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भीलवाड़ा महिला अरबन बैंक घोटाला: सात साल बाद भी खातेदारों को 30 करोड़ का इंतजार

- ऋण वसूली नहीं होने से अटकी राशि; 50 करोड़ का ऋण अब भी बकाया - बैंक कर्मचारी व भवन किराए पर लाखों रुपए का खर्च

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Bhilwara Mahila Urban Bank scam: Seven years later, account holders still await Rs 30 crore

Bhilwara Mahila Urban Bank scam: Seven years later, account holders still await Rs 30 crore

भीलवाड़ा महिला अरबन को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 50 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण घोटाले का खमियाजा अब भी हजारों जमाकर्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से बैंक का लाइसेंस निरस्त किए जाने के सात साल बाद भी, बैंक के 20 हजार से अधिक खातेदारों को अपनी बकाया 30 करोड़ रुपए की राशि का इंतजार है। वसूली की धीमी गति और बैंक के संचालन खर्चों ने इस मामले को और अधिक जटिल बना दिया है।

बैंक का लाइसेंस 31 अगस्त 2018 को निरस्त कर दिया था और 9 सितंबर 2018 को बैंक अवसायन (लिक्वीडेशन) में चला गया था। इसके बावजूद बैंक में अब भी कई कर्मचारी कार्यरत हैं। साथ ही, भीलवाड़ा, गुलाबपुरा और राजसमंद स्थित बैंक भवनों का किराया भी वहन किया जा रहा है। इस पर लाखों रुपए प्रतिमाह खर्च हो रहे हैं। यह खर्च ऐसे समय में हो रहा है जब खातेदारों को उनकी जमा राशि नहीं मिल पा रही है।

3363 खातेदारों ने नहीं किया क्लेम

बैंक ने जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) को 20,307 खातेदारों के लिए 32.70 करोड़ रुपए का क्लेम किया था। इसमें प्रत्येक खातेदार को एक-एक लाख रुपए तक की राशि दी जानी थी।

डीआईसीजीसी ने 13,365 खातेदारों के लिए 30.21 करोड़ रुपए का क्लेम पास किया। इनमें से 9,609 खातेदारों को 29.15 करोड़ रुपए की राशि लौटाई गई। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 3,363 खातेदार ऐसे हैं जो अब तक क्लेम पेश नहीं कर पाए हैं। इनमें कई ऐसे बुजुर्ग खातेदार भी शामिल हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। क्लेम नहीं किए जाने के कारण उनकी मिलने वाली 1.5 करोड़ रुपए की राशि 30 सितंबर 2025 को पुनः डीआईसीजीसी को लौटा दी गई है। वर्तमान में बैंक के पास केवल 1.17 करोड़ रुपए की राशि जमा है।

50 करोड़ का ऋण बकाया, वसूली मात्र 14.47 करोड़

बैंक की सबसे बड़ी चुनौती बकाया ऋण की वसूली है। बैंक के आंकड़ों के अनुसार अब भी 50 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण की वसूली की जानी है, लेकिन यह हो नहीं पा रही है। लाइसेंस निरस्त होने के बाद 1 सितंबर 2018 से 7 नवंबर 2025 तक 14 करोड़ 47 लाख 88 हजार रुपए का ऋण ही वसूला जा सका है। वसूली की गति धीमी हो रही है। एक अप्रेल 2025 से 7 नवंबर 2025 तक मात्र 69 लाख रुपए की ही वसूली हो पाई है। हालांकि बैंक ने अब तक 25 करोड़ की वसूली करके डीआईसीजीसी को पुन: भुगतान किया है। अब 5.43 करोड़ का भुगतान बकाया चल रहा है।

स्थाई अधिकारी का अभाव

बैंक में कोई स्थायी अधिकारी नहीं होने से ऋण वसूली में बाधा आ रही है। वर्तमान में अतिरिक्त कार्य के रूप में जितेंद्र मालपानी को यहां लिक्विडेटर के रूप में लगाया गया है। वे अपने स्तर पर ऋण वसूली के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके पास अन्य कार्य होने से वसूली पर असर पड़ रहा है।

रोज बैंक आते हैं निराश खातेदार

अपनी राशि का इंतजार कर रहे कई खातेदार आज भी बैंक के चक्कर काट रहे हैं। उनका एक ही सवाल होता है कि उनकी जमा राशि कब मिलेगी। हालांकि, बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं होता है कि उन्हें राशि मिलेगी या नहीं, जिससे खातेदारों में निराशा बढ़ रही है। बैंक को अभी भी अपने जमाकर्ताओं को 30.19 करोड़ रुपए की राशि लौटानी है।