
Three major educational events on the same day, leaving teachers confused.
शिक्षा निदेशक की ओर से जारी हालिया आदेशों ने प्रदेशभर के शिक्षकों की चिंता बढ़ा दी है। विभाग की ओर से जिला स्तरीय शिक्षक खेलकूद प्रतियोगिता की संशोधित तिथियां 23 व 24 दिसंबर घोषित की गई हैं। वहीं इसी 23 दिसंबर को सरकारी विद्यालयों में निपुण मेले के आयोजन के निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके साथ ही उसी दिन विद्यालयों में मेगा पीटीएम आयोजित करने के आदेश भी लागू हैं।
सरकारी आदेश के अनुसार निपुण मेले का आयोजन पहले 5 दिसंबर को प्रस्तावित था, लेकिन अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के चलते इसकी तारीख बदलकर 23 दिसंबर कर दी गई। अब एक ही दिन शिक्षक खेलकूद प्रतियोगिता, निपुण मेला और मेगा पीटीएम तीनों आयोजनों के आदेश जारी होने से विद्यालय स्तर पर भारी असमंजस की स्थिति बन गई है।
शिक्षकों का कहना है कि अधिकांश शिक्षक तहसील स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताओं में चयनित होकर जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे हैं। ऐसे में 23 दिसंबर को बड़ी संख्या में शिक्षक विद्यालयों में उपस्थित नहीं रह पाएंगे। कई विद्यालयों में तो लगभग सभी शिक्षक खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बाहर रहेंगे। यह भी माना जा रहा है कि शिक्षक खेलकूद के नाम से 23 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश पर चले जाएंगे। इससे निपुण मेला और मेगा पीटीएम का आयोजन व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
इस स्थिति को लेकर शिक्षक संगठनों ने विरोध दर्ज कराया है। संगठनों का कहना है कि एक ही दिन तीन महत्वपूर्ण आयोजनों से न तो खेलकूद प्रतियोगिता सुचारू रूप से हो पाएगी और न ही विद्यालयों में शैक्षिक गतिविधियों का प्रभावी संचालन संभव होगा।
इसी प्रकार निपुण मेले के दौरान सभी राजकीय विद्यालयों में 23 दिसंबर को निपुण मेले के दौरान विद्यार्थियों को मिड-डे-मील में 'श्रीकृष्ण भोग' खिलाया जाना भी है। निपुण भारत मिशन के तहत वर्ष 2026-27 तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लक्ष्यों को हासिल करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। निपुण मेला अभिभावकों की सहभागिता बढ़ाने और विद्यार्थियों की प्रगति साझा करने का माध्यम है। इस दिन विद्यालय स्तर पर 'श्रीकृष्ण भोग कार्यक्रम' जनसहभागिता से आयोजित किया जाना है। जो असंभव है।
राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेश अध्यक्ष नीरज शर्मा ने शिक्षा निदेशक से मांग की है कि इन आयोजनों की तिथियों में शीघ्र संशोधन किया जाए, ताकि शिक्षकों और विद्यालयों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सके तथा सभी कार्यक्रम व्यवस्थित ढंग से संपन्न हो सकें।
Published on:
15 Dec 2025 09:23 am
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