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Bhillwara news : विद्यार्थी अब पढ़ना-लिखना ही नहीं धारा प्रवाह हिंदी बोलना भी सीखेंगे

सरकार ने किया मौखिक प्रवाह पठन (ओरल रीडिंग फ्लुएंसी)

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Now students will not only learn to read and write but will also learn to speak Hindi fluently

Now students will not only learn to read and write but will also learn to speak Hindi fluently

Bhillwara news : सरकारी विद्यालयों में अब बच्चे पढ़ना-लिखना ही नहीं धारा प्रवाह कैसे बोला जाए यह भी सीखेंगे। इसको लेकर राज्य में मौखिक प्रवाह पठन ओरल रीडिंग फ्लुएंसी (ओआरएफ) शुरू किया गया है। इसमें कक्षा तीसरी से आठवीं तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ऐप के माध्यम से रोचक पठन सामग्री दी जाएगी। इसके आधार पर उसका आकलन होगा। 28 अप्रेल से 3 मई तक राज्य स्तर पर इसका आकलन कर रिपोर्ट बनेगी।

ओआरएफ एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) आधारित पहल है, जो विद्यार्थियों की आवाज रिकॉर्ड कर उनके पठन कौशल का विश्लेषण करती है। यह मूल्यांकन विद्यार्थियों की धाराप्रवाह पढ़ने की क्षमता को मापता है तथा उनके कौशल अंतराल की पहचान करता है। प्रवाहशीलता (प्रति मिनट सही शब्द) एवं सटीकता के आधार पर शिक्षक विद्यार्थियों की वास्तविक स्थिति समझ सकेंगे और सहयोग प्रदान कर सकेंगे। वर्तमान में यह कार्यक्रम कक्षा 3 से 8 के लिए हिन्दी भाषा की दक्षता में सुधार के लिए तैयार किया गया है।

शाला दर्पण शिक्षक ऐप से होगा आकलन

प्रत्येक विद्यार्थी का ऐप के माध्यम से आकलन होगा। ऐप में विद्यार्थी के दक्षता स्तर के अनुरूप रोचक पठन सामग्री दी जाएगी। इसे विद्यार्थी को निर्धारित समय में पढ़ना होगा। कार्यक्रम विद्यार्थियों की पठन दक्षता का आकलन कर शिक्षकों को विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। इसमें उनकी कक्षा की समग्र स्थिति और पुनर्सुधार शिक्षण योजनाएं शामिल होंगी।ओआरएम मूल्यांकन के बाद, पठन स्तर के आधार पर वर्गीकरण या सहसमूहीकरण 16 मई से पूर्व एवं उपचार की प्रक्रिया ग्रीष्मावकाश के बाद कराई जाएगी।

मौखिक पठन प्रवाह के उद्देश्य

  • विद्यार्थियों की पठन दक्षता का आकलन किया जाना।
  • धारा प्रवाह पठन क्षमता के आकलन के पश्चात उनके दक्षता स्तर अनुरूप आवश्यक कौशल विकास।
  • शैक्षिक रणनीतियों को प्रभावी बनाने के लिए आंकड़ा-संग्रह एवं विश्लेषण।

विद्यार्थियों के लिए होगा लाभदायक

ऐप के माध्यम से हिंदी पठन की रुचि विकसित होगी। विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है, क्योंकि इससे उनकी बोलने को लेकर हिचकिचाहट समाप्त होगी। विद्यार्थियों में धारा प्रवाह हिंदी बोलने का कौशल विकसित होगा।

डॉ. रामेश्वर प्रसाद जीनगर, एडीपीसी भीलवाड़ा