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एक स्कूल में बड़े भाई को गर्मागर्म दूध तो छोटा ताक रहा मुंह, दूध पिलाने में बच्चों के साथ भेदभाव कर रही सरकार

एक ही परिसर में छोटे और बड़े बच्चे पढ़ रहे हैं। इसमें बड़े बच्चों को दूध मिल रहा है तो छोटे बच्चे केवल मुंह ताक रहे हैं

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Annapurna Milk Scheme in bhilwara

Annapurna Milk Scheme in bhilwara

भीलवाड़ा।

शहर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय लेबर कॉलोनी में दो भाई अजीत और सुजीत पढ़ते हैं। अजीत पांचवी कक्षा में और सुजीत इसी स्कूल में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में है। सरकार का भेदभाव देखिए कि एक ही परिसर होने के बावजूद बड़े भाई अजीत को स्कूल जाते ही गर्मागर्म दूध की गिलास पीने को मिल रही है, वहीं छोटा भाई सुजीत मुंह ताक रहा है। एेसा केवल अजीत और सुजीत के साथ ही नहीं, बल्कि प्रदेश के हजारों बच्चों के साथ हो रहा है।

हाल ही में सरकार ने अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की है। इसके तहत सप्ताह में तीन दिन कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को प्रार्थना के बाद दूध पिलाया जा रहा है। प्रदेश में कई स्कूलों में ही आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है।
अब एक ही परिसर में छोटे और बड़े बच्चे पढ़ रहे हैं। इसमें बड़े बच्चों को दूध मिल रहा है तो छोटे बच्चे केवल मुंह ताक रहे हैं। जबकि छोटे बच्चों को ज्यादा पोषकता की जरुरत है। इसके बावजूद सरकार की एेसी नीति के कारण विरोध हो रहा है।


44 हजार बच्चे पंजीकृत है आंगनबाड़ी केंद्रों में
जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिले में 2217 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। इनमें करीब 44 हजार बच्चे पंजीकृत है। स्कूलों में पांच सौ आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। अब प्रार्थना सभा में शामिल होने के बाद बच्चों को तुरंत दूसरे कमरे में भेज दिया जाता है ताकि दूध के लिए जिद नहीं करें। सुबह दूध पिलाने की प्रक्रिया में करीब एक घंटा लगता है, इस प्रक्रिया के दौरान बच्चों को बाहर खेलने भी नहीं दिया जाता है।

परिजन बोले, घर से पिलाकर भेजना पड़ रहा
लेबर कॉलोनी निवासी और मूलत: बिहार निवासी रामेश्वरप्रसाद ने बताया कि उनके दो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। बड़े बच्चे को कुछ दिन से स्कूल में दूध मिल रहा है तो छोटा भी घर जिद करने लगा है। अब सुबह आधा लीटर दूध खरीद रहे हैं ताकि चाय बनाने के बाद उसे भी पिला सके। सरकार को इसमें बच्चों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए।

विभाग ही अलग है इसलिए मैं तो क्या करूं
देखिए, महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग अलग-अलग है। यह शिक्षा विभाग की योजना है। इसमें तो मैं कुछ नहीं कर सकती हूं। सरकार ने इसे स्कूलों से शुरू किया है। हम आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार देते हैं। ये व्यवस्था मैने नहीं बनवाई है। हां, मैं पैरवी जरूर कर सकती हूं लेेकिन मेरे हाथ में नहीं है।
अनिता भदेल, महिला एवं बाल विकास विभाग राज्यमंत्री