डेढ़ दशक पहले भीलवाड़ा का मिर्च बाजार प्रदेश के प्रमुख मंडियों में शुमार था। गांधी नगर मिर्च मंडी में रोजाना दो हजार बोरियां पटना, रतलाम व आंधप्रदेश से आती थी।मेवाड़ का यह बड़ा बाजार अब सिकुड़ गया है। गत पांच साल से मंडी के हाल यह है कि रोजाना 200 मिर्च बोरी की आवक भी नहीं हो रही है।
गुजरात व एमपी का दबाव
मिर्च व्यवसायी बताते है कि जिले में पटना व रतलाम की मांग बहुत थी, लेकिन अब मंडी में केवल एमपी के धामनोद, खरगौन, कुकसी आदि से ही मिर्च की आपूर्ति हो रही है। आंध्रप्रदेश से गिने चुने मौके पर ही मिर्च आती है। अभी मिर्च का बाजार ठंडा है। एमपी व गुजरात के व्यापारी भीलवाड़ा के व्यापारियों पर आर्डर लेने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन भीलवाड़ा में मांग नहीं होने से व्यापारी इनकार ही कर रहे हैं।
कोल्ड स्टोरेज से आ रही मिर्च
गांधीनगर मिर्च मंडी से ही अभी समूचे जिले व पड़ोसी जिलों मेंं भी मिर्च की आपूर्ति होती है। अभी 90 रुपए से लेकर 160 रुपए प्रति किलो तक थोक भाव में मिर्ची विभिन्न ब्रांडों में उपलब्ध है। अच्छी किस्म की मिर्च की आवक नहीं होने से कोल्ड स्टोरेज से मिर्च उठाई जा रही है।
मंडी में उठाव का इंतजार
मिर्च व्यवसायी महेश जागेटिया बताते हैं कि मिर्च मंडी कारोबार अभी खरीद का उठाव नहीं होने से सुस्त है। यहां मंडी में थोक खरीदारों की आवाजाही ठंडी है। देवउठनी ग्यारह पर सावों की धूम के साथ ही घरों के लिए भी नई मिर्च की खरीद होती है। इस बार चुनाव का मौसम भी है। ऐसे में मिर्च की मांग उठने का इंतजार है।