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एक ऐसा जैन मंदिर जहां होता है वर्षा जल से अभिषेक

आरके कॉलोनी जैन मंदिर बना मिसाल, मुनि प्रमाण सागर ने दी प्रेरणा

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A Jain temple where there is anointing with rain water in bhilwara

A Jain temple where there is anointing with rain water in bhilwara

भीलवाड़ा।
Jain Temple बरसात के पानी का उपयोग किस तरह से हो सकता है। इसका उदाहरण देखना है तो आरके कॉलोनी स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर चले आइए। यहां बनाए गए टांकों में एकत्र वर्षा जल से भगवान के अभिषेक व शान्तिधारा की जाती है। जैन मुनियों के आहर की व्यवस्था भी इसी जल से होती है। मुनि प्रमाण सागर की प्रेरणा से मंदिर में वर्षा जल को सहेजने के लिए ३0 हजार लीटर क्षमता के तीन टांके बनवाए गए थे। शहर में १७ व जिले में दो से अधिक जैन मंदिर हैं, लेकिन यह पहला मंदिर है, जहां वर्षा जल से अभिषेक किया जाता है। श्रावकों का कहना है कि वर्षा जल से अभिषेक करने से प्रतिमा में भी चमक बढ़ी है।

https://www.patrika.com/damoh-news/shri-shashvashnath-digambar-jain-temple-will-be-at-munitri-s-chaturmas-4773643/

Jain Temple आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष नरेश गोधा ने बताया कि ने बताया कि सूर्योदय से पहले टांकों से पानी निकाला जाता है, क्योंकि सूर्य की किरण पडऩे पर पानी खराब होने या काई जमने की संभावना रहती है। जो भी सदस्य सुबह साढ़े चार बजे मंदिर आता है, वह चार घड़े पानी निकालता है। गर्म कर छानने के बाद इस जल से भगवान का अभिषेक व शान्तिधारा की जाती है। यहां आने वाले संतों की आहार क्रिया में भी यही पानी काम में लिया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन सवा सौ से डेढ़ सौ श्रावक अभिषेक के लिए आते हैं। पयुर्षण के दौरान यह संख्या चार सौ तक होती है।

१९८६ में बना था मंदिर
मंदिर के सचिव अजय बाकलीवाल ने बताया कि मंदिर की स्थापना १९८६ में की गई थी। एक छोटी से वेदी में भगवान को विराजमान कर पूजा की जाती थी। मुनि सुधासागर के सान्निध्य में अप्रेल २००० में पंचाकल्याणक हुआ। मंदिर का निर्माण १९९२ में शुरू हुआ था। पंचकल्याण के बाद कुएं के जल से अभिषेक व शान्तिधारा की जाने लगी। कुएं का पानी खराब होने पर बोरिंग के जल से अभिषेक शुरू किया। उपाध्यक्ष महेन्द्र सेठी ने बताया कि २०१७ में आए मुनि प्रमाण सागर कहा कि या तो अभिषेक बन्द कर दो या फिर वर्षा जल से करो। इस पर मंदिर की छत पर टाइलें लगाकर परिसर में तीन टांकों का निर्माण करवाया गया। एक-दो बरसात के बाद साफ पानी को इनमें एकत्र करने लगे।