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मातम में बदली बेटे के जन्म की खुशियां, एक साथ उठी तीन अर्थियां, हर आंख में आंसू

परिवार बेटा होने की खुशियां मना रहा था कि हादसे ने उसे मातम में बदल गया। गांव में शोक की लहर छाई रही। जिस नवजात ने पूरी तरह आंखें भी नहीं खोली थी कि वह भी अब इस दुनिया में नहीं रहा।

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bundi road accident in four people died

जहाजपुर/हनुमाननगर (भीलवाड़ा)। बूंदी जिले के हिंडौली थाना क्षेत्र में शुक्रवार रात का हादसा जहाजपुर क्षेत्र के चांदादंड गांव के एक परिवार को हमेशा के लिए दर्द दे गया। परिवार बेटा होने की खुशियां मना रहा था कि हादसे ने उसे मातम में बदल गया। गांव में शनिवार को शोक की लहर छाई रही। जिस नवजात ने पूरी तरह आंखें भी नहीं खोली थी कि वह भी अब इस दुनिया में नहीं रहा। हादसे में नवजात, उसकी मां, बड़ी दादी और चालक की मौत हो गई। एक ही घर से शनिवार को तीन अर्थियां उठी तो हर आंख से आंसू निकल पड़े।

जानकारी के अनुसार चांदादंड के हंसराज मीणा की पत्नी रेखा ने शुक्रवार रात पीहर उमर गांव में अस्पताल में पुत्र को जन्म दिया। नवजात को नहीं रोने पर उसे हायर सेंटर रैफर कर दिया। प्रसव के बाद रेखा को घर ले जाने के लिए पति हंसराज व बड़ी सास नंदू देवी वहां पहुंचे। हंसराज व नंदू देवी नवजात बच्चे व रेखा को लेकर वैन से चांदादंड रवाना हुए। हिडौली थाना क्षेत्र में वैन एक कार से टकरा गई।

हादसे में नवजात, रेखा और बड़ी सास नंदू व चालक उमर गांव निवासी पिंटू मीणा की मौत हो गई। दुर्घटना का पता चलने पर पीहर व ससुराल में कोहराम मच गया। गंभीर रूप से घायल हंसराज को कोटा रैफर किया गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण शनिवार को मृतकों के घर के बाहर जमा हो गए। हर कोई परिवार को ढांढस बंधाने की कोशिश कर रहा था। दोनों महिलाओं के शव पोस्टमार्टम के बाद गांव लाए गए।

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शव पहुंचते ही आंसुओं का सैलाब
रातभर ढांढस बांधे बैठे परिजनों का धैर्य शव पहुंचते ही जवाब दे गया। आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा। घर में कोहराम मच गया। शव पहुंचने से पहले ही ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार की तैयारी पूरी कर ली थी। घर में कुछ देर शव रखा गया। उसके बाद तीनों अर्थियां उठी तो हर आंख नम हो गई। सांस-बहू का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार हुआ। नवजात बालक को दफनाया गया। उधर, चालक का शव उसके गांव उमर ले जाया गया।

घर में हुई थी गमी, इसलिए बड़ी सास गई
घर में गमी होने के कारण परिवार अन्य सदस्य बैठक में थे। रेखा के सास-ससुर भी उसी में थे। परंपराओं के अनुसार परिवार के सदस्य घर से बाहर नहीं निकल सकते थे। ऐसे में प्रसव के समय बड़ी सास नंदू को रेखा के पीहर भेजा गया था। रेखा के पहला बच्चा था।