
Jindal will have to build the overbridge
Bhilwara news : शहर की यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने और रेलवे फाटक बंद होने पर जाम से मुक्ति के लिए एक और ओवरब्रिज की जरूरत है। यह ओवरब्रिज जिंदल सॉ लिमिटेड को बनाना था, लेकिन कम्पनी अपनी शर्त से मुकर रही है। इसके पीछे अधिकारियों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी बड़ा कारण रहा है। नगर निगम ने ओवरब्रिज बनाने का वर्ष-2011 में सपना देखा। इसे हकीकत में बदलने के लिए जिंदल सॉ से दूषित पानी के बदले तीस करोड़ रुपए की लागत से ओवरब्रिज के निर्माण का करार किया। करार के बावजूद जिंदल इससे मुकर गई। इस मामले को लेकर विधायक अशोक कोठारी ने विधानसभा में मुद्दा उठाने के साथ मुख्यमंत्री व नगरीय विकास मंत्री को पत्र लिखा है। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने भीलवाड़ा को चाहिए एक और ओवरब्रिज को अभियान के रूप में ले रखा है। पत्रिका लगातार दमदार तरीके से मुद्दे को उठा रहा है।
एनजीटी का तर्क देकर रोका काम
नगर निगम और खनन कंपनी के बीच 5 अक्टूबर 2011 में एमओयू हुआ था। शर्त नंबर 16 के अनुसार नालियों का गंदा पानी जिंदल को देने के बदले उसे रामधाम के पास ओवरब्रिज बनाना था। लेकिन एनजीटी की रोक का हवाला देकर कम्पनी ने आगे कदम नहीं बढ़ाया। विधायक कोठारी का कहना है कि एनजीटी भोपाल ने रामधाम के पास ओवरब्रिज बनाने पर कोई रोक नहीं लगाई है। इसके बाद भी कम्पनी ब्रिज नहीं बना रही। कम्पनी को ओवरब्रिज की लागत पर 30 करोड़ रुपए व 15 करोड़ रुपए का मुआवजा प्रभावितों को देना था। ओवरब्रिज की ड्राइंग तैयार हुई। परिषद ने 15 जून 2017 को आरओबी निर्माण के तकमीना पेटे 21.74 लाख जमा कराने के लिए कम्पनी को नोटिस दिया। कम्पनी ने यह राशि एनजीटी भोपाल में जमा करवाई।
एनजीटी ने फिर जांच के दिए थे आदेश
कोठारी ने बताया कि 11 सितंबर 2017 को एनजीटी भोपाल ने आदेश संख्या 8 में कलक्टर को पुनः जांच करने को आदेशित किया। इसमें न्यायालय ने भीलवाड़ा में यातायात के सुचारू संचालन के साथ अंडरपास में पानी नहीं भरे और उनकी टूट-फूट के रखरखाव के स्थायी समाधान संबंधित कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा। न्यायालय के आदेश की अनुपालना में कलक्टर ने 5 दिसम्बर 2017 को बैठक कर तीन अंडरपास, रामधाम तथा साबुन मार्ग में पानी की निकासी के स्थायी समाधान एवं अन्य टूट-फूट दुरुस्त कर पांच वर्ष तक रखरखाव के लिए सहमति हुई। इस बीच एनजीटी ने 25 अप्रेल 2019 को अपने आदेश में अंकित किया कि आवेदक ने अपनी मूल याचिका वापस ले ली है। अभी तक आरओबी निर्माण नहीं हुआ है और न ही कोई पेड़ काटा गया है। इसलिए मूल आवेदन 21/2017 का निस्तारण इसी प्रकार किया गया। कोठारी का दावा है कि एनजीटी ने कभी भी आरओबी निर्माण को रद्द नहीं किया। कोठारी ने सरकार से मामले में दखल देने तथा जिंदल को पाबंद करने की मांग की है।
Published on:
25 Sept 2024 11:31 am
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