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भीलवाड़ा की छोटी बस्ती से निकले बड़े खिलाड़ी

locationभीलवाड़ाPublished: Nov 30, 2020 12:07:25 pm

वस्त्रनगरी की कच्ची बस्ती कांवाखेड़ा ने जिले में ही नहीं अपितु देश में खेल जगत में विशिष्ट पहचान कायम की है। यहां कांवाखेड़ा खेल मैदान से एक दशक में एक नहीं वरन 250 से अधिक एेसे खिलाड़ी उभरे है, जिन्होंने देश ही नहीं वरन विदेश में भीलवाड़ा के नाम का डंका बजाया है। खिलाडि़यों की मेहनत व प्रशिक्षकों की लगन का परिणाम है कि रोलबॉल की विश्व कप विजेता भारत के खिलाड़ी इसी मैदान से तैयार हुए है।

Big players came out of small colony of Bhilwara

Big players came out of small colony of Bhilwara

भीलवाड़ा। वस्त्रनगरी की कच्ची बस्ती कांवाखेड़ा ने जिले में ही नहीं अपितु देश में खेल जगत में विशिष्ट पहचान कायम की है। यहां कांवाखेड़ा खेल मैदान से एक दशक में एक नहीं वरन दर्जन से अधिक एेसे खिलाड़ी उभरे है, जिन्होंने देश ही नहीं वरन विदेश में भीलवाड़ा के नाम का डंका बजाया है। खिलाडि़यों की मेहनत व प्रशिक्षकों की लगन का परिणाम है कि रोलबॉल की विश्व कप विजेता भारत के खिलाड़ी इसी मैदान से तैयार हुए है। जबकि बास्केबॉल समेत अन्य खेलों मे भी इसी मैदान के हीरो रहे खिलाडिय़ों ने श्रेष्ठता साबित की है, खेल मैदान से निकले कई खिलाड़ी सरकारी महकमों में अच्छे पद पर कार्यरत है।
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शास्त्रीनगर स्थित कांवाखेड़ा यूं तो साधारण परिवारों की बस्ती है, लेकिन यहां की खेल प्रतिभाएं अद्भूत है। ऐसे परिवारों के बच्चों में खेले के प्रति एक ललक व जनून है। एक दशक पूर्व यहां के बच्चों को खेलने के पूरे अवसर नहीं मिल रहे थे और ना ही उन्हें को सुविधा थी। मैदान भी इनके लिए नसीब में नहीं था। एेसे में बास्केटबॉल खिलाड़ी विजय कुमार बाबेल ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए। उन्होंने बच्चों को बास्केटबॉल सीखाने में बच्चों के साथ खुद ने कड़ी मेहनत की। बाबेल के ही प्रयास से यहां कांवाखेड़ा में दस वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया खेल मैदान अब कांवाखेड़ा के खिलाडि़यों की तकदीर बन गई है। यहां बालिका भी खेलों का प्रशिक्षण लेने के लिए आने लगी। बास्केटबॉल के साथ ही यहां ड्राप रो बॉल व बैडमिंटन का अभ्यास भी खिलाडि़यों में कराया जा रहा है।
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२५० खिलाडिय़ों ने बटोरे पदक
आरके कॉलोनी की करिश्मा शर्मा बॉल बैडमिंटन में कई पदक जीते है। करिश्मा अब भारतीय टीम मेंं शामिल होने के लिए पसीना बहा रही है। कांवाखेड़ा मैदान से प्रथम राष्ट्रीय खिलाड़ी गुरमीत कौर बनी। इस मैदान के २50 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपना जौहर दिखा चुके हैं। इनमें १७५ राष्ट्रीय पदक विजेता। जिसमें १५ अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बन चुके हैं। जबकि बास्केबॉल में मीनाक्षी धाकड, दिव्या नायक, दीपिका नायक, पूनम बैरवा तथा उमा बैरवा, विकास मीणा , हेमेन्त नायक, शैलेश कुमार मीणा राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुकी है।
