तीन साल से अटका निवेश वस्त्रनगरी में पिछले कुछ सालों से हर साल 500 से 600 करोड़ का नया निवेश आ रहा था। लेकिन तीन-चार साल से विकास पूरी तरह से ठप हो गया है। इसके पीछे मुख्य कारण एनजीटी के निर्देश पर सभी उद्योगों को टयूबवेल खोदने के लिए केन्द्रीय भूजल विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। उद्यमियों की माने तो 90 प्रतिशत उद्योगों में लगे टयूबवेल का उपयोग पीने या सफाई के पानी के लिए किया जाता है।
डेनिम उद्योग में सबसे बड़ा रोड़ा पानी की स्वीकृति भीलवाड़ा में करीब डेढ़ करोड़ मीटर डेनिम कपड़े का प्रति माह उत्पादन हो रहा है। इसके विस्तार के लिए कई उद्यमियों ने आवेदन कर रखा है। पानी की स्वीकृति नहीं मिलने से विस्तार नहीं हो रहा है।
स्वीकृति मिले तो उद्यमी लाइन में पानी व डेनिम उत्पान की स्वीकृति मिलती है तो आधा दर्जन उद्यमी डेनिम प्लांट लगाने को तैयार हैं। इन उद्योगों से लगभग दो करोड़ मीटर डेनिम का और उत्पादन हो सकता है। इस पर लगभग एक हजार करोड़ का निवेश होगा। इसके अलावा डेनिम की दस लाइन पर 300 करोड़ का और निवेश होगा।
साढे़ तीन करोड़ मीटर प्रति माह का उत्पादन अहमदाबाद के बाद भीलवाड़ा एकमात्र ऐसा टेक्सटाइल क्षेत्र है जहां साढ़े तीन करोड़ मीटर प्रतिमाह डेनिम का उत्पादन होने के साथ जॉब पर भी डेनिम का उत्पादन हो रहा है। मुख्य रूप से कंचन, संगम, सुपर गोल्ड, आरएसडब्ल्यूएम तथा मनोमय शामिल है।
डेनिम हब बन सकता भीलवाड़ा सरकार डेनिम उद्योग की स्वीकृति के लिए योजना बनाए या केंद्र सरकार से प्रयास करे तो आने वाले समय में एक हजार करोड़ का नया निवेश आ सकता है। भीलवाड़ा देश में पहला डेनिम हब बन सकता है।
आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स