scriptसालों से तीन जैक पर टिका रखा है 11 वीं सदी का शिवालय | 11th century Shivalay has been kept on three jacks for years | Patrika News

सालों से तीन जैक पर टिका रखा है 11 वीं सदी का शिवालय

locationभीलवाड़ाPublished: Jul 30, 2022 11:41:42 pm

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

एएसआई की लापरवाही : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से संरक्षित हैं मेनाल का प्राचीन शिव मंदिर, मंदिर के गुम्बद के तीन लैंटर में दरार के कारण कई सालों से लगा रखे हैं जैक, मंदिर की बाहरी दीवारों पर बेजोड शिल्पकला से मूर्तियां व आकृतियां उकेरी हुई हैं। शिव मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे शिव मंदिर बने हुए हैं।, इस कारण यह मंदिर खजुराहो मंदिर जैसे लगते हैं

सालों से तीन जैक पर टिका रखा है 11वीं सदी का शिवालय

सालों से तीन जैक पर टिका रखा है 11वीं सदी का शिवालय

के. आर. मुण्डियार

भीलवाड़ा.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षित स्मारक महानाल मंदिर व मठ (मेनाल) में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का गुम्बद कई साल से तीन जैक पर टिका हुआ है। एक तरफ विभाग विरासत को संरक्षित करने का दावा कर रहा है, लेकिन तीन जैक देखकर अफसरों की लापरवाही खुलकर सामने आ रही है। यहां हर पल हादसे की आशंका बनी हुई है। हजारों श्रद्धालु मंदिर के गर्भ गृह में दर्शन के लिए आते हैं तो जैक के डर के बीच भोलेनाथ व शिव-शम्भू का नाम पुकारते हुए दर्शन कर बाहर से लौट रहे हैं।
विरासत संरक्षण विशेषज्ञों का मानना है कि भूलवश कोई जैक से टकरा जाए तो यहां बड़ा हादसा हो सकता है। दरअसल मंदिर के गुम्बद के नीचे पत्थर निर्मित तीन लैंटर में दरार आने के कारण ये जैक लगा रखे हैं। विभाग की ओर से यह जैक लगाए कई साल हो चुके हैं। पिछले कुछ सालों में मंदिर में संरक्षण कार्य भी करवाए गए, लेकिन इन जैक को हटाने के लिए गुम्बद की मरम्मत नहीं की गई। ज्ञात है कि मेनाल का शिव मंदिर भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग की ओर से देश के प्रमुख 100 स्मारकों की सूची में शामिल है।
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11वीं सदी में केवल पत्थरों से बना है मंदिर

इतिहासविदों के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले के तीर्थस्थल मेनाल के प्रसिद्ध शिव मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी का माना जाता है। मेनाल शिव मंदिर का निर्माण पत्थर से ही हुआ है। प्रवेश द्वार पर नंदीजी की बड़ी मूर्ति है। इसलिए यह मंदिर आस्था का प्रमुख केन्द्र बना है।
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खजुराहो जैसी कलाकृतियां

मंदिर की बाहरी दीवारों पर बेजोड शिल्पकला से मूर्तियां व आकृतियां उकेरी हुई हैं। शिव मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे शिव मंदिर बने हुए हैं। इस कारण यह मंदिर खजुराहो मंदिर जैसे लगते हैं। कलात्मक नक्काशी से उकेरे चित्र एवं पौराणिक कथाएं पर्यटकों को लुभाती है। वर्षो बाद भी मंदिर आकर्षक बना हुआ है।
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150 फीट ऊंचाई से गिरता जलप्रपात

डेढ़ सौ फीट उंचाई से गिरने वाला जलप्रपात व प्राकृतिक सौंदर्य हरियाली से आच्छादित होने के कारण महानालेश्वर मंदिर ज्यादा प्रसिद्ध है। महानाल मठ शैव संप्रदाय का स्थान रहा है। बरसात के मौसम में देशभर से लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं। चट्टानों के बीच बहने वाले पानी में नहाने का लुत्फ भी उठाते हैं।
इनका कहना है-

मेनाल का प्राचीन शिव मंदिर संरक्षित सूची मेंं शामिल है। मंदिर के गुम्बद के नीचे पत्थर निर्मित तीन लैंटर में दरार के कारण तीन जैक मेरे ज्वाॅइन करने यानि कई साल पहले से लगे हुए हैं। गुम्बद का जीर्णोद्धार कर जैक जल्द हटाए जाएंगे।
-प्रेमचंद शर्मा, संरक्षक सहायक , भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, चित्तौड़गढ़

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