
Cases in Pokso in the Case Officer Scheme
भीलवाड़ा।
मध्यप्रदेश और दिल्ली में मासूमों से हुई दरिंदगी के बाद अब राजस्थान पुलिस भी कठोर हुई है। एेसे दरिंदों को जल्दी सजा मिले और गवाह बेखौफ होकर बयान अदालत में दे, इसके लिए पुलिस अब पॉक्सो में दर्ज मामलों को केस ऑफिसर स्कीम में शामिल करेगी। हाल ही में पुलिस महानिदेशक ने प्रदेश के सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को एेसे निर्देश जारी किए। इसमें क हा कि जो भी मामले पॉक्सो में दर्ज है उन्हें सबसे पहले केस ऑफिसर स्कीम में लिया जाए और सजा दिलाने के बाद ही अपराधी का पीछा छोड़ें।
यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के तहत मामला दर्ज होने पर केस ऑफिसर अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। अपराधी को गिरफ्तार करने के बाद चालान पेश होगा। अधिकारी अपराधी के खिलाफ सबूत एकत्र करेगा। उसके बाद गवाहों को अदालत लाने और उनके बयान कराने में मदद करेगा। पीडि़त परिवार बेखौफ होकर बयान दे, इसकी व्यवस्था करेगा। मामले में अपराधी को सजा नहीं हो जाने तक केस ऑफिसर मामले पर निगरानी रखी जाएगी।
बैठकों में जगाएंगे जनजागृति
डीजीपी ने पुलिस को सतर्क रहकर एेसे मामले में प्रभावी रोकथाम के निर्देश दिए। सीएलजी व शांति समिति की बैठकों में मासूमों के साथ हो रहे अपराध पर अंकुश के लिए पुलिस जनचेतना लाएगी। स्कूल और कॉलेजों में बच्चियों को गुड और बैड टच के बारे में बताने के साथ अपराधियों से निपटने के उपाय बताए जाएंगे।
चिंताजनक है प्रदेश के हाल
मासूमों से अत्याचार में देश में राजस्थान की स्थिति चिंताजनक है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे़ देखे तो राजस्थान छठी पायदान पर है। भीलवाड़ा बच्चों के साथ अत्याचार में प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। अलवर अव्वल है।
ताकि गवाह दे बेझिझक बयान
अब पॉक्सो के मामले केस ऑफिसर स्कीम में लिए जाएंगे। ताकी अपराधी को बच निकलने का मौका नहीं मिले और पीडि़त परिवार और गवाह बेझिझक बयान दे सकें। वहीं इस तरह की घटनाओं पर पर अंकुश लग सकें।
- पारस जैन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, भीलवाड़ा
Published on:
06 Jul 2018 09:13 am
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