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देश में छा गए यह होनहार
कठिन परिश्रम से तैयार किए खिलाड़ी भी भिन्न-भिन्न अकादमियों में अपने खेल की बारीकियां सीख रहे हैं। आशा नायक, प्रिया शर्मा, अर्चना जगरवाल, डिम्पल धोबी, चंचल शर्मा, करिश्मा मीणा, कशिश सोनी एवं राहुल मीणा शामिल है। अन्तर्राष्ट्रीय कोच एवं अन्तर्राष्ट्रीय रैफ री राजेश्वर राव, राष्ट्रीय कोच राकेश विश्नोई भी यहां मैदान पर खिलाडि़यों को बारीकी सीखाने आ चुके है। शहजाद हुसैन, विकास मीणा, मुकेश बंजारा, हेमंत नायक, महावीर बंजारा, भवानी बंजारा, राजा बैरवा भी खेल की बारीकियां सीख रहे हैं। इसी प्रकार राष्ट्रीय कोच माधव सिंह सादुलपुर स्कूल (बीकानेर) में अख्तर हुसैन, दिलीप मधुकर, नारायण पंवार, डालचन्द्र प्रजापत, नरेश पूर्बिया, खेल की बारीकियां सीखा रहे हैं।
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इनकी सीख ने बढ़ाया हौसला
कांवाखेड़ा बास्केटबॉल मैदान पर राजेश्वर राव (छत्तीसगढ़), दौलतराम यादव (जयपुर), राजेन्द्र मेड़तिया (जयपुर), अखलेश सिंह (जयपुर), पिंकी यादव (जयपुर), राकेश विश्नोई (जैसलमेर), महेन्द्र सिंह (टी.सी. रेल्वे उदयपुर), उज्जवल शर्मा (कोटा), मक्खन सिंह गुर्जर (अलवर), माधव सिंह (बीकानेर), जोगेन्द्र सिंह, गुलाब सिंह, गोपाल उपाध्याय (चित्तौडग़ढ़), हजीन्द्र सिंह (गंगानगर), देवेन्द्र पुनिया (हनुमानगढ़), कमल कुमार भाटिया (भीलवाड़ा) एवं प्रवीण शर्मा भी खिलाडि़यों को बारीकी सीखा रहे है।
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एक्सपर्ट व्यू:
कांवाखेड़ा मैदान अब खेल मैदान नहीं रहा, यह हमारी जिन्दगी का अटूट हिस्सा हो गया है, यहां साधारण परिवार की असाधारण प्रतिभाएं कमाल दिखा रही है। यहां मैदान में बास्केटबॉल, बॉल बैडमिंटन, रोल बॉल, डॉप रो बालसीख सीख कर कदम बढ़ा कर राष्ट्रीय स्तर पर धाक जमाने वाले खिलाड़ी कमल कुमार भाटिया, कविता बैरवा, मनप्रीत कौर, निशा झा, जतिन जोशी, नारायण पंवार, प्रांजल शर्मा अब इसी मैदान की कोच है, नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ा रही है। बांग्लादेश में आयोजित रोलबॉल वल्र्ड कप में स्वर्ण पदक विजेता राजलक्ष्मी नायक मैदान के खिलाडियों की आदर्श है। उनकी बहन आशा नायक ने यूरोप में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय बास्केटबॉल प्रतियोगिता में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। कांवाखेड़ा की प्रिया शर्मा, अर्चना जगरवाल, डिम्पल धोबी, चंचल शर्मा व शहजाद हुसैन ने भी विदेश में खेलों के बूते देश की धाक जमाई है। कांवाखेड़ा का नाम देश में चमका तो विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने भी खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करने का जिम्मा संभाला। ये सभी कांवाखेड़ा के बच्चों को सीखाने में आसपास के खेल मैदानों में जुट गए। इनमें नरेश ओझा, अनिल खारीवाल, चन्द्रशेखर कुमावत, लक्ष्मण सिंह राठौड़, सचिन बाबेल, सम्पत कोठारी भी अहम भूमिका निभा रहे है।
– विजय बाबेल, मुख्य प्रशिक्षक
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