी को लेकर चलाई गई उनकी मुहिम का असर भी देखा गया।

नियोगी का जीवन परिचय
श्रीमक नेता शंकर गुहा नियोगी का जन्म 19 फरवरी, 1943 को पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिला में एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा कलकत्ता और जलपाईगुड़ी में हुई थी। छात्र जीवन से ही उनका झुकाव वामपंथी विचारधारा की ओर हुआ। वे आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन की स्थानीय इकाई के संयुक्त सचिव भी रहे। 60 के दशक की शुरुआत में वे छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी भिलाई आ गए। वे यहां दुर्ग में अपने चाचा के साथ रहने लगे। यहां आने के बाद वे हिंदी और छत्तीसगढ़ी भी बोलने लगे थे। उनकी मृत्यु 28 सितंबर 1991 को भिलाई नगर हुडको सेक्टर स्थित मकान में सोते समय गोली लगने से हुई थी।