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भीलवाड़ा से देशभर में जाएगी सेवा, स्वास्थ्य और संस्कार रथ की अनूठी पहल

आरसीएम की 25वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रव्यापी रूपांतरण यात्रा का रंगारंग आगाज

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A unique initiative of the chariot of service, health and culture will go across the country from Bhilwara.

A unique initiative of the chariot of service, health and culture will go across the country from Bhilwara.

आरसीएम की 25वीं वर्षगांठ पर मंगलवार को भीलवाड़ा के आदित्य विहार स्थित आरसीएम ग्राउंड से राष्ट्रव्यापी रूपांतरण यात्रा की शुरुआत हुई। मोर की आकृति में सजे नीले रंग के रथ को विधायक अशोक कोठारी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यात्रा की शुरुआत जागरुकता रैली से हुई, जो विभिन्न मार्गों से होते हुए पुनः आरसीएम ग्राउंड पहुंची। रथ पर अंकित संदेश “गांव-गांव, शहर-शहर, आरसीएम की चली लहर” आकर्षण का केंद्र रहा। यह जानकारी मंगलवार को आरसीएम के प्रबंध निदेशक सौरभ छाबड़ा ने संवाददाताओं को दी।

देशभर से जुटे 7 हजार एसोसिएट्स, पुस्तक का विमोचन

छाबड़ा ने बताया कि देशभर से आए 7 हजार एसोसिएट बायर्स मौजूद रहे। आरसीएम परिवार से जुड़े इन सदस्यों में उत्साह देखने को मिला। सुबह 10.30 बजे प्रांगण में विभिन्न स्टॉल्स का शुभारंभ किया। इसमें स्वास्थ्य जागरुकता, महिला सशक्तिकरण तथा सामाजिक सेवा पर विशेष फोकस रहा है। सेवा गतिविधियों के तहत रक्तदान शिविर लगाया गया। शिविर में 474 यूनिट रक्त संग्रहित हुआ। इस दौरान तेरापंथ नगर में शाम हुए मुख्य कार्यक्रम में फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित अभिनेता व कवि आशुतोष राणा मुख्य अतिथि रहे। शहरवासियों की भारी भीड़ समारोह की साक्षी बनी। आरसीएम संस्थापक तिलोकचंद छाबड़ा के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘मनसा वाचा कर्मणा–एक कर्मयोगी की जीवनी’ का विमोचन हुआ। बेहतर कार्य करने वालों का सम्मान हुआ।

17 हजार किमी की रूपांतरण यात्रा

100 दिवसीय रूपांतरण यात्रा 75 शहरों में करीब 17 हजार किलोमीटर का सफर तय करेगी। इसका उद्देश्य सेवा, स्वास्थ्य और संस्कार का संदेश घर-घर तक पहुंचाना है। सीईओ मनोज कुमार ने कहा कि यह यात्रा देश में लाखों लोगों को सशक्त बनाएगी।

आरसीएम : 25 साल की सफलता की कहानी

वर्ष 2000 में एक टेक्सटाइल उत्पाद से शुरुआत होने वाली आरसीएम आज 2400 करोड़ रुपए की कंपनी बन चुकी है। इसके पास 400 से अधिक उत्पाद हैं। देशभर में 20 लाख से अधिक सक्रिय एसोसिएट बायर्स जुड़े हैं। इनमें 5 लाख महिलाएं शामिल हैं।