
Effect of winter: Increased demand for blankets and quilts
Bhilwara news : बीते कुछ दिन से लगातार सर्दी बढ़ रही है। रात के साथ दिन का पारा भी गिर रहा है। सर्द हवा चल रही है। रात में लोगों को कंबल व रजाई ओढ़नी पड़ रही है। लोगों को अब धूप भी सुहानी लगने लगी है।
सर्दी की लगातार बढ़ोतरी के कारण अब लोगों को गर्म कपड़े खरीदने के साथ रजाई गद्दे भी बनवाने पड़ रहे हैं। रजाई व गद्दे बनाई का कार्य करने वाले लोगों ने अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है। आरके कॉलोनी व चित्तौड़ रोड समेत अन्य स्थानों पर व्यवसाय करने वाले लोगों ने रुई धुनने की मशीन लगा ली। रुई धुननेवाली शबाना ने बताया कि वे दीपावली के रूई धुनने की मशीन पर काम शुरू कर देते हैं। फरवरी तक काम रहता है । रोजाना एक दर्जन रजाई व गद्दों में भराई करते हैं। इसके बाद तैयार रजाई व गद्दों में धागा भी डाला जाता है। इस समय रूई का भाव बीते सालों से काफी अधिक है। रूई के दाम 180 से 200 रुपए किलो के चल रहे हैं।
मेहनत के अनुरूप नहीं मिल रही मजदूरी
शबाना ने बताया कि बढ़ती महंगाई का असर उन पर भी पड़ रहा है। मेहनत के अनुरूप मजदूरी नहीं मिल पा रही है। बीते कई वर्षों में रजाई गद्दे की बुनाई की काम की मजदूरी महज डेढ़ सौ रुपए ले रहे हैं। इसमें धागे के दाम भी 20 रुपए प्रति किलो बढ़ गए हैं। रजाई गद्दों की धुनाई से लेकर तैयार करने की मजदूरी 150 रुपए हैं। एक व्यक्ति पूरे दिन में पांच रजाई गद्दे तैयार कर पाता है। दिन भर की मेहनत के बाद भी एक व्यक्ति को 300 से 400 रुपए मिलते हैं। इस कारण इस व्यवसाय से लोगों का मोहभंग होता जा रहा है। वही परिवार के लोग अब रजाई की जगह पर कंबल काम में लेने लगे है।
बाजार में मिलने लगे तरह-तरह के कंबल
बाजार में इन दिनों पानीपत, लुधियाना व दिल्ली से तरह-तरह के गरम कंबल आ रहे हैं। जो 400 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक बिकते हैं। यह कंबल प्रतापनगर स्कूल के बाहर, चितौड व अजमेर रोड किनारे कई लोग बैठे है। यह एक साथ पानीपत से कंबल लाते है और गलियों में भी फैरी लगाकर इनको बेचना का काम करते है। इस कारण रुई के रजाई गद्दों की बिक्री पर असर भी पड़ रहा है।
Published on:
25 Nov 2024 11:46 am
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